उत्तर प्रदेश सरकार में लोक निर्माण विभाग (PWD) के मंत्री जितिन प्रसाद के विशेष कार्य अधिकारी (OSD) अनिल कुमार पांडे को बीते 18 जुलाई को बर्खास्त कर दिया था. उन पर आरोप हैं कि वो ट्रांसफर करने के बदले पैसे लेने के खेल में शामिल हैं. अनिल पांडे के अलावा अन्य पांच लोगों पर भी कार्रवाई की गाज गिरी है. अंदेशा जताया जा रहा है कि इन लोगों पर बर्खास्तगी के बाद दूसरी कार्रवाईयां भी की जा सकती हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पैसे लेकर तबादले करने के मामले में बीते मंगलवार, 19 जुलाई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोक निर्माण विभाग के HOD समेत पांच अधिकारियों को निलंबित किया है. खबरों के मुताबिक, अनिल पांडे के अलावा जिन पांच लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई है, उनमें चीफ इंजीनियर (विकास) - एचओडी मनोज कुमार गुप्ता, चीफ इंजीनियर राकेश कुमार सक्सेना, सीनियर स्टाफ ऑफिसर शैलेंद्र कुमार यादव, प्रशासनिक अधिकारी पंकज दीक्षित और हेड क्लर्क संजय कुमार चौरसिया के नाम शामिल हैं. इन लोगों के खिलाफ अनियमितताओं के आरोप हैं और निलंबन के बाद और भी कार्रवाई संभव है.
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खबरों के मुताबिक, इस कार्रवाई के बाद जितिन प्रसाद आज यानि 20 जुलाई को दिल्ली जा सकते हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि जितिन प्रसाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात करेंगे. लेकिन इस ख़बर के लिखे जाने तक इस पूरे मामले पर जितिन प्रसाद का कोई जवाब नहीं आया है.
पांडे से प्रसाद का पुराना नाता है
करीब 13 महीने पहले वह कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में शामिल हो गए थे और इसके एक हफ्ते बाद ही उन्हें योगी सरकार की कैबिनेट में शामिल कर लिया गया था. साल 2022 के विधानसभा चुनाव में जब सूबे में दुबारा भाजपा की सरकार बनी, तो फिर से जितिन प्रसाद को मंत्रिमंडल में जगह मिली. पीडबल्यूडी का जिम्मा मिला. लेकिन उनके साथ मंत्री अनिल पांडे चले आए, जो उनके यूपीए के दिनों से उनके साथ बने हुए थे.
दरअसल, जितिन प्रसाद जब केंद्र में यूपीए सरकार के दौरान मंत्री थे, तब भी अनिल उनके कार्यालयों में तैनात रहे थे. यूपी में दोबारा बीजेपी सरकार बनने पर जितिन प्रसाद को लोक निर्माण विभाग का मंत्री बनाया गया था और तब ही अनिल ने यहां आने के लिए आवेदन किया था. आवेदन के बाद जितिन प्रसाद की ओर से अनिल पांडे की नियुक्ति के लिए सिफारिश की गई, तब नियुक्ति पक्की हुई. ऐसी भी खबरें चलती हैं. इसके पहले अनिल पांडे केंद्रीय उपभोक्ता मामले और खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय में अवर सचिव के पद पर थे.
ओएसडी का पद कितना महत्त्वपूर्ण है? ऐसे समझिए कि मंत्रियों के सभी महत्त्वपूर्ण काम ओएसडी ही करते हैं. विभाग की कोई फ़ाइल हुई तो वो ओएसडी के माध्यम से मंत्री तक जाती हैं.
बहरहाल, प्रसाद के ओएसडी अनिल कुमार पांडे को यूपी से हटा कर मूल विभाग में वापस दिल्ली भेजने का आदेश जारी कर दिया है और उनके खिलाफ सतर्कता जांच और अनुशासनिक कार्रवाई की सिफारिश भी की गई है.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, यूपी में डॉक्टरों के तबादले में हुई कथित गड़बड़ियों के बाद लोक निर्माण विभाग के इंजीनियरों के तबादले में भी गड़बड़ी का मामला सामने आया था. इसे लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 12 जुलाई को एक जांच का आदेश दिया था. जांच समिति ने 16 जुलाई को इसकी रिपोर्ट पेश की और इसी आधार पर ये कार्रवाई की गई है.
जांच समिति में यूपी के कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार सिंह और एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी देवेश चतुर्वेदी शामिल थे. मुख्यमंत्री ने मामले की जांच करने वाले अधिकारियों से मुलाकात की थी, जिसके बाद ही पांडे के खिलाफ कार्रवाई की गई.
सरकार का कहना है कि भ्रष्टाचार के प्रति 'जीरो टॉलरेंस' की नीति के अनुसार ये कदम उठाए गए हैं.
एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा,
“ये मामला लोक निर्माण विभाग में इंजीनियरों के ट्रांसफर से जुड़ा हुआ है. पिछले एक महीने में 150 से अधिक ट्रांसफर हुए हैं और इंजीनियरों के डिविजन्स को बदला गया है. ये तबादले मनमाने लगते हैं और कुछ इंजीनियरों को एक ही पद पर नियमों के विपरीत अधिक समय तक रखा गया था. कुछ इंजीनियरों को एक से अधिक डिविजन्स में पोस्टिंग भी दी गई है.”
प्रशासन का कहना है कि अभी एक्शन की रडार पर और भी कई अफसर हैं.