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क्या भारत का राष्ट्रगान 'जन-गण-मन' अंग्रेजों की प्रशंसा में लिखा गया था?

क्या कलकत्ता हाइकोर्ट ने कहा कि वो ब्रिटिश रानी के हुक्म से ही चलता है. 'मोदी को क्यों डांट दिया रानी ने' वाले वायरल वीडियो की पड़ताल...पार्ट-3

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यूट्यूब पर भारतीय परिवार नाम के चैनल ने ये फर्जी वीडियो डाला है.

क्या भारत का राष्ट्रगान अंग्रेज़ों का गुणगान है?

क्या कोलकाता की हाईकोर्ट इंग्लैंड की रानी के अंतर्गत काम करती है?

कॉन्सपिरेसी थ्योरी में रुचि लेते हों तो आपने ये बातें सुनी होंगी. इनके समर्थन में दिए जाने वाले अजीबोगरीब लेकिन बेहद दिलचस्प तर्क भी सुने होंगे. आपने शायद ही कभी इन बातों को गंभीरता से लिया हो. लेकिन एक यूट्यूब चैनल 'भारत परिवार' इन चीज़ों को इस तरह से परोस रहा है कि अच्छे-अच्छे भी सही और गलत में फर्क न कर पाएं. इस चैनल पर एक वीडियो है - "मोदी को क्यों डांट दिया रानी ने? भारत आज भी गुलाम? पक्के सबूत!" इसके थंबनेल पर सवाल है - "भारत का सम्राट कौन मोदी या रानी?" इस वीडियो को अब तक 50 लाख से ज़्यादा लोगों ने देखा है. फिर इस वीडियो का दूसरा पार्ट है. इसका टाइटल है-जन गण मन - देशभक्ति या देशद्रोह (Part-2). इसके थंबनेल में भगत सिंह की फोटो लगी है. साथ में लिखा है- क्यों रो पड़े भगत सिंह?  इसमें इंग्लैंड के प्रिंस विलियम और रानी एलिजाबेथ हिंदी में बात कर रहे हैं. ये बातें अविश्वसनीय हैं. लेकिन वीडियो में नज़र आ रहा अंकित अपनी बातों के लिए ऐसे-ऐसे तर्क देता है कि आप सोच में पड़ जाते हैं. अंकित ये भी कहता है कि वो अपने बताए 'सच' के लिए जेल तक जाने को तैयार है. आप ये वीडियो देखिए और फिर इसकी बातों की सच्चाई जानिए.

'दी लल्लनटॉप' से एक हज़ार से ज़्यादा लोगों ने फेसबुक और ईमेल के ज़रिए इस वीडियो का सच पूछा. बात संविधान से जुड़ी धाराओं की थी, तो हमने मदद ली संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप और पंजाब यूनिवर्सिटी में हिस्ट्री के प्रोफेसर एम राजीवलोचन से. हमने वादा किया था कि हम अपनी खास सीरीज़ में 'भारत परिवार' के हर दावे की पड़ताल करेंगे और बताएंगे कि अंकित को जेल जाना चाहिए कि नहीं. पहली दो किस्तों में हमने चार दावों की पोल खोली थी. उन किस्तों को आप यहां और यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं.

पहली किश्त- क्या भारत को अंग्रेजों ने बस 99 साल के लिए आजाद किया था?

दूसरी किश्त- क्या इंग्लैंड की रानी अब भी भारत के प्रधानमंत्री को कभी भी हटा सकती हैं?

आगे के दावों की पड़ताल हम तीसरी और आखिरी किस्त में कर रहे हैं.



दावा 5-  भारत का राष्ट्रगान अंग्रेज़ों का गुणगान है. 1911 में दिल्ली में जॉर्ज पंचम के राजतिलक में स्वागत के लिए रवींद्रनाथ टैगोर ने 'जन-गण-मन' लिखा था. इसमें 'अधिनायक' शब्द का प्रयोग अंग्रेज़ों के लिए किया गया.

सच्चाई क्या है?

राष्ट्रगान को लेकर बयानबाज़ी नई नहीं है. पूर्व में राजस्थान के तत्कालीन गवर्नर कल्याण सिंह कह चुके हैं कि राष्ट्रगान में ‘अधिनायक’ शब्द भारत के लिए इस्तेमाल नहीं किया गया है. इस शब्द को हटा देना चाहिए. राष्ट्रगान के बारे में प्रचलित इस झूठ का खुलासा हमारे पुराने साथी (जिनका नाम भी मेरी ही तरह ऋषभ था) ने एक लेख में किया था. ऋषभ का लिखा प्रोफेसर राजीवलोचन से हुई हमारी बात से मेल खाता है. पढ़िए ऋषभ और प्रोफेसर साहब क्या बताते हैं.

1. कब लिखा गया?

कोई भी कवि अपनी कविता एक बैठकी में नहीं लिखता. कई बार लिखता है. काटता है. फिर लिखता है. महीनों-सालों बाद जाकर वो रचना ऐसी बनती है कि युगों-युगों तक लोगों की ज़बान पर चढ़ी रहती है. रवींद्रनाथ टैगोर ने इसका पहला ड्राफ्ट 1908 में लिखा था. शान्तिनिकेतन में वो जगह आज भी सुरक्षित है, जहां उन्होंने इस गाने को लिखा था. जॉर्ज पंचम आए 1911 में. तब तक पहले ड्राफ्ट में चीज़ें जुड़ती-घटती रहीं.

रविंद्र नाथ टैगोर.

2. जॉर्ज पंचम के स्वागत में गायी गई कविता टैगोर ने लिखी ही नहीं

जी हां. जॉर्ज पंचम हिंदुस्तान आये थे 1911 में. राजनीतिक वजहों से कांग्रेस ने उनका स्वागत किया. उस स्वागत सम्मलेन में शुरुआत हुई टैगोर की कविता से. क्योंकि हिंदुस्तान में रिवाज है कि पहले ‘सर्वशक्तिमान भगवान’ की आराधना की जाती है, फिर कार्यक्रम शुरू होता है. तो टैगोर का गया 'जन-गण-मन' इसी सर्वशक्तिमान की स्तुति में था. बाद में जॉर्ज पंचम के सम्मान में भी एक कविता पढ़ी गई. ‘बादशाह हमारा’ नाम की ये हिंदी कविता लिखी थी रामभुज चौधरी ने.


पंडित रामभुज दत्त चौधरी.
पंडित रामभुज दत्त चौधरी.

लेकिन अंग्रेज़ मीडिया ने इस बात को घुमा दिया. नमूने देखिएः


“The proceedings began with the singing by Rabindranath Tagore of a song specially composed by him in honour of the Emperor.”
– The Englishman, December 28, 1911
“The Bengali poet Rabindranath Tagore sang a song composed by him specially to welcome the Emperor.”
– The Statesman, December 28, 1911
“When the proceedings of the Indian National Congress began on Wednesday 27th December 1911, a Bengali song in welcome of the Emperor was sung. A resolution welcoming the Emperor and Empress was also adopted unanimously.”
– The Indian, Dec. 29, 1911

इन सबके मुताबिक रवींद्रनाथ टैगोर ने जॉर्ज पंचम के लिए ये गाना लिखा था. उस टाइम कुछ दिन पहले इन्हीं अखबारों ने ये बताया था कि वन्दे मातरम् भी टैगोर ने ही लिखा है.

लेकिन हिंदुस्तानी अखबारों ने सच बताया -


“The annual session of Congress began by singing a song composed by the great Bengali poet Ravindranath Tagore. Then a resolution expressing loyalty to King George V was passed. A song paying a heartfelt homage to King George V was then sung by a group of boys and girls.”
– The Bengalee, December 28, 1911
“The proceedings of the Congress party session started with a prayer in Bengali to praise God (song of benediction). This was followed by a resolution expressing loyalty to King George V. Then another song was sung welcoming King George V.”
– The Amrita Bazar Patrika, December 28,1911

इन अख़बारों ने साफ़-साफ़ बताया है कि पहले ‘भगवान की स्तुति’ हुई. फिर बच्चों ने मुख्य अतिथि जॉर्ज पंचम के लिए भी एक गाना गाया.

2. 'अधिनायक' किसके लिए आया है?

1937 में टैगोर ने इस बात को क्लियर करते हुए कहा था -


एक ब्रिटिश ऑफिसर मेरा दोस्त था. उसने मुझसे कहा कि ब्रिटिश सम्राट का गुण-गान करते हुए एक कविता लिख मारो. इस बात पर मुझे बहुत गुस्सा आया. इसीलिए मैंने ‘जन गण मन’ में ‘भारत भाग्य विधाता’ के बारे में लिखा था कि ये देश आदि काल से अपना भाग्य खुद लिख रहा है. वो भाग्य विधाता जॉर्ज पंचम तो कतई नहीं हो सकते. वो ब्रिटिश अफसर मेरी बात समझ गया था.
जॉर्ज पंचम.
जॉर्ज पंचम.

लेकिन कुछ लोग इस मामले को बराबर उठाते रहे. इसका प्रचार किया गया कि टैगोर का 'अधिनायक' ब्रिटेन के राजा के लिए ही था. चिढ़कर 1939 में टैगोर ने फिर कहा -


जॉर्ज चौथा हो या पांचवां, मैं उसके बारे में क्यों लिखूंगा? इस बात का जवाब देना भी मेरा अपमान है.

जलियांवाला बाग नरसंहार के बाद टैगोर ने सर की उपाधि (‘नाइटहुड’ का टाइटल) लौटा दी थी. ये टाइटल उन्हें जॉर्ज पंचम ने ही दिया था. इसके अलावा टैगोर ने समय-समय पर ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाई. सबसे मज़ेदार बात ये है कि हमारा राष्ट्रगान टैगोर के लिखे गाने का सिर्फ एक स्टैन्ज़ा (पैराग्राफ) है. ये गाना पांच स्टैन्ज़ा का है. अगर पूरा गाना पढ़ें, तो पता चल जाता है कि ये किसी इंसान के लिए नहीं लिखा गया है. ये भारत देश के बारे में है. आखिरी स्टैन्ज़ा में एक लाइन है, ‘निद्रितो भारतो जागे.’ मतलब ‘सोता भारत जाग गया है.' इसका इस्तेमाल जवाहर लाल नेहरू ने 'फ्रीडम एट मिडनाइट' वाले भाषण में किया था.

दावा 6- एक न्यूज़ वेबसाइट का स्क्रीनशॉट लगाया गया है जिसमें एक खबर की हेडिंग है- Calcutta High Court under Queen of England? जो 07 अक्टूबर, 2010 को छपी है. इसका मतलब इस वीडियो में बताया गया है कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने ऐसा माना है कि वो भारत सरकार नहीं इंग्लैंड की रानी के अंतर्गत काम करता है.

सच्चाई-

अगर आप इंटरनेट पर इस खबर
को ढूंढकर पढ़ें तो सारा माजरा अपने आप क्लीयर हो जाएगा. वीडियो बनाने वाले ने हेडिंग में लगे प्रश्नवाचक चिह्न पर ध्यान नहीं दिया. दूसरी बात ये हेडिंग बस एक कोट है. कलकत्ता हाईकोर्ट के पब्लिक इंफॉर्मेशन ऑफिसर ने सेंट्रल इंफॉर्मेशन कमीशन (CIC) के ट्रांसपेरेंसी पैनल के सामने एक दलील दी थी कि CIC के अधिकारक्षेत्र में भारत सरकार और राज्य सरकारों द्वारा बनाई गई संस्थाएं आती हैं. कलकत्ता हाईकोर्ट की स्थापना 1 जुलाई, 1862 को हुई थी. तब भारत पर अंग्रेजों का शासन था. यह भारत सरकार द्वारा स्थापित नहीं है. ऐसे में यह CIC के नियमों के तहत नहीं आएगा. लेकिन CIC ने इस तर्क को यह कहकर खारिज कर दिया कि अंग्रेज़ों के शासन की जगह अब भारत सरकार ने ले ली है. साथ ही, कलकत्ता हाईकोर्ट का बजट भी भारत सरकार ही जारी करती है. ऐसे में यह भारत सरकार के दायरे में ही आता है.


इकॉनमिक टाइम्स का स्क्रीनशॉट जिसे इस वीडियो में इस्तेमाल किया गया है.
इकॉनमिक टाइम्स का स्क्रीनशॉट जिसे इस वीडियो में इस्तेमाल किया गया है.

'भारत परिवार' चैनल चलाने वाले लोग इन वीडियोज़ से पैसा कमाते हैं. इसके दो सीधे तरीके तो हम ही आपको बता देते हैं. पहला जब ये वीडियो देखे जाते हैं, विज्ञापन से पैसा आता है. दूसरा तरीका ज़्यादा सीधा है. इस चैनल के दूसरे वीडियो के आखिर में एक महानुभाव प्रकट होते हैं. जो वीडियो में किये गए दावों को दोहराते हैं. साथी ही वो लोगों से 100 से 1000 रुपए का योगदान मांगते है. इसके अलावा वो कहते हैं कि उनके दावे गलत हुए तो वो जेल जाने के लिए तैयार हैं. यही अंकित हैं.

यहां से हमारा काम खत्म. अंकित को जेल जाना चाहिए कि नहीं, आप तय करें.




वीडियो-जल्दी कीजिए वरना ये योजना आपके हाथ से निकल जाएगी!