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SSC Scam: 50 करोड़ कैश के अलावा और क्या-क्या रखती हैं अर्पिता मुखर्जी? ये रिपोर्ट दिमाग हिला देगी

इंडिया टुडे की पड़ताल में अर्पिता मुखर्जी को लेकर कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं.

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पार्थ चटर्जी के साथ अर्पिता मुखर्जी (फोटो- इंडिया टुडे)

अर्पिता मुखर्जी. पश्चिम बंगाल के SSC घोटाले में पिछले कई दिनों से यह नाम चर्चा में रहा है. पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी की करीबी अर्पिता को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 23 जुलाई को गिरफ्तार किया था. ED की छापेमारी में मुखर्जी के दो घरों से करीब 50 करोड़ रुपये कैश जब्त किए गए. ये कहानी पुरानी हो चुकी है. अब इंडिया टुडे की पड़ताल में अर्पिता मुखर्जी को लेकर ऐसी कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं. पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन (SSC) भर्ती से जुड़े घोटाले की तह में जाने पर मुखर्जी से जुड़े कई खुलासे हुए हैं.

इंडिया टुडे से जुड़े मुनीष चंद्र पांडेय और मोहम्मद हिजबुल्लाह की रिपोर्ट के मुताबिक अर्पिता मुखर्जी का तीन कंपनियों से लिंक सामने आया है. संदेह जताया गया है कि पार्थ चटर्जी के करीब आने के बाद उन्हें इन कंपनियों का डायरेक्टर बनाया गया. ये सभी कंपनियां कोलकाता में हैं. इनके नाम हैं- सिम्ब्योसिस मर्चेंट्स प्राइवेट लिमिटेड, सेंट्री इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड और इच्छे एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड. इन कंपनियों के बारे में विस्तार से जानेंगे, उससे पहले कहानी में एक नए किरदार की एंट्री हुई है.

कंपनी का को-डायरेक्टर एक कैब ड्राइवर

कोलकाता में रहने वाले कल्याण धर इन तीनों कंपनियों में अर्पिता के पार्टनर हैं. इंडिया टुडे के मुताबिक उसके पास इसके डॉक्यूमेंटेड सबूत भी हैं. हालांकि पड़ताल में सामने आया कि कल्याण धर असल में एक कैब ड्राइवर है. पेपर पर करोड़ों के मालिक धर के पास एक मोटरसाइकिल भी नहीं है. कल्याण धर कोलकाता के नजदीक एक छोटे से घर में रहते हैं. ED की छापेमारी के बाद डर के कारण कल्याण और उसके परिवार ने अपने घर में खुद को कैद कर लिया.

कागजातों के मुताबिक, सिम्ब्योसिस मर्चेंट्स प्राइवेट लिमिटेड 21 मार्च 2011 को बनी थी. यह कंपनी कई तरह के सामानों की थोक बिक्री करती है. अर्पिता पहले से कंपनी की डायरेक्टर थीं. पिछले साल जुलाई में कल्याण धर को भी को-डायरेक्टर बनाया गया. वहीं, सेंट्री इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड खास तरीके की मशीनों को बनाती है. ये सभी जानकारियां कंपनियों के डॉक्यूमेंट्स में दर्ज हैं. अर्पिता को 9 नवंबर 2011 को इस कंपनी का डायरेक्टर बनाया गया था. यह कंपनी एक करोड़ की पूंजी के साथ 2001 में खुली थी. साल 2018 में कल्याण धर को भी कंपनी का डायरेक्टर बनाया गया.

एंटरटेनमेंट कंपनी की पहेली

तीसरी कंपनी इच्छे एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड, जो 29 अक्टूबर 2014 को बनी थी. अर्पिता कंपनी की पहली डायरेक्टर थीं. जब 2018 में कल्याण धर को सेंट्री इंजीनियरिंग लिमिटेड का डायरेक्टर बनाया गया, उसी दौरान उन्हें इस एंटरटेनमेंट कंपनी का भी को-डायरेक्टर बनाया गया. इंडिया टुडे की टीम जब इस एंटरटेनमेंट कंपनी के पते पर पहुंची तो वहां एक मेलबॉक्स में कंपनी के नाम का एक स्लिप मिला.

जब रिपोर्टर ने वहां तैनात गार्ड से बात की तो उन्होंने बताया कि वो जगह एक बैंकेट हॉल है. गार्ड ने बताया, 

"यहां अब कोई नए कार्यक्रम नहीं होंगे. ऑफिस बंद है. ED ने यहां छापेमारी की है. 31 अगस्त की तारीख में हॉल बुक हुई थी. गेस्ट ने कार्यक्रम की अनुमति मांगी थी."

जब गार्ड से पूछा गया कि क्या यह एक वेडिंग हॉल है और किसके नाम पर है तो उन्होंने बताया, 

"हां ये एक वेडिंग हॉल है, लेकिन मुझे नहीं पता कि ये किसका है. मैंने पार्थ साहेब और अर्पिता जी को कई बार यहां देखा है."

किसी और के पते पर दर्ज है प्रॉपर्टी

इंडिया टुडे की पड़ताल में सामने आया कि इच्छे एंटरटेनमेंट का पता जिस पॉपर्टी पर है, वो भी दरअसल किसी और व्यक्ति का है. कोलकाता नगर निगम के रिकॉर्ड में दर्ज पता 95 राजडंगा, मेन रोड कृष्ण गोपाल कर नाम के व्यक्ति के नाम दर्ज है. कृष्ण गोपाल कर के बेटे संजीब कर ने बताया कि इच्छे एंटरमेंट 95 राजडंगा मेन रोड पर नहीं है. कर ने ये भी दावा किया कि इसी पते पर उनका परिवार रहता है और कंपनी ने गलत तरीके से इसका इस्तेमाल किया है. नगर निगम के रिकॉर्ड से पता चलता है कि कर परिवार पिछले कई सालों से उस जगह के लिए प्रॉपर्टी टैक्स दे रहा है.

हालांकि एंटरटेनमेंट कंपनी ने 2014 के बाद लगातार अच्छी कमाई की है. साल 2015 में कंपनी को सिर्फ 2201 रुपये का लाभ हुआ था. लेकिन 6 साल बाद कंपनी की प्रॉफिट 14 लाख रुपये से बढ़कर 40 लाख रुपये हो गई. इसी कंपनी के नाम पर कोलकाता के डायमंड सिटी साउथ में 75 लाख रुपये में एक अपार्टमेंट खरीदा गया. डायमंड सिटी अपार्टमेंट वही प्रॉपर्टी है जहां से ED ने 27.90 करोड़ रुपये कैश बरामद किए थे.

अधिकारियों को संदेह है कि यह एंटरटेनमेंट कंपनी अर्पिता के नाम पर दर्ज एक शेल कंपनी हो सकती है. जिसका इस्तेमाल पार्थ चटर्जी कथित रूप से काले धन को सफेद करने में कर रहे थे. इस काम में उन्होंने प्रॉपर्टी डील्स का भी सहारा लिया था.

दूसरे पते पर भी कोई कंपनी नहीं दिखी

अर्पिता मुखर्जी के नाम दर्ज दूसरी कंपनी सिम्ब्योसिस मर्चेंट्स प्राइवेट लिमिटेड का पता है- 19, नवाब अब्दुल लतीफ स्ट्रीट 22, बेलघरिया, नॉर्थ 24 परगना, कोलकाता. जब इंडिया टुडे की टीम इस कंपनी के पते पर पहुंची तो वहां कोई साइनबोर्ड और बैनर नहीं था. पता चला कि ये वही जगह है जहां अर्पिता की मां रहती हैं. इस पते पर कोई कंपनी नहीं थी, ना ही स्टाफ था. लेकिन डॉक्यूमेंट्स से पता चलता है कि सिम्ब्योसिस कंपनी अपनी सालाना मीटिंग भी इसी पते पर करती है. कंपनी अपनी फाइनैंशियल स्टेटमेंट भी मेंटेन करती है.

तीसरी कंपनी है सेंट्री इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड. रजिस्टर्ड पता है- डायमंड सिटी साउथ, टावर-2, फ्लैट नंबर-1 A, फर्स्ट फ्लोर, कोलकाता. ये वही पता है जहां से ED ने पहली छापेमारी के दौरान 21 करोड़ रुपये कैश बरामद किए थे. इस पते पर भी कोई स्टाफ या कर्मचारी नहीं थे. लेकिन यह कथित कंपनी नियमित रूप से फाइनैंशियल स्टेटमेंट जारी करती है.

रिपोर्ट के मुताबिक अब तक ED की छानबीन में अर्पिता मुखर्जी की 18 प्रॉपर्टी का पता चला है. इनमें से एक प्रॉपर्टी अर्पिता और पार्थ चटर्जी के नाम संयुक्त रूप से दर्ज है. बाकी प्रॉपर्टी अर्पिता मुखर्जी और उनसे जुड़ी कंपनियों के नाम पर हैं. SSC भर्ती घोटाले में ED पैसों की हेरफेर की जांच कर रही है. अब इस जांच का दायरा काफी बड़ा होता जा रहा है. 

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