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रेवड़ी कल्चर पर चल रही भयंकर बहस के बीच जानिए, रेवड़ी बनती कैसे है?

रेवड़ी सर्दी में क्यों खाई जाती है? और इसे घर में कैसे बना सकते है? जानिए सबकुछ

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रेवड़ी कल्चर पर देश में बहस छिड़ी है

साल का पहला महीना जनवरी. इस महीने में जो भी त्योहार होते हैं, उनमें गुड़ और तिल की बनी हुई एक छोटी सी टिकिया खूब खाई जाती है. इस टिकिया का नाम है 'रेवड़ी'. जनवरी बीता फिर ये टिकिया भी गायब हो जाती है. ऐसा इसलिए क्योंकि तिल और गुड़ दोनों रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं, शरीर को गर्म रखते हैं. इसी वजह से इसे सर्दियों में ज्यादा खाया जाता है. लेकिन, पिछले कुछ महीनों से रेवड़ी का नाम गर्मी के मौसम में भी खूब सुनने को मिल रहा है. राजनीतिक गलियारों में 'रेवड़ी' शब्द कई दिनों से काफी चर्चा में है.

Revdi Culture पर PM Modi ने छेड़ी बहस?

सबसे पहले 16 जुलाई को पीएम नरेंद्र मोदी ने 'रेवड़ी कल्चर' पर बोला था, यहीं से इस पर बहस छिड़ गई. बिना किसी का नाम लिए उन्होंने कहा था कि कुछ पार्टियां देश में 'रेवड़ी कल्चर' को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही हैं. पीएम ने कहा कि सभी को मिलकर रेवड़ी कल्चर की सोच को हराना है, ये रेवड़ी कल्चर देश के विकास के लिए बहुत घातक है.

दरअसल, पीएम मोदी का निशाना उन योजनाओं पर था जिनके तहत राजनीतिक पार्टियां चुनाव से पहले लोगों से मुफ्त बिजली, पानी, लैपटॉप, कैश या दूसरी चीजें देने का वादा करती हैं और जीत के बाद ये सब मुफ्त में बांटती हैं.

Revdi Culture पर Arvind Kejriwal और Akhilesh Yadav का जवाब

नरेंद्र मोदी के बयान के कुछ ही घंटे बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रतिक्रिया दी. केजरीवाल ने कहा,

'मुझ पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि केजरीवाल फ्री की रेवड़ियां बांट रहा है, मुझे गालियां दी जा रही हैं. लोगों से पूछना चाहता हूं कि क्या गलतियां कर रहा हूं. अपने देश के बच्चों को मुफ्त और अच्छी शिक्षा देना और लोगों का अच्छा और मुफ्त इलाज करवाना - इसे मुफ्त की रेवड़ी बांटना नहीं कहते. हम एक विकसित और गौरवशाली भारत की नींव रख रहे हैं.'

उधर, सपा के मुखिया अखिलेश यादव ने पीएम मोदी को जवाब देते हुए कहा,

'रेवड़ी बांटकर थैंक्यू का अभियान चलवाने वाले सत्ताधारी अगर युवाओं को रोजगार दें तो वो ‘दोषारोपण संस्कृति’ से बच सकते हैं. रेवड़ी शब्द असंसदीय तो नहीं?'

कई विपक्षी नेताओं ने बीजेपी की योजनाओं पर सवाल उठाए. साथ ही इन्होंने केंद्र सरकार से सवाल करते हुए कहा कि कॉरपोरेट के लाखों करोड़ रुपये के टैक्स को माफ करना 'रेवड़ी कल्चर' में आता है या नहीं.

सुप्रीम कोर्ट ने Revdi Culture पर क्या तीखी प्रतिक्रिया दी?  

रेवड़ी कल्चर का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में 22 जनवरी 2022 को एक जनहित याचिका (PIL) दाखिल की थी. इसमें राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त की घोषणाओं और वादों पर रोक लगाने की मांग की गई थी. साथ ही 'अतार्किक मुफ्त वादे' करने वाले राजनीतिक दलों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने या उनके चुनाव चिह्नों को सीज करने की मांग भी की गई थी.

CJI एनवी रमणा की अध्यक्षता वाली बेंच इस मामले पर सुनवाई कर रही है. 17 अगस्त को सुनवाई के दौरान बेंच ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि राजनीतिक दलों को चुनावी वादे करने से रोका नहीं जा सकता है, लेकिन 'फ्रीबीज' और 'असल कल्याणकारी योजनाओं' के बीच के अंतर को समझना होगा. बेंच ने ये भी कहा कि क्या यूनिवर्सल हेल्थकेयर और पीने के पानी की उपलब्धता को फ्रीबीज माना जा सकता है? मामले पर बहस अब भी जारी है. 23 अगस्त को भी इस मुद्दे पर फिर सुनवाई हुई. जिसमें बेंच ने कहा कि ये गंभीर मसला है और इस पर बहस जरूरी है. इस मामले पर अब अगली सुनवाई बुधवार, 24 अगस्त को होगी.

Revdi बनती कैसे है?

बहरहाल, जब पूरे देश में रेवड़ी शब्द चर्चा में है तो आइये जान लेते हैं कि खाने वाली रेवड़ी आखिर बनती कैसे है? यानी आज हम आपको बताएंगे रेवड़ी बनाने की विधि. रेवड़ी तैयार करने के लिए सबसे पहले एक पैन में पानी और चीनी डालकर गैस पर रख दें. जब चीनी घुल जाए तो चाशनी को गाढ़ा करने के लिए उसमें कॉर्न सिरप डाल दें. कॉर्न सिरप डालने के बाद घोल को लगातार चलाते रहें. जब मिश्रण गाढ़ा हो जाए तो उसमें केवड़ा एसेंस डाल दें.

जब मिश्रण और थोड़ा गाढ़ा हो जाए तो उसमें तिल डालकर अच्छे से मिक्स करें. तिल के मिश्रण को थोड़ा ठंडा होने के बाद उसे बेकिंग मैट या फिर बटर पेपर पर फैला दें. जब घोल थोड़ा ठंडा होकर सूख जाए तो उससे छोटे साइज की रेवड़ियां बना लें. गुड़ की रेवड़ियां भी इसी तरह से बनती हैं, बस गुड़ की रेवड़ी बनाने के लिए आपको शुरुआत में ही चीनी की जगह गुड़ का इस्तेमाल करना पड़ेगा.

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