35000 करोड़ के बाद 2000 करोड़ के घोटाले का आरोप, कौन हैं IAS अधिकारी अनिल टुटेजा?

02:46 AM May 11, 2023 | मनीषा शर्मा
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6 मई को प्रवर्तन निदेशालय ED ने दावा किया कि छत्तीसगढ़ में एजेंसी ने 2,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के शराब घोटाले का खुलासा किया है. इस मामले में राजधानी रायपुर के मेयर और कांग्रेस नेता एजाज़ ढेबर से लंबी पूछताछ हुई है. और उनके बड़े भाई अनवर ढेबर को गिरफ्तार किया गया है. गिरफ्तारी-पूछताछ-अग्रिम ज़मानत का क्रम चल पड़ा है.

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छत्तीसगढ़ में इस साल नवंबर में विधानसभा चुनाव होंगे. ऐसे में चुनाव पूर्व ED के ‘एक्टिव’ होने का आरोप लग रहा है. आरोप का आधार - ED ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेहद करीबी बताए जाने वाले IAS अधिकारी अनिल टुटेजा को भी कथित शराब घोटाले में मुख्य आरोपी माना है. अनिल छत्तीसगढ़ सरकार में डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के ज्वाइंट सेक्रेटरी हैं. 

कौन हैं IAS अनिल टुटेजा?

अनिल टुटेजा का परिवार 1947 में हुए बंटवारे के बाद पश्चिमी पाकिस्तान से आकर बिलासपुर में बसा था. समय के साथ टुटेजा परिवार ने प्रॉपर्टी डीलिंग का कारोबार स्थापित किया. 

बिलासपुर में ही अनिल का जन्म हुआ. पढ़ाई के बाद उन्होंने राज्य लोक सेवा आयोग (PCS) की परीक्षा पास की. आजतक से जुडे़ नरेश शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक वो पहले कांकेर ज़िले के डिप्टी कलेक्टर बने. फिर जॉइंट कलेक्टर के पद पर प्रमोशन मिला और वो भिलाई नगर निगम के आयुक्त बने. साल 2006-07 में अनिल की किस्मत खुली, जब उन्हें IAS अवार्ड हो गया. माने वो राज्य सेवा से भारतीय प्रशानिक सेवा (IAS) में प्रमोट हो गए. बैच मिला 2003 का. 

IAS अवॉर्ड के बाद अनिल टुटेजा पहली बार विवादों में आए अपनी कोचिंग क्लास को लेकर. बिलासपुर में उन्होंने टुटेजा ट्यूटोरियल्स खोला. सरकार में इसकी शिकायत होने के बाद इसे बंद करवाया गया. इसके बाद उनकी पत्नी मीनाक्षी टुटेजा ने रायपुर में मीनाक्षी सलून एंड एकैडमी के नाम से ब्यूटी सैलून खोले. कई नामी-गिरामी लोग इस सलून में आते-जाते थे. जब छत्तीसगढ़ में भाजपा की रमन सिंह सरकार थी, तब मीनाक्षी सलून खूब फला-फूला. इसी ब्यूटी सलून को लेकर ED ने दावा किया है कि यहां दो नंबर के पैसे को एक नंबर का किया जाता है, माने यहां मनी लॉन्ड्रिंग होती है. 

36,000 करोड़ का नान घोटाला, ED और टुटेजा

2015 की शुरुआत में छत्तीसगढ़ में रमन सिंह की भाजपा सरकार का दूसरा कार्यकाल चल रहा था. विपक्ष में बैठी कांग्रेस ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार राशन में घटिया चावल दे रही है. और इसके लिए अधिकारियों ने चावल मिल मालिकों से घूस ली. 

जब बवाल बड़ा हुआ, तो राज्य के एंटी करप्शन ब्यूरो ACB ने जांच शुरू की. नागरिक आपूर्ति निगम (NAN) के दफ्तर पर छापा पड़ा, तो वहां से 3 करोड़ रुपये कैश में बरामद हुआ. इस पैसे का कोई हिसाब-किताब मौजूद नहीं था. राशन की कई दुकानों से चावल और नमक के जो सैंपल लिए थे, वो भी फेल हुए. ACB की जांच में कई दस्तावेज़ और डिवाइस मिले, जिनसे लेनदेन का पता चलता था. आगे चलकर इस मामले की जांच ED ने भी की.

जब ये सब हो रहा था, अनिल टुटेजा नागरिक आपूर्ति निगम के चेयरमैन थे. 36 हज़ार करोड़ के इस कथित घोटाले में 27 लोगों को आरोपी बनाया. 2017-18 में अनिल टुटेजा और एक दूसरे आईएएस अधिकारी, आलोक शुक्ला के खिलाफ मामला दर्ज किया गया, जो तब NAN में प्रबंध निदेशक थे. आज तक के नरेश शर्मा के मुताबिक तब सीएम रमन सिंह तक के खिलाफ सबूत होने की बात कही जाती थी. 

2018 में छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन हुआ और भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार आई. आश्चर्यजनक रूप से टुटेजा और आलोक शुक्ला - दोनों को नई सरकार में पद मिले. इंडिया टुडे से जुड़ी सुमी राजप्पन की रिपोर्ट के मुताबिक, टुटेजा लगातार बघेल के करीब होते गए और उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक उनका मुख्यमंत्री कार्यालय में भी अच्छा खासा दखल है. 2020 में जब बघेल सरकार ने NAN घोटाले की जांच के लिए स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम SIT बनाई. दावा किया जाता है कि इस SIT के सदस्यों को चुनने में दो आरोपियों की बड़ी भूमिका रही - अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला. यही नहीं, मामले की हर जांच रिपोर्ट तक इनके सामने से गुज़रती थी. ये बताता है कि टुटेजा बघेल सरकार में कितने ताकतवर थे. 

2015 से चल रहे इस मामले में अब तक 70 से भी ज़्यादा गवाह पलट चुके हैं. सूबे की आर्थिक अपराध शाखा और ACB की चार्जशीट पर ED ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया था. सो 2020 में टुटेजा छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से अग्रिम ज़मानत ले आए.

2021 में ED सुप्रीम कोर्ट चली गई. और मांग की, कि नान घोटाले की जांच CBI को दी जाए और मामला छत्तीसगढ़ से बाहर ट्रांसफर किया जाए. तब ED की ओर से पेश हुए तुषार मेहता ने ये तक कह दिया था कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जिन जज ने टुटेजा को बेल दी थी, उनसे सीएम बघेल मिलने गए थे. जवाब में छत्तीसगढ़ सरकार और बघेल ने आरोपों का खंडन किया था. बघेल ने कहा था, कि वो कभी किसी जज से नहीं मिले.

2000 करोड़ का शराब घोटाला, ED और टुटेजा

टुटेजा के सितारे गर्दिश में आए, तो एक नियुक्ति के चलते ही. भूपेश सरकार ने उन्हें आबकारी विभाग का सचिव बनाया था. मार्च 2023 में ED ने कई स्थानों पर तलाशी ली थी और कथित शराब घोटाले में शामिल कई लोगों के बयान दर्ज किए थे. एजेंसी का दावा है कि उसने "2019 - 2022 के बीच 2000 करोड़ रुपये के ज़्यादा के भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग" के सबूत एकत्र किए हैं.   
ED का दावा है कि 2019 से 2022 तक, राज्य में बिकी कुल शराब में से 30 से 40 फीसदी शराब ‘अवैध’ थी और इसमें छत्तीसगढ़ सरकार के उच्च अधिकारियों और नेताओं का एक कथित सिंडिकेट शामिल था. ED ने रिमांड आवेदन में दावा किया है कि अनवर-टुटेजा के बीच 14.41 करोड़ रुपये के ट्रांसफर के सबूत उसके पास हैं. आईटी विभाग की मदद से ED ने डिजिटल एविडेंस और व्हाट्सएप चैट कलेक्ट की है. घोटाले में तीन पैटर्न होने की बात सामने आई है: 
- सबसे पहले छत्तीसगढ़ में शराब की बिक्री के हिसाब से शराब सप्लायरों से अवैध कमीशन वसूला गया.
- नकली शराब सरकारी दुकानों में बेची गई. डुप्लिकेट होलाग्राम दिए गए. इसमें डिस्टिलर्स (शराब निर्माता), होलोग्राम निर्माता, बोतल बनाने वाले, ट्रांसपोर्टर, मैनपावर मैनेजमेंट, जिला आबकारी अधिकारी, ट्रांसपोर्टर सबको पैसा दिया और लिया गया. 
- तीसरा पैटर्न था वार्षिक कमीशन का. इसका भुगतान मुख्य डिस्टिलर्स द्वारा डिस्टिलरी लाइसेंस प्राप्त करने और CSMCL (Chhattisgarh State Marketing Corporation Limited) की बाजार खरीद में हिस्सेदारी प्राप्त करने के लिए किया जाता था. 

बेटे पर भी आरोप हैं

2022 के नवंबर में आयकर विभाग ने दिल्ली की तीज़ हज़ारी कोर्ट में एक चार्जशीट दाखिल की थी. इसमें अनवर ढेबर समेत 13 लोगों को आरोपी बनाया गया था. इनमें अनिल के बेटे, यश टुटेजा का नाम भी शामिल था. जांच एजेंसियों का दावा है कि यश और कई वरिष्ठ IAS अधिकारियों के बीच वॉट्सएप चैट मिली है, जिसमें यश अधिकारियों से कह रहे हैं कि जैसा वो बताएं, वैसा करें. इस तरह की चैट में गोपनीय जानकारी होने का भी दावा है और इन्हें सीलबंद लिफाफे में न्यायालय को दिया गया है.

एक नियुक्ति और बाकी थी, अब शायद न मिले

अनिल टुटेजा इस साल सेवानिवृत्त होने वाले हैं. छत्तीसगढ़ कैबिनेट ने पहले ही प्रिंसिपल सेक्रेटरी के पद के सृजन को मंज़ूरी दे दी है, जो कॉन्ट्रैक्ट पर होगा. दावा किया जा रहा था कि इस पद पर टुटेजा की ही नियुक्ति होने वाली थी. लेकिन अब ऐसा हो पाएगा, इसपर बहुत बड़ा प्रश्न खड़ा हो गया है.

टुटेजा ने क्या कहा है?

मज़े की बात ये है कि जिस नान घोटाले की शिकायत कांग्रेस करती थी, वो हुआ था रमन सिंह की भाजपा सरकार के कार्यकाल में. और अब जब कांग्रेस की सरकार है, तो भाजपा नेता जांच में ढिलाई का आरोप लगा रहे हैं. बीते साल रमन सिंह ने भूपेश बघेल पर टुटेजा को संरक्षण देने का आरोप लगाया था. तब टुटेजा ने जवाब देते हुए कहा था कि वो कभी किसी घोटाले में शामिल नहीं रहे. नाहक उनका नाम लिया गया, जिसके चलते उन्हें प्रमोशन नहीं मिला!

वैसे टुटेजा को अंदाज़ा हो गया था कि उनकी गिरफ्तारी भी हो सकती है, इसीलिए वो और उनके बेटे पहले ही सुप्रीम कोर्ट की शरण में चले गए थे. अप्रैल 2023 के आखिर में उन्हें गिरफ्तारी से राहत मिल गई थी.

अब देखना ये है कि अपनी नौकरी के आखिरी महीने टुटेजा शांति से निकाल पाते हैं या नहीं. इसकी संभावना कम लगती है, क्योंकि इसी साल के नवंबर में छत्तीसगढ़ में चुनाव हैं. और ये तूफान उससे पहले शांत हो जाएगा, ऐसा कहने की वजहें फिलहाल नहीं हैं. रही बात भूपेश बघेल की, तो ये देखना होगा कि वो चुनाव से पहले इस बवाल को शांत कर पाते हैं या नहीं.

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