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कौन हैं MSP पैनल के हेड संजय अग्रवाल? उत्तर प्रदेश के PF घोटाले में आया था नाम

संजय अग्रवाल वापस लिए गए कृषि कानूनों के सबसे बड़े हिमायतियों में से एक थे.

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पूर्व IAS संजय अग्रवाल (फाइल फोटो- इंडिया टुडे)

संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने केंद्र सरकार द्वारा MSP के लिए बनाए गए पैनल को खारिज कर दिया है. SKM किसान संगठनों का एक मोर्चा है जिसने सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल से ज्यादा लंबे समय तक चले आंदोलन का नेतृत्व किया था. किसान मोर्चा ने कहा कि MSP के लिए गठित पैनल में अपने तीन प्रतिनिधियों को भेजने की उसकी कोई योजना नहीं है. MSP पैनल में संयुक्त किसान मोर्चा के तीन सदस्यों को भी शामिल किए जाने का प्रावधान है.

सरकार के फैसले के खिलाफ आंदोलन करने वाले संगठनों की मुख्य मांग कृषि कानूनों को वापस लेने और MSP  की कानूनी गारंटी देने की मांग की थी. आंदोलन खत्म होने के 8 महीने बाद सरकार ने कमिटी बना दी है, जो विवादों में घिरती दिख रही है. वहीं, एमएसपी की कानूनी गारंटी को लेकर फिलहाल कोई सुगबुगाहट नहीं दिख रही है.

कमिटी में BJP-RSS के लोग- योगेंद्र यादव

सरकार ने किसानों के आंदोलन के बाद पिछले साल नवंबर में तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया था. 19 नवंबर 2021 को इसकी घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने MSP पर एक कमिटी बनाने का वादा किया था. केंद्र सरकार ने सोमवार 18 जुलाई को नए पैनल के गठन की घोषणा की थी. सरकार ने कहा कि इससे एमएसपी की व्यवस्था 'अधिक प्रभावी और पारदर्शी' बनेगी. लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा इस कमिटी में शामिल किए गए लोगों को लेकर आपत्ति जता रहा है.

दरअसल, MSP पैनल का प्रमुख पूर्व कृषि सचिव संजय अग्रवाल को बनाया गया है. इसके अलावा नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद भी इस कमिटी के सदस्य हैं. इस पैनल में कुल 29 सदस्य होंगे, जिसमें किसान संगठनों के प्रतिनिधि, कृषि वैज्ञानिक, अर्थशास्त्री और केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारी शामिल होंगे.

संयुक्त किसान मोर्चा के कोऑर्डिनेशन कमिटी के सदस्य योगेंद्र यादव ने MSP पैनल का विरोध किया. उन्होंने कहा कि कमिटी में संयुक्त किसान मोर्चा के तीन प्रतिनिधियों की जगह छोड़ी गई है लेकिन बाकी किसान नेताओं के नाम पर सरकार ने अपने 5 वफादार लोगों को ठूस दिया है, जिन्होंने खुलकर तीनों किसान विरोधी कानूनों की वकालत की थी. उन्होंने कहा कि ये सब लोग या तो सीधे बीजेपी-RSS से जुड़े हैं या उनकी नीतियों के हिमायती हैं.

कौन हैं अध्यक्ष संजय अग्रवाल?

संयुक्त किसान मोर्चा के आरोपों के बीच सबसे ज्यादा चर्चा कमिटी के अध्यक्ष संजय अग्रवाल को लेकर है. योगेंद्र यादव ने कहा कि संजय अग्रवाल वही हैं जिन्होंने तीनों किसान विरोधी कानून बनाए थे और अंतिम समय तक उनकी हिमायत की थी. उन्होंने कहा कि नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने उन तीनों कानूनों को ड्राफ्ट किया था. जब साल 2020 में ये कानून संसद से पारित हुए थे, उस वक्त अग्रवाल केंद्रीय कृषि सचिव थे. 1 अक्टूबर 2018 को वे इस पद पर नियुक्त किए गए थे.

संजय अग्रवाल उत्तर प्रदेश कैडर के 1984 बैच के IAS अधिकारी हैं. वो इसी साल मार्च में कृषि सचिव के पद से रिटायर हुए थे. तीन दशक से ज्यादा लंबे करियर में वो केंद्र और राज्य सरकारों के कई अहम पदों पर रहे. तीन कृषि कानूनों के लागू होने के बाद विवाद शुरु हुआ था. इस पर शुरुआत में किसानों से बातचीत की जिम्मेदारी संजय अग्रवाल को ही मिली थी. उन्होंने किसानों को इन कानून के फायदे गिनाने की कोशिश की लेकिन किसान नहीं माने.

इस साल जनवरी में संजय अग्रवाल का नाम तब विवादों में आया था जब उत्तर प्रदेश के चर्चित 'PF घोटाले' में सीबीआई ने उनके खिलाफ जांच के लिए राज्य सरकार की मंजूरी मांगी थी. हालांकि यूपी सरकार ने सीबीआई को पूछताछ की अनुमति नहीं दी थी.

निवेश के फैसले पर अग्रवाल का साइन?

ये मामला उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) के कर्मचारियों के PF के पैसों में गड़बड़ी का था. ये गड़बड़ी 2200 करोड़ रुपये से अधिक की थी. घोटाला जुलाई 2019 में सामने आया था. आरोप लगा कि UPPCL के हजारों कर्मचारियों के PF के पैसे को DHFL समेत कई कंपनियों में निवेश कर दिया गया. संजय अग्रवाल पर आरोप लगा कि उन्होंने पीएफ के पैसों को कर्ज में डूबी कंपनी DHFL में निवेश करने के फैसले पर साइन किए थे. बाद में पता चला कि संजय अग्रवाल के हस्ताक्षर फर्जी थे.

संजय अग्रवाल 2013 से मई 2017 के बीच UPPCL और यूपी पावर एंप्लॉइज ट्रस्ट के चेयरमैन थे. रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2017 में पावर एंप्लॉई ट्रस्ट ने DHFL में करीब 4121 करोड़ रुपये का निवेश किया था. ये पैसे शॉर्ट टर्म फिक्स्ड डिपोजिट योजनाओं में लगाए गए थे. जांच में सामने आया था कि निवेश करने में केंद्र सरकार की गाइडलाइन का उल्लंघन किया गया था. मामले की जांच अब भी जारी है.

संजय अग्रवाल ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक और एमटेक की डिग्री ली है. IAS बनने के बाद इलाहाबाद के एडीएम पद से उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की थी. इसके बाद वो मिर्जापुर, बस्ती सहित कई जिलों के डीएम बने. साल 2001 में उन्हें यूपी के मुख्यमंत्री के सचिव की जिम्मेदारी मिली थी. बाद में यूपी परिवहन निगम के डायरेक्टर भी बनाए गए. साल 2005 में वो केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर कपड़ा मंत्रालय में डेवलपमेंट कमिश्नर के पद पर तैनात हुए. फिर वापस यूपी लौट आए.

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