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सांसद राघव चड्ढा को नोटिस- बंगला खाली करो, पहुंचे कोर्ट पर ये अचानक हुआ क्यों?

राघव चड्ढा को कौन सा बंगला दे दिया, जो अब खाली करवाने पर बवाल हो रहा?

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राघव चड्ढा आम आदमी पार्टी से राज्यसभा सांसद हैं. (इंडिया टुडे)

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा के सरकारी बंगले पर विवाद हो गया है. राज्यसभा सचिवालय ने उन्हें बंगला खाली करने का नोटिस दिया है. राघव ने इस नोटिस के खिलाफ अदालत में याचिका दायर की है. राघव ने कोर्ट से सचिवालय के नोटिस पर स्टे लगाने की मांग की है.

बंगला खाली करने का नोटिस क्यों?

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक राघव चड्ढा को टाइप-VII बंगला मिला है. इसी बात पर विवाद है. वो पहली बार सांसद बने हैं और टाइप-VII सीनियर नेताओं को अलॉट होता है. राज्यसभा सचिवालय का कहना है कि इसी वजह से चड्ढा को बंगला खाली करने के लिए कहा गया है.

अप्रैल 2022 में जारी राज्यसभा सदस्यों की हैंडबुक के अनुसार, पहली बार सांसद के रूप में, चड्ढा टाइप-V आवास के हकदार हैं. हैंडबुक में कहा गया है कि ऐसे सांसद जो पूर्व केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, पूर्व राज्यपाल या पूर्व मुख्यमंत्री हैं और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष हैं, वो ही टाइप-VII बंगले के हकदार हैं. इसी वजह से राघव के बंगले पर विवाद हो गया है. खैर, हम लगे हाथ आपको इन बंगलों की पूरी कहानी समझा देते हैं.

बंगलों की कैटेगरी क्या है?

राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों, सुप्रीम कोर्ट के जजों, सांसदों और ब्यूरोक्रेट्स को दिल्ली में जो सरकारी आवास दिए जाते हैं, वो लुटियंस जोन में आते हैं. अभी लुटियंस बंगले 28 वर्ग किमी से ज्यादा दायरे में है. मौजूदा वक्त में लुटियंस जोन में 1 हजार से ज्यादा बंगले हैं, जिनमें से 65 निजी हैं. बाकी बंगलों में बड़े-बड़े नेता, अफसर, जज और सेना के अधिकारी रहते हैं. टाइप IV से टाइप VIII के आवास सांसदों, केंद्रीय मंत्रियों और राज्य मंत्रियों को दिए जाते हैं. पहली बार चुने गए सांसदों को टाइप IV के बंगले मिलते हैं. टाइप VIII का बंगला सबसे उच्च श्रेणी का होता है. ये बंगले आमतौर पर कैबिनेट मंत्री, सुप्रीम कोर्ट के जज, पूर्व प्रधानमंत्री, पूर्व राष्ट्रपति और वित्त आयोग के चेयरमैन को मिलते हैं.

कैटेगरी के आधार पर ही इन बंगलों में कमरों की संख्या और सुविधाओं का स्तर होता है.

सुविधाएं क्या मिलती हैं?

लोकसभा पूल में कुल 517 रिहायशी ठिकाने हैं. इनमें 159 बंगले, 37 ट्विन फ्लैट, 193 सिंगल फ्लैट, 96 बहुमंजिला इमारतों में फ्लैट और 32 यूनिट्स सिंगुलर रेगुलर ठिकानों की हैं. ये सारे आवास सेंट्रल दिल्ली के नॉर्थ एवेन्यू, साउथ एवेन्यू, मीना बाग, बिशम्बर दास मार्ग, बाबा खड़क सिंह मार्ग, तिलक लेन और विट्ठल भाई पटेल हाउस में हैं.

-बंगलों में टाइप 8 बंगला, सबसे उच्च श्रेणी का माना जाता है. यह लगभग तीन एकड़ (थोड़ा कम-ज्यादा भी) का होता है. इन बंगलों की मुख्य बिल्डिंग में 8 कमरे (5 बेडरूम, 1 हॉल, 1 बड़ा डाइनिंग रूम और एक स्टडी रूम) होते हैं. इसके अलावा कैम्पस में एक बैठकखाना और बैकसाइड (कैम्पस के अंदर ) में एक सर्वेन्ट क्वॉर्टर भी होता है. आम तौर पर टाइप 8 बंगला कैबिनेट मंत्रियों, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश, पूर्व प्रधानमंत्री/राष्ट्रपति (अथवा इनके जीवित पत्नी/पति) और वरिष्ठतम नेताओं को आवंटित किया जाता है. टाइप 8 बंगले जनपथ, त्यागराज मार्ग, कृष्णमेनन मार्ग, अकबर रोड, सफदरजंग रोड, मोतीलाल नेहरू मार्ग और तुगलक रोड पर हैं.

-टाइप 7 बंगला का रकबा एक से डेढ़ एकड़ के बीच होता है. इसमें टाइप 8 बंगलों की तुलना में एक बेडरूम कम (4 बेडरूम) होता है. ऐसे बंगले अशोका रोड, लोधी इस्टेट, कुशक रोड, कैनिंग लेन, तुगलक लेन आदि में हैं. इस प्रकार के बंगले अक्सर राज्य मंत्रियों, दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीशों, कम से कम पांच मर्तबा सांसद रहे व्यक्तियों को आवंटित होता है. राहुल गांधी जिस तुगलक लेन के बंगले में रहते आए हैं, वह टाइप 7 ही है.

पहली बार सांसद बनने वाले लोगों को आम तौर पर टाइप-5 आवास मिलता है. हालांकि नई शर्तों के मुताबिक, उन्हें टाइप-6 आवास भी मिल सकता है. इसके लिए उन्हें कुछ शर्तें तय करनी पड़ती है. इनमें पहले विधायक या राज्य सरकार में मंत्री बनने की शर्तें शामिल हैं. टाइप-5 में भी A,B,C,D-चार कैटेगरी हैं. हर कैटेगरी में पहले वाली से एक बेडरूम ज्यादा है.

बंगले में सांसदों को बिजली, पानी फ़्री मिलता है. पर्दों की धुलाई भी मुफ़्त में होती है. रखरखाव के लिए भत्ता भी दिया जाता है. अगर खर्च 30 हजार से ज्यादा हुआ है तो फिर शहरी विकास मंत्रालय की तरफ से फंड अप्रूव किया जाता है. वहीं 30 हजार तक के खर्च का अप्रूवल हाउस कमिटी कर सकती है.

वीडियो: राहुल गांधी ने सांसदी जाने के बाद बंगला खाली किया, बताया कि अब कहां रहेंगे