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पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्राइवेट न्यूज चैनल ARY क्यों हुआ ऑफ एयर?

हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान में कल बुधवार के दिन गूगल पर सबसे ज्यादा पूछा जाने वाला सवाल था, "Why ARY news is not working?"

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ARY का लोगो.

ARY न्यूज़ पाकिस्तान के सबसे बड़े प्राइवेट न्यूज़ चैनलों में से एक है. मंगलवार और बुधवार के दिन पूरे देश में लोग रिमोट के बटन दबाते रहे, लेकिन चैनल नहीं मिला. पता चला कि चैनल पर राज-द्रोह का आरोप लगा है. और इसी के चलते चैनल को ऑफ एयर कर दिया गया है. चैनल के एक अधिकारी को पुलिस बिना वारंट उठा ले गई, और इतना ही नहीं, चैनल के मालिक, दो एंकर्स पर FIR भी हो गई. 

इसके अलावा एक FIR और हुई. इमरान खान की पार्टी के शाहबाज़ गिल के खिलाफ. उन्हें भी राजद्रोह के आरोप में अरेस्ट कर लिया गया. इमरान खान का कहना है कि ये अरेस्ट नहीं है, बल्कि शाहबाज़ को अगवा कर लिया गया है. ARY के निलंबन को भी उन्होंने साजिश करार दिया है.

ARY न्यूज़ को इमरान और उनकी पार्टी का समर्थक माना जाता है. उनके एक्सक्लूसिव इंटरव्यू इसी चैनल को मिलते हैं. चैनल के मालिक और इमरान के बीच रिश्तों में गर्मजोशी ऐसी है कि इमरान के एक इशारे पर ARY के कर्मचारियों की तनख्वाह बढ़ जाती है.

ARY चैनल का इतिहास?

ARY का इतिहास समझने के लिए पहले उसका फुल फॉर्म जानिए. ARY का फुल फॉर्म है, अब्दुल रज्जाक याकूब. ये कौन हैं? हैं नहीं थे. याकूब की पैदाइश 1944 में सूरत के एक मेमन परिवार में हुई थी. बंटवारे के बाद वो पाकिस्तान चले गए. 1960 में याकूब UAE शिफ्ट हुए और यहां सोने के धंधे में उतर गए. 1972 में उन्होंने गोल्ड की ट्रेडिंग के लिए ARY ग्रुप की शुरुआत की.

ये तो हुई प्रस्तावना. याकूब की असली कहानी शुरू होती है 1993 में. उस साल अक्टूबर में बेनज़ीर भुट्टो प्रधानमंत्री के तौर पर अपना दूसरा कार्यकाल शुरू करती हैं. भुट्टो के PM बनने का सबसे बड़ा फायदा मिला उनके पति आसिफ अली ज़रदारी को. एक सामान्य परिवार से आने वाले ज़रदारी और बेनज़ीर की शादी 1987 में हुई थी. जानकार बताते हैं कि बेनज़ीर के लिए ये शादी एक समझौता थी. शादी न होना, उनकी पॉलिटिक्स के आड़े आ रहा था.

शादी के आठ महीने बाद ही पाकिस्तान के जनरल जिया उल हक़ का प्लेन क्रैश हुआ. और बेनज़ीर पाकिस्तान में लोकतंत्र का चेहरा बन गईं. एक छोटे मार्जिन से चुनाव जीतकर वो सत्ता की कुर्सी पर काबिज़ हो गईं. जनता में खासा उत्साह था कि अब मुल्क की तरक्की होगी. लेकिन जल्द ही ये उत्साह काफूर हो गया. कुछ ही महीनों में उनके पति का नया नामकरण हो गया था, “मिस्टर 10 परसेंट”. सबको पता था ज़रदारी को 10 परसेंट कट दिए बिना पाकिस्तान सरकार से कोई कॉन्ट्रैक्ट नहीं मिल सकता.

इस सब में याकूब का नाम कैसे आया?

90 के दशक में पूरा उप महाद्वीप गोल्ड स्मगलिंग के लिए माकूल बना हुआ था. अरब सागर से दुबई से सोना आता था और कराची के पोर्ट पर उतरता था. एक एस्टीमेट के हिसाब से 1990 से 1993 के बीच हर साल 700 करोड़ का सोना स्मगल करके पाकिस्तान लाया जाता था. 

ऐसे में भुट्टो के प्रधानमंत्री बनते ही याकूब ने सरकार को इस स्मगलिंग को रोकने के लिए एक प्रस्ताव दिया. प्रस्ताव ये था कि सरकार अगर गोल्ड आयात का लाइसेंस ARY ग्रुप को दे देती है तो रज्जाक समग्लिंग पर पूरी तरह लोग लगा देंगे. ये लाइसेंस रज्जाक को दिसंबर 1994 में मिला. लेकिन उससे पहले का दिलचस्प घटनाक्रम सुनिए.

जनवरी 1994 में ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड में एक कंपनी रजिस्टर होती है. कैप्रीकॉर्न ट्रेडिंग नाम की इस कंपनी पर मालिकाना हक़ ज़रदारी का था. इसके नौ महीने बाद अक्टूबर में दुबई की सिटी बैंक ब्रांच में एक अकाउंट खुलता है. ये अकाउंट कैप्रीकॉर्न ट्रेडिंग के नाम पर था. और जिस दिन ये अकाउंट खुला, उसी दिन ARY कंपनी की ओर से इस अकाउंट में 35 करोड़ रूपये जमा कर दिए जाते हैं. दो हफ्ते बाद अकाउंट में  35 करोड़ और जमा होते हैं. और इसके चंद हफ्ते बाद ही ARY को पाकिस्तान में गोल्ड इम्पोर्ट का एक्सक्लूसिव लाइसेंस मिल जाता है. अगले तीन साल तक ARY पाकिस्तान में 3500 करोड़ रूपये का सोना आयात कराती है.

नवम्बर 1996 में भुट्टो की रुखसती होती है. ठीक इसी समय कैप्रीकॉर्न ट्रेडिंग का अकाउंट रातोंरात गायब हो जाता है और साथ ही उसमें मौजूद 280 करोड़ की रकम भी कहीं और ट्रांसफर हो जाती है. अब्दुल रज्जाक याकूब से पूछा जाता है तो वो कहते हैं कि ये किसी की साजिश है और उन्होंने कभी किसी को घूस नहीं दी.

इस मामले ने सालों तक पाकिस्तान की राजनीति को गरमाए रखा. साल 2014 में इस केस में आसिफ अली ज़रदारी को बरी कर दिया गया था. लेकिन रिव्यू पिटीशन के नाम पर केस आज तक चल रहा है. इस बीच साल 2002 में पाकिस्तान सरकार फैसला करती है कि वो प्राइवेट चैनलों को लाइसेंस देगी. अब्दुल रज्जाक ARY न्यूज़ नाम से एक नए चैनल की शुरुआत करते हैं.

इमरान और ARY के रिश्ते की शुरुआत कहां से हुई?

जानकारों का कहना है कि इमरान जब सत्ता की दौड़ की स्टार्टिंग लाइन पर थे, तब भी उन्हें मीडिया में एक पार्टनर की जरुरत थी. इमरान को ये पार्टनर मिला सलमान इकबाल के रूप में. ये कौन हैं?

ये हैं अब्दुल रज्जाक के भतीजे. साल 2014 में अब्दुल रज्जाक की मौत के बाद ARY ग्रुप की कमान इनके हाथ में आ गई थी. सलमान इकबाल को पाकिस्तान के सबसे ताकतवर लोगों में माना जाता है. कुछ रिपोर्ट्स में इनकी संपत्ति 17 अरब रुपए आंकी गई है. ARY ग्रुप के मालिक होने के साथ-साथ सलमान इकबाल क्रिकेट में भी खासी रूचि रखते हैं. और पाकिस्तान सुपर लीग की टीम कराची किंग्स के ओनर है. साल 2017 में इकबाल को एक मैगज़ीन ने दुनिया के 500 सबसे प्रभावशाली मुसलमानों की लिस्ट में शामिल किया था. 

पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के कप्तान बाबर आजम के साथ अक्सर इंस्टाग्राम रील्स में नजर आने वाले सलमान इकबाल यूं तो पूरे पाकिस्तान में फेमस हैं. लेकिन फिर भी उनकी जिंदगी के कई पहलू अब तक सीक्रेट हैं. उनके मां-बाप का नाम भी किसी को नहीं पता. उनकी पैदाइश दुबई में हुई थी. उसके बाद उनकी पढ़ाई और शुरुआती जिंदगी की कोई जानकारी भी पब्लिक में उपलब्ध नहीं है.

रिपोर्ट्स के अनुसार सलमान इकबाल के ARY कमान संभालने के साथ ही चैनल इमरान के पक्ष में झुका हुआ नजर आने लगा था. इमरान लगातार चैनल को एक्सक्लूसिव इंटरव्यू देते रहते हैं. और समय-समय पर चैनल की तरफदारी भी करते हैं. मसलन इसी साल प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद के इमरान के भाषणों पर गौर करिए. इनमें इमरान पाकिस्तान की संस्थाओं को अपने खिलाफ साजिश में शामिल बताते हैं. इनमें वो तमाम मीडिया चैनलों को शामिल करते हैं, सिवाए ARY न्यूज़ के. 

इसी साल फरवरी में उन्होंने चैनल की तरफदारी करते हुए एक ट्वीट किया. इमरान ने लिखा, 

“ARY के अध्यक्ष को बधाई कि उन्होंने मेरे कौल पर अपने कर्मचारियों की तनख्वाह बढ़ा दी.

सलमान इकबाल भी समय-समय पर इमरान खान की तारीफ करते रहते हैं. 2019 में उन्होंने इमरान की तारीफ़ करते हुए कहा, 

“संयुक्त राष्ट्र में ऐतिहासिक भाषण के बाद इमरान मुस्लिम दुनिया के निर्विवाद नेता के रूप में उभरे हैं.”

ARY को इमरान के पक्ष में मानते हुए सत्तारूढ़ PML-N ने चैनल को बॉयकॉट कर रखा है. पार्टी के नेता चैनल पर लगातार हमलावर रहते हैं. PML-N की वाइस प्रेजिडेंट मरियम नवाज ने कुछ महीने पहले एक भाषण के दौरान चैनल पर सीधा निशाना साधा. उन्होंने सलमान इकबाल को गोल्ड स्मग्लर बताया और कहा कि इमरान ने PM रहते हुए इकबाल का 120 करोड़ का टैक्स माफ़ कर दिया था.

आज ARY की चर्चा क्यों?

8 अगस्त की शाम. ARY पर एक डिबेट हो रही थी. इस डिबेट में PTI की ओर से पेश हुए थे इमरान खान के प्रवक्ता, शाहबाज़ गिल. एंकर के अलावा दो और लोग एनालिस्ट के तौर पर डिबेट से जुड़े थे. डिबेट ख़त्म हुई और अगले दिन उसकी एक क्लिप वाइरल हो गई. क्या था इस क्लिप में?

इस क्लिप में गिल सत्तारूढ़ दलों पर निशाना साध रहे थे. लेकिन इसी दौरान उन्होंने एक अदृश्य लक्ष्मण रेखा पार कर दी. उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टियां इमरान और सेना के बीच अलगाव पैदा करने की कोशिश कर रही हैं. साथ में जोड़ा कि पाकिस्तानी फौज के कई निचले और मध्यम दर्ज़े के अफसर और उनके परिवार इमरान और उनकी पार्टी PTI के समर्थक हैं. सरकार अपने मीडिया सेल के जरिए इन लोगों के बीच फेक ख़बरें फैला रही है. और इसका मकसद है सेना और PTI में मतभेद पैदा करना.

पाकिस्तानी फौज और राजनीति के बीच इक्वेशन की जरा सी समझ रखने वाला कोई भी व्यक्ति बता सकता है कि ये ‘नो गो’ ज़ोन है. सो जैसे ही ये क्लिप वायरल हुई सरकार तुरंत हरकत में आई. पहले ARY चैनल को शो कॉज नोटिस जारी किया गया. और चैनल का प्रसारण रोक दिया गया. इसके बाद ARY ग्रुप के मालिक सलमान इकबाल और ARY न्यूज़ के हेड अम्माद यूसुफ के खिलाफ FIR दर्ज़ हुई. और शुरू हुआ गिरफ्तारियों का दौर.

पहली गिरफ्तारी अम्माद यूसुफ की हुई. चैनल की वेबसाइट के अनुसार मंगलवार रात 2 बजे दो गाड़ियां अम्माद के घर पहुंचीं. सादे कपड़ों में पुलिस वाले जबरदस्ती उनके घर में घुसे. घर का गेट बंद था, तब भी पुलिस गेट फांद कर अंदर चली गई और अम्माद के साथ-साथ घर से CCTV रिकॉर्डर भी ले गई. अम्माद पर लगी कई धाराओं में से एक राजद्रोह की धारा भी है. दूसरी गिरफ्तारी हुई शाहबाज़ गिल की. शाहबाज़ पर भी राजद्रोह का मुकदमा लगाया गया है.

गिरफ़्तारी की खबर आते ही इमरान खान का ट्वीट भी आया. उन्होंने दावा किया कि शाहबाज़ को किडनैप किया गया है. इसके बाद इमरान अपना पुराना राग दोहराने लगे. उन्होंने कहा कि जो कल तक अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सेना की बुराई करते थे, आज वो हमें देशद्रोही बता रहे हैं.

सरकार ने क्या कहा? 

सरकार की तरफ से आतंरिक मामलों के मंत्री राना सनाउल्लाह मीडिया से मुखातिब हुए. उन्होंने कहा कि ये सारा प्लान इमरान का रचा हुआ है. उनकी ही इशारे पर शाहबाज़ गिल ने डिबेट में सेना के खिलाफ बात कही. सनाउल्लाह ने दावा किया कि इमरान उन पर हाल ही में साबित हुए आरोपों से ध्यान भटकाने के लिए ऐसे बयान दिलवा रहे हैं.

सनाउल्लाह किन आरोपों की बात कर रहे हैं?

इसी महीने की 2 तारीख को पाकिस्तान के इलेक्शन कमीशन ने इमरान के खिलाफ फैसला सुनाया था. इमरान पर आरोप थे कि उन्होंने और विदेशी कंपनियों से फंड लिया और उस फंड का खुलासा नहीं किया. इस फैसले के आने के बाद से ही इमरान के तेवर बगावती हैं. जिस दिन ये फैसला आया उस दिन इस्लामाबाद के रेड जोन इलाके में भारी सुरक्षा का बंदोबस्त किया गया था. रेड ज़ोन इस्लमाबाद का वो इलाका है जहां सरकारी बिल्डिंग हैं. आशंका थी कि इमरान समर्थक हंगामा कर सकते हैं, इसलिए यहां 1000 से ज्यादा पुलिस बल तैनात किया गया था. सत्तारूढ़ पार्टियां इस मामले में इमरान के इलेक्शन लड़ने पर रोक लगाने की मांग कर रही हैं.

इसके अलावा दूसरा केस जिसमें इमरान फंसते दिख रहे हैं, वो है तोशाखाना केस. तोशाखाना, पाकिस्तानी सरकार का एक डिपार्टमेंट है. विदेशी गणमान्य व्यक्तियों की तरफ से पाकिस्तान के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, संसद या सरकार के मंत्रियों को जो भी तोहफे मिलते है, उसका हिसाब तोशाखाना डिपार्टमेंट रखता है. इमरान पर आरोप है कि प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने इन तोहफों को अपने पास रख लिया, जबकि इन्हें तोशाखाने में जमा करना होता है. नियम के अनुसार प्रधानमंत्री मिले हुए तोहफों को अपने पास रख सकता है लेकिन इसके लिए उसे तोहफे की कीमत की आधी रकम जमा करानी पड़ती है. 

इसके अलावा ये आरोप ये भी है कि इमरान ने बिना तोशाखाने में जमा कराए तोहफों को बेच डाला. और 20% रकम सरकार के पास जमा करा दी. इन तोहफों की कुल कीमत करीब 14 करोड़ रूपये है जबकि इमरान ने सिर्फ 3 करोड़ जमा करवाए.

विशेषज्ञों के अनुसार पंजाब सूबे में हुए बाई इलेक्शन की जीत के बाद इमरान नए उत्साह से भरे हुए थे. लेकिन इन दोनों मामलों के चलते इमरान प्रेशर में हैं. सरकार उनके इलेक्शन लड़ने पर रोक लगाने की मांग कर रही है. ऐसे में इमरान की पार्टी के प्रवक्ता का फौज पर सवाल उठाना सिर्फ इत्तेफाक नहीं लगता.

फ़ौज की क्या भूमिका है?

इस मामले में फौज का क्या नजरिया है इसके लिए एक बयान सुनिए. इमरान की पार्टी PTI के समर्थन से पंजाब के मुख्यमंत्री बने परवेज़ इलाही ने मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में दावा किया कि इमरान फौज से अपने रिश्ते सुधारना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि इस मसले पर बातचीत जारी है. ताजा मामले में उन्होंने इमरान को सलाह देते हुए कहा कि उन्हें किसी भी एंटी-आर्मी बयान से किनारा करना चाहिए.

बहरहाल, लेटेस्ट अपडेट ये हैं कि शाहबाज़ गिल को दो दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. और सिंध प्रान्त के हाई कोर्ट ने सरकार को आदेश सुनाया है कि ANY न्यूज़ को तुरंत बहाल किया जाए.

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