गुजरात विधानसभा (Gujarat Assembly) में अनुचित व्यवहार के आरोप में 15 विधायकों 21 सितंबर को एक दिन के लिए सस्पेंड कर दिया गया. इनमें निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी (Jignesh Mewani) का भी नाम शामिल रहा. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गुजरात विधानसभा में विपक्ष के नेता सुखराम राठवा ने सरकारी कर्मचारियों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और किसानों के मुद्दों पर 30 मिनट की विशेष चर्चा की मांग की. स्पीकर निमाबेन आचार्य इसके लिए तैयार नहीं हुईं. जिसके बाद नाराज़ होकर जिग्नेश मेवानी और कांग्रेस के कुछ विधायक सदन के बीचों बीच आ गए. इन विधायकों ने जमकर नारेबाजी की.
गुजरात विधानसभा के मानसून सत्र से मेवानी और कांग्रेस के 14 विधायक सस्पेंड क्यों हुए?
गुजरात विधानसभा का मानसून सत्र 21 सितंबर को शुरू हुआ है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन विधायकों ने "कर्मचारियों को न्याय दो", "वन कर्मचारियों को न्याय दो", और “पूर्व सैनिकों को न्याय दो” जैसे नारे लगाए. विधानसभा में विपक्ष के उपनेता शैलेश परमार ने कहा,
"जब इतने सारे राज्य कर्मचारी अपने लंबित मुद्दों पर आंदोलन कर रहे हैं, तो बीजेपी सदन में चर्चा करने के लिए तैयार क्यों नहीं होती?"
रिपोर्ट्स के अनुसार, स्पीकर के ऑर्डर के बाद भी विपक्ष के विधायकों ने अपनी सीटों पर वापस बैठने से इनकार कर दिया. इसके बाद गुजरात के विधायी एवं संसदीय कार्य मंत्री राजेंद्र त्रिवेदी ने इन विधायकों के निलंबन का प्रस्ताव रखा. बहुमत के साथ आचार्य ने मेवानी और कांग्रेस के 14 अन्य विधायकों को एक दिन के लिए निलंबित कर दिया. जिसके बाद मार्शलों ने उन्हें सदन से बाहर निकाल दिया.
इधर गुजरात विधानसभा का दो दिवसीय सत्र 21 सितंबर को शुरू हुआ. इस साल के अंत तक नए सदन के गठन होने से पहले यह आखिरी सत्र है. गुजरात में इस साल दिसंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं. कांग्रेस के निलंबित विधायकों में इमरान खेड़ावाला, गेनीबेन ठाकोर, अमरीश डेर, पुना गामित, बाबू वाजा, नौशाद सोलंकी और प्रताप दुधात शामिल हैं.