क्या UPI पेमेंट पर आपकी जेब से चुंगी कटेगी? माने जब आप फोन से क्यू आर कोड स्कैन करके अपनी खून पसीने की कमाई खर्च करेंगे, तो क्या आपको पैसे देने के भी पैसे देने पड़ेंगे? ये सवाल जनता पूछ रही है. क्योंकि NPCI के एक ऐलान ने सबको कंफ्यूज़ और मायूस कर दिया है. आइए इस कंफ्यूज़न को दूर करें, ताकि मायूसी भी दूर हो.
हुआ क्या है?
UPI ऑपरेट करने वाली संस्था है नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया NPCI. इसने एक नोटिस जारी करके कहा है कि एक अप्रैल से प्रीपेड पेमेंट इंस्टूमेंट्स के ज़रिए मर्चेंट ट्रांजेक्शन (Merchant Transactions) पर 1.1 फीसदी तक इंटरचेंज फीस लगने वाली है. इस अंग्रेज़ी का सादी हिंदी में अनुवाद यही है कि चुंगी कटेगी. लेकिन आपकी नहीं. दुकानदार की. वो भी तब, जब आप 2 हजार रुपये से अधिक के मर्चेंट ट्रांजेक्शन के लिए प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट्स का इस्तेमाल करेंगे.
प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट्स क्या बला है?
इसका सबसे बढ़िया उदाहरण है पेमेंट वॉलेट्स. मसलन पेटीम वॉलेट, फोनपे वॉलेट या एमेज़ॉन पे. इसके अलावा जो गिफ्ट कार्ड्स होते हैं, वो भी इसी श्रेणी में आते हैं. इन सबमें एक बात कॉमन है. आप अपने बैंक खाते से पेमेंट वॉलेट में पैसा डालते हैं. और फिर इस डिजिटल बटुए से आगे पेमेंट होती है.
चुंगी का नाम - इंटरचेंज फीस
जब आप दुकानदार को पैसे चुकाते हैं, तो दुकानदार का बैंक या जो भी पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर (बिचौलिया) होता है, वो दुकानदार से इंटरचेंज फीस वसूलता है. माने चुंगी आपकी नहीं कटने वाली, दुकानदार की कटेगी. ये वैसा ही है जैसा क्रेडिट कार्ड से पेमेंट के वक्त होता था. दुकानदार आपसे ज़्यादा पैसे इसीलिए मांगता था, क्योंकि लेनदेन पर उसका बैंक/सर्विस प्रोवाइडर उससे चुंगी वसूलता था.
चुंगी कब कटेगी और कब नहीं, इसे लेकर दिनभर जनता अपना परम्यूटेशन-कॉम्बिनेशन लगाती रही. सो NPCI ने एक ट्वीट जारी करके स्थिति साफ की. वो ट्वीट आपको नीचे नज़र आ रहा होगा. उसके बाद भी अगर कोई सवाल बाकी है, तो आप स्क्रोल कीजिए. जवाब मिलेंगे.
चुंगी कब कटेगी?
जब आप दुकानदार (मर्चेंट) का क्यू आर कोड स्कैन करके (माने UPI इस्तेमाल करते हुए) अपने पेमेंट वॉलेट से 2000 रुपए से ज़्यादा की रकम चुकाएंगे. तब 1.1% तक का चार्ज लगेगा.
चुंगी कब नहीं कटेगी?
जब आप दुकानदार का क्यू आर कोड स्कैन करके अपने पेमेंट वॉलेट से 2000 रुपए से कम रकम चुकाएंगे.
जब आप दुकानदार का क्यू आर कोड स्कैन करके सादा UPI पेमेंट करेंगे. इसमें आपके बैंक खाते से पैसे सीधे दुकानदार के बैंक खाते में जाते हैं.
जब आप दुकानदार का फोन नंबर मांगकर उसपर पैसे भेज देंगे. ये पैसा फोन नंबर से लिंक्ड बैंक अकाउंट में ही जाता है.
जब आप महीने के आखिर में अपने दोस्त से उधार लेंगे और तनख्वाह आने पर उसे UPI से लौटाएंगे.
अलग अलग काम, अलग अलग चुंगी
NPCI ने अलग-अलग सेक्टर के लिए अलग-अलग चार्ज निर्धारित किए हैं. जिसके तहत ईंधन पर 0.5 प्रतिशत; टेलीकॉम, पोस्ट ऑफिस, एजुकेशन, और कृषि पर 0.7 प्रतिशत, सुपरमार्केट में 0.9 प्रतिशत व म्यूचुअल फंड, इंश्योरेंस और रेलवे सर्विसेज पर 1 प्रतिशत तक इंटरचेंज फीस देनी होगी. कन्वीनियंस स्टोर (किराना दुकान) पर ये फीस 1.1 प्रतिशत होगी.
नया आदेश 1 अप्रैल से लागू होने के बाद NPCI इस नियम की 30 सितंबर, 2023 या उससे पहले समीक्षा करेगा.
दुकानदार की चुंगी कटेगी, तो वो आपको छोड़ देगा?
केक कटेगा, तो सबमें बंटेगा. ये सही है कि फीस दुकानदार पर लगेगी, ग्राहक पर नहीं. लेकिन स्वाभाविक ही है कि अगर दुकानदार को चुंगी देनी पड़ी, तो वो अपनी जेब से तो देने से रहा. तो हो सकता है कि जिस तरह कार्ड पेमेंट पर दुकानदार ज़्यादा पैसे मांगते थे, वही अब भी होने लगे. लेकिन ऐसा आपके साथ वाकई होगा, इसकी संभावना काफी कम है. क्योंकि भारत में 99 फीसदी से ज़्यादा UPI पेमेंट सीधे बैंक खातों के बीच में होते हैं. ये लेन-देन फ्री था, फ्री है. एक बहुत ही छोटा वर्ग है, जो पेमेंट वॉलेट्स का इस्तेमाल करता है. उनका इस्तेमाल भी बहुत बड़ी पेमेंट्स में नहीं होता. कई लोग ऐसे हैं, जिनकी गाड़ी का टोल पेमेंट वॉलेट्स से कटता है. लेकिन वहां भी एक पेमेंट 2000 को पार करे, इसकी संभावना न के बराबर है.
तो चिल. आपका UPI जैसा था, वैसा का वैसा ही है. कम से कम अब तक.