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अमेरिका में गर्भपात का अधिकार खत्म, सुप्रीम कोर्ट के 50 साल पुराने फैसले को पलटने पर बवाल!

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की अभी से पूरी दुनिया में आलोचना होने लगी है.

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अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के बाहर प्रजनन अधिकार कार्यकर्त्ता (AP)

अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के गर्भपात (Abortion) के संवैधानिक अधिकार को समाप्त कर दिया है. उसने 1973 के चर्चित ‘रोए बनाम वेड’ (Roe v. Wade) के फैसले को पलट दिया है, जिसमें महिला के गर्भपात के अधिकार को सुनिश्चित किया गया था. दुनियाभर में अभी से इस फैसले की आलोचना शुरू हो गई है. कहा जा रहा है कि ये फैसला अमेरिका में गर्भपात के अधिकारों को बदल देगा. इससे वहां के राज्यों को अब गर्भपात की प्रक्रिया पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार मिल जाएगा, जिसके लिए कभी एक लंबी लड़ाई वहां लड़ी गई थी.

BBC की ख़बर के मुताबिक जब सुप्रीम कोर्ट ये फैसला देने वाला था, उस समय कोर्ट के बाहर दोनों पक्षों के प्रदर्शनकारी इकट्ठा हो गए थे. पुलिस ने उन्हें किसी तरह अलग किया हुआ था. फैसले के बाद जहां गर्भपात के विरोधियों में खुशी की लहर दौड़ गई, वहीं इस अधिकार के समर्थकों में गहरी निराशा छा गई है. इनमें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा भी शामिल हैं. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर ओबामा ने ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने लिखा है,

आज सुप्रीम कोर्ट ने न केवल लगभग 50 वर्षों की मिसाल को उलट दिया, बल्कि उसने कई राजनेताओं और विचारकों की सनक की वजह से लोगों के व्यक्तिगत निर्णय लेने के फैसले को खत्म करवा दिया है. ये लाखों अमेरिकियों की स्वतंत्रता पर हमला है.

वहीं ब्रिटिश एमपी जेरेमी कॉर्बिन ने भी इस फैसले की कड़ी आलोचना की. उन्होंने ट्वीट कर लिखा,

‘रोए वी वेड’ को पलटने का अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का फैसला उन लाखों लोगों के लिए विनाशकारी है, जिन्होंने हर राज्य में प्रजनन अधिकारों के लिए संघर्ष किया और इन्हें जीता. हम दुनियाभर में गर्भपात के अधिकारों और स्वास्थ्य सेवा तक लोगों की पहुंच के लिए सभी संघर्षों के साथ खड़े हैं.

इसके अलावा ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भी इस फैसले को 'पिछड़ा हुआ कदम' बताया है.

‘रोए वी वेड’ का फैसला क्या था?

अमेरिका में गर्भपात हमेशा से एक बेहद संवेदनशील मुद्दा रहा है. महिलाओं के पास गर्भपात का अधिकार होना चाहिए या नहीं इसको लेकर अमेरिका में धार्मिक कारक भी भूमिका निभाते आए हैं. साथ ही ये मुद्दा रिपब्लिकन्स (कंजरवेटिव) और डेमोक्रेट्स (लिबरल्स) के बीच भी विवाद का का कारण बनता आया है. ये मसला 1973 में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जिसे ‘रोए वी वेड’ के मुकदमें के नाम से भी जाना जाता है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में अमेरिका के संविधान का हवाला देते हुए कहा था कि वो महिलाओं के गर्भपात के चुनाव के अधिकार की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है. लेकिन करीब 50 साल बाद अपने फैसले को पलटकर कोर्ट ने एक नई और वैश्विक बहस को जन्म दे दिया है. आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर होने वाली चर्चा गौर करने लायक होगी.