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न्यूड होकर शरीर पर बेटे से कराई पेंटिंग, HC ने महिला पर जो बोला, अच्छे अच्छों को हजम नहीं होगा

हाई कोर्ट ने महिला के खिलाफ पूरा केस ही ख़ारिज कर दिया

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रेहाना फातिमा के खिलाफ केस को केरल हाई कोर्ट ने खारिज किया. (फाइल फोटो: रेहाना फातिमा का फेसबुक अकाउंट और आजतक)

केरल की रहने वाली एक्टिविस्ट रेहाना फातिमा के खिलाफ तीन साल पहले हुए एक केस को केरल हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है. साल 2020 में उनका एक सेमी-न्यूड वीडियो वायरल हुआ था, जिस पर काफी बवाल हुआ था. रेहाना पर POCSO एक्ट, IT एक्ट और जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धाराओं के तहत केस हुआ था. रेहाना के खिलाफ इस केस को केरल हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि न्यूडिटी का मतलब हमेशा अश्लीलता नहीं होता.

5 जून को आए केरल हाई कोर्ट के फैसले में कहा गया,

"यहां एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें एक मां ने पितृसत्तात्मक रूढ़िवादिता को चुनौती देने की कोशिश की. उसके खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाया गया. आरोप लगाया गया कि महिला ने यौन संतुष्टि के लिए अपने ही बच्चों का शोषण किया. अपने बच्चों के साथ एक मां का बॉडी आर्ट प्रोजेक्ट 'आपराधिक मामला' बन गया."

रेहाना के खिलाफ मामला क्या था?

रेहाना ने 19 जून, 2020 को एक वीडियो फेसबुक पर शेयर किया था. #BodyArtandPolitics के साथ. वीडियो में रेहाना टॉपलेस थीं. उनके दो छोटे बच्चे, एक बेटा और एक बेटी ने उनके शरीर के ऊपरी हिस्से पर पेंटिंग की थी. रेहाना के मुताबिक उन्होंने ये वीडियो ये बताने के लिए बनाया था कि औरत को समाज के सामने अपने शरीर और सेक्स को लेकर ओपन होने की जरूरत है. उस समाज के सामने जहां सेक्स और न्यूडिटी को टैबू माना जाता है.

रेहाना ने फेसबुक पर लिखा था,

“औरत का शरीर, उसकी नग्नता 55 किलो मांस से कहीं ज्यादा है. औरतें अगर लेगिंग्स भी पहनती हैं, तो पुरुषों को उत्तेजना हो जाती है. लेकिन पुरुष कैसे भी अपनी आधी टांगें खुली करके घूमता रहता है. उनके शरीर को लेकर कोई उन्हें जज नहीं करता. सेक्शुअलिटी से जुड़ी जानकारी लोगों को गलत तरीके से दी जा रही है. जैसे सुंदरता देखने वालों की आंखों में होती है, वैसे ही पॉर्न भी देखने वालों की आंखों में ही होता है. कोई भी बच्चा जो अपनी मां को नग्न देखता है, कभी भी किसी औरत के शरीर को प्रताड़ित नहीं करेगा. इसलिए औरतों के शरीर और सेक्शुअलिटी को लेकर जो गलत धारणा बन गई है, उसे खत्म करने की वैक्सीन घर से ही शुरू की जानी चाहिए.”

वीडियो सामने आने पर काफी बवाल हुआ था. वीडियो को अश्लील और असभ्य कहा गया. इसके बाद केरल पुलिस ने रेहाना के खिलाफ केस दर्ज किया था. मामले की जांच हुई. एर्नाकुलम के एडिशनल सेशल कोर्ट में रिपोर्ट फाइल की गई. रेहाना कोर्ट के सामने पेश हुईं और उन्हें बेल दी गई. इसके बाद रेहाना की ओर से इस मामले को खारिज करने की अर्जी दी गई. लेकिन उनकी अपील खारिज कर दी गई. एडिशनल सेशल कोर्ट के उसी आदेश को केरल हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी.

रेहाना के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम, 2012 (POCSO), सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT एक्ट), 2000 और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धाराओं के तहत चार्जशीट दाखिल की गई थी.

हाई कोर्ट में अपनी अपील में रेहाना ने कहा कि ‘बॉडी पेंटिंग' समाज के उस दृष्टिकोण के खिलाफ थी, जिसके तहत माना जाता है कि औरत का शरीर यौन संतुष्टि या यौन क्रियाओं से जुड़ा है. कोर्ट ने रेहाना की इन बातों पर गौर किया कि वीडियो ऐसी धारणाओं को चुनौती देने के लिए बनाया गया था. 

केरल हाई कोर्ट ने क्या कहा?

रेहाना को राहत देते हुए केरल हाई कोर्ट ने कहा कि वीडियो को अश्लील नहीं माना जा सकता है. जस्टिस कौसर एडप्पागथ ने पुरुष और महिला के शरीर को लेकर समाज के दोहरे मानकों का जिक्र किया.

केरल हाई कोर्ट के फैसले में कहा गया कि पुरुषों के शरीर के ऊपरी हिस्से की नग्नता को अश्लील या असभ्य नहीं माना जाता है. कोर्ट ने कहा,

"पुरुष शरीर की स्वायत्तता पर शायद ही कभी सवाल उठाया जाता है, जबकि पितृसत्तात्मक संरचना में शरीर पर महिलाओं की स्वायत्तता लगातार खतरे में है. महिलाओं को उनके शरीर और जिंदगी से जुड़े चुनाव करने पर परेशान किया जाता है, उनके साथ भेदभाव किया जाता है, उन्हें अलग-थलग कर दिया जाता है और उन पर मुकदमा चलाया जाता है."

इस मामले में कोर्ट की राय थी कि एक मां का अपने शरीर को अपने बच्चों के लिए कैनवास की तरह इस्तेमाल करने देने में कुछ भी गलत नहीं था. यह केवल इसलिए था कि बच्चों को न्यूड बॉडी को सामान्य तौर पर देखने के कॉन्सेप्ट के लिए संवेदनशील बनाया जा सके.

कोर्ट ने कहा,

"आर्ट प्रोजेक्ट के तौर पर मां के ऊपरी शरीर पर उसके बच्चे द्वारा की गई पेंटिंग को सेक्सुअल एक्ट नहीं माना जा सकता है और न ही यह कहा जा सकता है कि इसे यौन संतुष्टि के मकसद से या सेक्सुअल इरादे से किया गया."

रेहाना फातिमा के खिलाफ दलील दी गई कि उन्होंने वीडियो में अपने शरीर के ऊपरी हिस्से को बिना कपड़ों के दिखाया है, इसलिए यह अश्लील और असभ्य है. हालांकि, इस दलील को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि ‘नग्नता का मतलब हमेशा अश्लीलता नहीं होता.’

वीडियो: सबरीमाला की एक्टविस्ट रहीं रेहाना के सेमी न्यूड वीडियो पर बवाल क्यों मचा?