सालभर बाद शिकायत करना गलत- रेप मामले पर BJP MP साध्वी प्रज्ञा का घटिया बयान

06:01 PM May 23, 2022 | कुसुम
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भोपाल की सांसद साध्वी प्रज्ञा का एक वीडियो वायरल है. वीडियो में वो एक रेप विक्टिम पर सवाल खड़े करती दिख रही हैं. कह रही हैं कि एक-डेढ़ साल बाद शिकायत करना गलत है. कह रही हैं कि किसी को पुरुष होने की सज़ा नहीं मिलनी चाहिए.

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रेप का मामला क्या है और Sadhvi Pragya ने क्या कहा?

11 मई को एक महिला रेलवे कर्मचारी ने रेलवे के ADRM गौरव सिंह पर रेप का आरोप लगाया था. महिला का आरोप था कि रेलवे में अनुकंपा नियुक्ति दिलाने के नाम पर ADRM ने उनका यौन उत्पीड़न किया है. महिला ने ये भी कहा था कि नौकरी लगने के बाद भी वह लगातार उन्हें सेक्शुअली अब्यूज़ करता था. पीड़िता ने मामले में FIR दर्ज करवाई. ADRM के ख़िलाफ़ सेक्शन-376 (बलात्कार) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया गया.

22 मई को ऑल इंडिया ट्रेन कंट्रोल असोसिएशन के कार्यक्रम में MP साध्वी प्रज्ञा पहुंची हुई थीं. भाषण दिया. भाषण में वर्कप्लेस हैरेसमेंट को ग़लत बताया. यहां तक कि मंच पर ही ADMR गौरव सिंह के अपराध से जुड़ी जानकारी DRM से मांग ली, लेकिन इसी बीच अपने भाषण में उन्होंने पीड़िता को ही ग़लत बता दिया. कहा,

"आज मैंने ख़बर पढ़ी कि एक सीनियर ADRM ने नौकरी का लालच देकर एक महिला का शोषण किया. मुझे लगता है कहीं न कहीं उस महिला की भी ग़लती है. अगर किसी ने आपको लोभ दिया है, लालच दिया और लोभ और लालच में आकर आपने ख़ुद को उसको समर्पित कर दिया, फिर साल डेढ़ साल बाद आप उसकी शिकायत करेंगे, तो मुझे लगता है, ये ग़लत है. पुरुष होने का दंड किसी को नहीं मिलना चाहिए."

हालांकि, इसके बाद उन्होंने कहा कि मोदी जी के राज में महिलाओं को किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी. कोई परेशान करता है तो महिलाएं सीधे उनके (सांसद प्रज्ञा) के पास जाएं. उन्होंने कहा,

"एक बार तो आना चाहिए था, बताना चाहिए था कि मेरे साथ ऐसा हो रहा है. पहले आपने स्वीकृति दी, आपने एक लोभ में आकर अपने आपको समर्पित किया. ये महिला की ग़लती है."

ये इस तरह का पहला मामला नहीं है. जब किसी पुरुष ने अपने पद का ग़लत इस्तेमाल करके किसी महिला का यौन उत्पीड़न किया हो. इसके बावजूद सांसद महोदया का ये कहना कि किसी पुरुष को इसलिए दंड नहीं मिलना चाहिए कि वो पुरुष है, बेतुका और भद्दा लगता है. दो बातें हैं जो सांसद प्रज्ञा की बेहद आपत्तिजनक हैं-

1. महिला ने सहमति दी, उसकी गलती. यहां इस बात को पूरी तरह इग्नोर कर दिया गया कि एक पुरुष अधिकारी अपने पद का ग़लत इस्तेमाल करता है, एक लड़की को अपने साथ सोने के लिए मजबूर करता है. उस नौकरी के बदले जो उस लड़की का अधिकार है. वो शख्स बाद में कई बार उस लड़की का रेप करता है, लेकिन पुरुष ग़लत नहीं है. न पद का ग़लत इस्तेमाल करते हुए, न लड़की को धमकाते हुए, न उसका रेप करते हुए. लड़की ग़लत है क्योंकि उसने सहमति दी!

2. एक-डेढ़ साल बाद रेप का आरोप लगाना गलत. क़ानून के मुताबिक़, रेप की शिकायत दर्ज कराने की कोई तय समयसीमा नहीं है. माने एक दिन, एक साल, पांच साल, 10 साल में कभी भी कोई महिला अपने साथ हुई यौन हिंसा की शिकायत दर्ज करवा सकती है. और, पुलिस शिकायत दर्ज करने या जांच करने से इनकार नहीं कर सकती है.

तय समयसीमा न होने की एक बड़ी वजह है हमारे समाज की मानसिकता, जो रेप या यौन शोषण के विक्टिम को विक्टिम की तरह नहीं दोषी की तरह देखती है. आज इसी मानसिकता का परिचय देती दिखीं साध्वी प्रज्ञा. ये बात एकदम सही है कि किसी भी व्यक्ति को उसके जेंडर के आधार पर न कोई फ़ायदा मिलना चाहिए और न ही कोई दंड. लेकिन एक फैक्ट ये भी है कि सेक्स के लिए एक बार सहमति देने का मतलब ये नहीं है कि कोई पुरुष आजीवन उसके साथ सेक्स कर सकता है.

एक नज़र आंकड़ों पर भी डाल लेते हैं. नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे यानी NFHS के हालिया आंकड़ों में इस बात को हाईलाइट किया गया है कि अपने जीवन में सेक्सुअल हरासमेंट का सामना करने वाली महिलाओं में से केवल 7% पीड़िताएं अपने केस को आगे लेकर जाती हैं. वजह? यौन शोषण और रेप से जुड़ा सोशल स्टिग्मा. कुछ विक्टिम्स ख़ुद चुप रह जाती हैं, कुछ परिवार की इज़्ज़त के नाम पर चुप करवा दी जाती हैं. और, जो इन सबसे जूझकर शिकायत दर्ज करने पहुंचती भी हैं, उन्हें हमारे नेताओं के ऐसे बयान डिसकरेज कर देते हैं.


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