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सुप्रीम कोर्ट जज ने बिलकिस बानो केस में क्या पूछ लिया कि बवाल मच गया?

जस्टिस अजय रस्तोगी के एक बयान पर खूब बवाल हो रहा है.

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बिलकिस बानो केस में जस्टिस अजय रस्तोगी के बयान की लोग आलोचना कर रहे हैं. (फोटो - इंडिया टुडे)

केवल. मात्र. बस. सिर्फ़. निरा. महज़. अलग-अलग भाषाओं से आए ये सारे शब्द एक ही संदर्भ में इस्तेमाल किए जाते हैं. अंग्रेज़ी में इसके लिए शब्द है, merely. आज इसी शब्द पर विवाद है. विवाद जुड़ा है सुप्रीम कोर्ट के एक जज के बयान से.

आज, यानी 25 अगस्त को बिलकिस बानो गैंगरेप केस (Bilkis Bano Gangrape Case) के दोषियों की रिहाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुजरात और केंद्र सरकार को नोटिस भेजा. और, सवाल किया कि दोषियों को किस आधार पर छोड़ा गया है? कोर्ट ने सरकारों को जवाब देने के लिए दो हफ़्ते का समय दिया है. एक निर्देश और दिया कि सभी 11 दोषियों को भी इस मामले में पक्षकार बनाया जाए.

'merely' पर क्या विवाद है?

15 अगस्त को गुजरात सरकार ने बिलकिस बानो मामले में सभी 11 दोषियों को रिहा कर दिया था. इसके बाद 23 अगस्त को CPI(M) पोलित ब्यूरो सदस्य सुभाषिनी अली, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में गुजरात सरकार के फ़ैसले के ख़िलाफ़ याचिका दायर की थी, जिस पर 25 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने केस के फ़ैक्ट्स बेंच के सामने रखे. कहा,

"14 लोगों की हत्या हुई. एक प्रेग्नेंट महिला का बलात्कार किया गया. और, एक 3 साल की बच्ची को पटक-पटक कर मार दिया गया."

इसके जवाब में जस्टिस अजय रस्तोगी ने कहा,

“जो भी अपराध हुए, उसकी सज़ा दी गई. सवाल ये है कि क्या उनकी रिहाई जस्टिफ़ाइड है? हम केवल इस बात के लिए कंसर्न्ड हैं कि उनकी रिहाई क़ानून के अंतर्गत हुई है या नहीं?"

इसके बाद जस्टिस रस्तोगी ने जो कहा, उसी पर बवाल हो रहा है. जस्टिस रस्तोगी ने कहा,

"महज़ इसलिए कि उनका अपराध बहुत भयानक था, क्या उनकी रिहाई ग़लत हो जाती है?"

इस एक बयान पर ट्विटर पर ख़ूब विवाद हो रहा है. राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी समेत कई विमेन राइट्स ऐक्टिविस्ट और पत्रकारों ने जस्टिस रस्तोगी के इस बयान को असंवेदनशील बताया है.

राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने लिखा,

- प्रेग्नेंट थी
- गैंगरेप किया गया
- बेटी का सिर पटक कर हत्या की गई
- दंगों में पूरे परिवार को मार दिया

ये 'महज़' एक भयानक अपराध नहीं है. ये सबसे घिनौना अपराध है, योर ऑनर.

सिनेमा पत्रकार और लेखक नम्रता जोशी ने लिखा,

"जब भी हमें लगता है कि हम सामूहिक तौर पर मानवता के सबसे निचले स्तर पर आ चुके हैं, ऐसी और घटनाएं हो जाती हैं."

पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी ने लिखा,

"हां, जस्टिस रस्तोगी. जिन 11 लोगों ने बिलकिस बानो का गैंग रेप किया था, उनकी रिहाई मानवता के ख़िलाफ़ एक अपराध है."

कवि-व्यंगकार-गीतकार वरुण ग्रोवर ने कटाक्ष में लिखा,

"14 लोगों की हत्या, एक प्रेग्नेंट औरत का गैंगरेप और एक बच्ची का सिर पटक-पटक कर मार देना होता है महज़."

पत्रकार और लेखक अन्ना एम एम वेटिंग कार्ड ने लिखा,

“बिलकिस बानो को अपनी लड़ाई जारी रखने की ताकत कैसे मिली? बस इस बयान को पढ़कर कि मेरा सिर फट रहा है. महिलाओं के अधिकार भी मानव अधिकार हैं.”

ये बयान लगातार विवाद में है. जस्टिस रस्तोगी की बात यहां तक सही है कि कोर्ट को 'महज़' इस बात से मतलब होना चाहिए कि सज़ा'याफ़्ता दोषियों की रिहाई क़ानून के अंतर्गत हुई या नहीं, लेकिन ‘भयानक’ और ‘महज़’ शब्दों के एक ही वाक्य में इस्तेमाल की वजह से उनकी आलोचना हो रही है. 

दोषियों की रिहाई के खिलाफ़ लगाई गई याचिका पर सुनवाई को दो हफ्ते के लिए टाल दिया गया है.

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