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'जॉनी सच्चे थे, ऐम्बर घड़ियाली आंसू बहाती थीं', केस सुनने वाले जूरी मेंबर का दावा

जॉनी डेप और ऐम्बर हर्ड के मुकदमे को सात सदस्यों वाली जूरी ने सुना था. इनमें से एक ने इंटरव्यू दिया है.

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बाएं से दाएं. ऐम्बर हर्ड और जॉनी डेप. (फोटो - AP)

जॉनी डेप की तरफ से ऐम्बर हर्ड के ऊपर किया गया मानहानिक का मुकदमा छह हफ़्तों तक चला. फ़ैसला आया 1 जून को. फ़ैसले को दो हफ़्ते बीत चुके हैं, लेकिन मामला अब भी ख़बरों में बना हुआ है. सोशल मीडिया पर रोज़ ये कीवर्ड ट्रेंड करता है और लगातार मामले से संबंधित लोगों के बयान आ रहे हैं. 13 जून को ऐम्बर हर्ड ने NBC न्यूज़ को इंटरव्यू दिया, जिसके बाद ख़ूब ख़बरें बनीं. अब एक जूरी के सदस्य ने इंटरव्यू दिया है. जिसमें कई सारी बातें कही गई हैं.

जूरी मेम्बर ने क्या कहा?

सात सदस्यों वाली जूरी में पांच पुरुष थे और दो महिलाएं. पुरुषों में से एक ने अमेरिकी चैट शो 'गुड मॉर्निंग अमेरिका' को इंटरव्यू दिया. इंटरव्यू में बताया कि ऐम्बर जूरी को असहज करती थीं. मिनटों में अपना व्यवहार बदल लेती थीं और घड़ियाली आंसू बहाती थीं. इसके साथ ही ये भी कहा कि जूरी ने जॉनी डेप को ज़्यादा सच्चा और विश्वसनीय पाया. जूरी के सदस्य ने 'गुड मॉर्निंग अमेरिका' शो में बताया,

"उनका रोना, उनके चेहरे के भाव, उनका जूरी को घूरना.. हम सभी को बहुत असहज करता था. वो एक सवाल का जवाब देतीं और रोने लगतीं. और, दो सेकंड बाद वो एकदम शांत हो जातीं. हममें से कुछ को वो 'मगरमच्छ के आंसू' लगते थे.

जॉनी के बारे में जूरी मेम्बर ने कहा,

"बहुत से जूरी मेम्बर्स ने ये महसूस किया कि वो जो कह रहे थे, वो ज़्यादा विश्वसनीय था. वो सवालों के जवाब देने के दौरान जेन्युइन लग रहे थे. उनकी भावनात्मक स्थिति भी बहुत स्थिर थी."

जूरी ने ये भी नोट किया कि ऐम्बर और जॉनी, दोनों एक-दूसरे के लिए अब्यूज़िव थे, लेकिन ऐम्बर ये साबित करने में विफल रहीं कि ये अब्यूज़ फ़िज़िकल था. कहा,

"मुझे नहीं लगता कि दोनों में से कोई भी पूरी तरह से सही या ग़लत है, लेकिन जो दावे वो (ऐम्बर) कर रही थीं, उसे साबित करने के लिए उनके पास पर्याप्त सबूत नहीं थे."

ऐम्बर ने हाल ही में 'टुडे' शो को इंटरव्यू दिया, जहां उन्होंने जूरी के फ़ैसले पर टिप्पणी की. शो की होस्ट सवाना ने हर्ड को अपनी विश्वसनीयता साबित करने के लिए कहा. जूरी के फ़ैसले को नकारने के लिए सवाल किए. इसके जवाब में हर्ड ने गवाहों को बिका हुआ और रैंडम बता दिया. कहा,

"जूरी उस नतीजे पर कैसे नहीं पहुंचती! वो उन सीटों पर बैठे थे और तीन हफ़्तों तक बिके हुए गवाहों से बिना रुके गवाही सुनते रहे."

जूरी का सिस्टम एक मौलिक विचार पर बना था और इसी विचार पर चलता है कि जूरी ट्रायल के ज़रिए क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में आम जनता के मूल्यों और मानकों को शामिल किया जाता है. हालांकि, जूरी सिस्टम सर्व-मान्य नहीं है. हर देश में नहीं होता. असल में ज़्यादातर देशों में नहीं होता. हमारे ही देश में देख लीजिए. पहले था, अब नहीं है. लोगों का ऐसा मानना है कि अक्सर जूरी के सदस्य अक्षम और पक्षपाती होते हैं.

अब यही मिसाल देख लीजिए. ऐम्बर हर्ड के बारे में जैसी बातें ये जूरी मेम्बर कर रहे हैं, वो बेशक एक आम व्यक्ति का मत हो सकता है, लेकिन क्या इसको मानक मानकर किसी की ज़िंदगी तय की जा सकती है?

ट्रायल के दौरान ऐम्बर हर्ड ने इस बात की ओर इशारा किया था. अपनी एक दलील में उन्होंने कहा था,

“मुझे पता है कितने सारे लोग उसके (जॉनी के) सपोर्ट में आएंगे. वो एक ताक़तवर आदमी है और ताक़तवर आदमियों के लिए लोग कुछ भी कर सकते हैं. मैंने अपने लेख में इसी फ़ेनोमेना की बात की थी. मैंने इसीलिए वो लेख लिखा था.”

(ऐम्बर जिस लेख के बारे में बात कर रही हैं, वो छपा था वॉशिंग्टन पोस्ट में. लेख में ऐम्बर ने घरेलू हिंसा और पितृसत्ता के ख़िलाफ़ बात की थी. ये भी लिखा था कि वो ख़ुद घरेलू हिंसा की शिकार रही हैं. हालांकि, उन्होंने लेख में जॉनी का नाम नहीं लिखा था. इसी लेख के बाद दोनों हॉलीवुड स्टार्स के बीच क़ानूनी लड़ाई देखने को मिली.)