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महिला क्रिकेटर्स के ड्रेसिंग रूम की ये सच्चाई जानकर आपको शर्म आएगी!

विनोद राय ने अपनी किताब 'नॉट जस्ट ए नाइटवॉचमैन' में महिला क्रिकेट को लेकर कई खुलासे किये है. उन्होंने बताया है भारत में महिला क्रिकेट के कितने ख़राब हालात है. उन्होंने महिला ड्रेसिंग रूम के कई सच बताए.

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2017 वर्ल्ड कप के बाद ऑडियंस ने महिला क्रिकेट को देखना शुरू किया है.

विनोद राय. भारत के पूर्व कंट्रोलर और ऑडिटर जनरल (CAG). CAG का काम होता है पब्लिक फंड्स का लेखा-जोखा रखना. संविधान के अनुच्छेद 149 से 151 के तहत CAG को शक्तियां मिलती हैं, क्योंकि CAG का निष्पक्ष रहना ज़रूरी है. CAG रहते हुए ही विनोद राय ने कोयला घोटाले का पर्दाफाश करने में मुख्य भूमिका निभाई थी.

विनोद ने एक किताब लिखी है – ‘नॉट जस्ट ए नाइटवॉचमैन’. किताब को लेकर विनोद राय लगातार इंटरव्यू दे रहे हैं. एक इंटरव्यू में विनोद राय ने देश में महिला क्रिकेट की बदहाल स्थिति पर बात की है. कहा कि महिला क्रिकेट को कभी उतनी अटेंशन नहीं मिली, जिसके वो हक़दार थी.

और क्या कहा Vinod Rai ने?
विनोद राय भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के प्रशासक समिति के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. साप्ताहिक मैगज़ीन ‘द वीक’ को दिए इंटरव्यू में विनोद कहते हैं कि उनके तीन साल के टेन्योर में महिला क्रिकेट को उसके हक का अटेंशन न देना उनका सबसे बड़ा मलाल है.

“मुझे नहीं लगता कि महिला क्रिकेट पर उतना ध्यान दिया गया, जितना दिया जाना चाहिए था. मुझे यह जानकर हैरानी हुई कि महिला खिलाड़ियों की जर्सी पुरुषों की ड्रेस से काट कर बनाई जाती थी. मुझे किट-मैनुफ़ैक्चरर्स को फोन करना पड़ा था, ये बताने के लिए कि ये सही नहीं है. मैं ईमानदारी से मानता हूं कि लड़कियां ट्रेनिंग, कोचिंग सुविधाएं, क्रिकेटिंग गियर और बेहतर मैच की फीस और रिटेनर की हकदार थीं.दुर्भाग्य से, महिला क्रिकेट को लगभग 2006 तक गंभीरता से लिया ही नहीं गया. 2006 में जब शरद पवार ने पुरुषों और महिलाओं के असोसिएशन के मर्जर की पहल की, तब जा कर कुछ माहौल बदला.”

उन्होंने ये भी कहा कि ऑडियंस ने भारत के 2017 ICC वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंचने के बाद महिला क्रिकेट पर ध्यान दिया. उस मैच में हरमनप्रीत कौर ने भारत को फाइनल में पहुंचाने के लिए नाबाद 171 रन की पारी खेली थी.

“यह सब बहाने हैं. जब तक आप उन्हें समर्थन नहीं देंगे, वे ट्रॉफी कैसे जीतेंगे? वे ऑस्ट्रेलिया या इंग्लैंड में नहीं जीत पाए. मुख्य वजह थी दिमागी कंडीशनिंग और तनाव. हर टीम में मानसिक ट्रेनर्स और खेल मनोवैज्ञानिक होते हैं. हमारे यहां भी होने चाहिए.”

‘हरमनप्रीत को उस पारी से पहले समोसे मिले थे खाने को’
सबको हरमनप्रीत की वो पारी याद है. ख़ूब ख़बरें बनी थीं. तालियां बजी थीं. लेकिन ये जाबड़ पारी खेलने वाली को अपने मन का खाना भी नहीं मिला, इस बात पर कितनी बात हुई. किसे पता चला? विनोद ने इस बारे में भी बताया,

“मुझे खेद है कि मैंने भी उस मैच तक महिला क्रिकेट पर ध्यान नहीं दिया, जिसमें हरमनप्रीत (कौर) ने 171* रन बनाए थे. हरमनप्रीत ने मुझसे कहा: “सर, मुझे क्रैम्प्स हो रहे थे, इसलिए मैंने ज़्यादा बाउंड्री मारने की कोशिश की क्योंकि मैं ज्यादा दौड़ नहीं सकती थी.” उसने मुझे बताया कि होटल में उन्हें वो खाना नहीं मिला, जो उन्हें चाहिए था. इसलिए उन्होंने उस सुबह नाश्ते में समोसा खाना पड़ा था!”

दिसंबर 2018 में #MeToo कैम्पेन के दौरान BCCI के CEO राहुल जौहरी पर एक महिला लेखक ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे. इस पर विनोद ने जो कहा, वो चिंता में डालता है.

“मुझे यह जानकर हैरानी हुई कि BCCI जैसे बड़े संगठन में कोई PoSH (यौन उत्पीड़न रोकथाम) समिति नहीं थी. हमने उस समिति का गठन किया. ऐसे में किसी जेन्युइन शिकायत के वक़्त लोग उससे संपर्क कर सकते थे."

किसी भी बड़े संस्थान को ऐडमिनिस्ट्रेशन लेवल पर सही से संचालित करने की ज़रूरत होती है. यानी एक कोड ऑफ़ कन्डक्ट होना चाहिए. डिसीज़न मेकर्स की पारदर्शिता, जवाबदेही होनी चाहिए. जानकारी शेयर करने की इच्छा होनी चाहिए, जो मेरे हिसाब से BCCI में कम थी.”

विनोद राय ने कहा कि किसी भी बड़े संस्थान को प्रशासनिक लेवल पर ठीक से संचालित करने की ज़रूरत होती है. यानी एक कोड ऑफ कंडक्ट होना चाहिए. उन्होंने कहा कि ये बेहद ज़रूरी है कि डिसीज़नमेकर्स में ट्रांसपेरेंसी हो और उनमें जवाबदेही का भाव हो. उन्होंने कहा कि उनके हिसाब से तब BCCI में जानकारी शेयर करने की इच्छा कम थी.

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