The Lallantop
लल्लनटॉप का चैनलJOINकरें

NEET Exam में लड़कियों का ब्रा पहनना ड्रेस कोड का उल्लंघन है?

NEET एग्ज़ाम देने पहुंची छात्राओं की ब्रा उतरवा ली गई.

post-main-image
ब्रा के हुक में मेटल होता है, जिसे मेटल डिटेक्टर डिटेक्ट कर रहा था.

17 जुलाई को देशभर में NEET के एग्जाम हुए. NEET माने नेशनल एलिजिबिलिटी एंट्रेंस टेस्ट. आसान भाषा में कहें तो देश भर के मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए होने वाली प्रवेश परीक्षा.

हजारों बच्चों ने NEET का पेपर दिया. लेकिन केरल (Kerela) के कोल्लम (Kollam) ज़िले के एग्जाम सेंटर में चेकिंग के नाम पर छात्राओं की ब्रा उतरवाई  गई. घटना कोल्लम के मार्थोमा इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी की है. इस सेंटर में पेपर देने आई लड़की के पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है. पिता ने कहा कि बेटी को एग्जाम सेंटर में छोड़कर वो अपनी पत्नी के साथ लंच करने निकले थे. बीच रास्ते ही उन्हें कॉल आ गया और अधिकारीयों ने गेट पर आने कहा. गेट पर रुंआंसी हालत में बेटी खड़ी मिली. बेटी ने बताया कि एग्जाम हॉल में जाने से पहले उसे और बाकी लड़कियों को ब्रा निकालने कहा गया. बेटी ने मां से स्टोल ली और एग्जाम देने चले गई. हालांकि एग्जाम देकर लौटने के बाद भी वो काफी परेशान लग रही थी. बाहर निकलते ही वो मां की बाहों में लिपटकर रोने लगी.

ब्रा का मेटल कनेक्शन!

ब्रा उतरवाने के पीछे तर्क दिया गया कि ब्रा के हुक में मेटल होता है, जिसे मेटल डिटेक्टर डिटेक्ट कर रहा था. लड़कियों से इसी आधार पर कहा गया कि आपने ड्रेस कोड का पालन नहीं किया इसलिए आपको अंडरगारमेंट्स उतारने होंगे. यदि आप ऐसा करेंगी तो ही आप परीक्षा दे सकती हैं.

द न्यूज़ मिनट से बात करते हुए पिता ने कहा,

"बेटी ने बताया कि अंदर दो कमरे ऐसे थे जहां COVID-19 प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते हुए लड़कियों की ब्रा एक के ऊपर एक रखी गई थी. परीक्षा लिखने वालों की उम्र 17 से 23 वर्ष के बीच थी. कल्पना कीजिए कि परीक्षा के दौरान ध्यान केंद्रित करना उनके लिए कितना असहज होगा, जब वे एग्जाम हॉल में पुरुष छात्रों से घिरी हों. कई छात्राएं  इस घटना के बाद रोने लगी थीं. कई छात्राएं  मानसिक रूप से परेशान भी हुईं."

पिता की शिकायत के आधार पर कोत्ताराक्कारा (Kottarakkara) पुलिस ने केस रजिस्टर कर लिया है.

अब ऐसी चेकिंग के पीछे वजह ड्रेस कोड बताया जा रहा है. तो पहले यही जान लेते हैं कि ड्रेस कोड को लेकर नियम क्या कहते हैं.

NEET Exam Dress Code Guidelines NEET एग्जाम NTA यानी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ऑर्गनाइज़ कराती है. ड्रेस कोड को लेकर NTA की गाइडलाइन्स कहती हैं कि
-कैंडिडेट कैजुअल और मौसम के अनुकूल कपड़े पहनकर आएं.
- पूरी बाजू वाले कपड़े अवॉयड करें.
- कैंडीडेट सैंडल और खुली चप्पल पहन सकते हैं, लेकिन जूते पहनकर आने की अनुमति नहीं है.
- वॉलेट, गॉगल, हैंडबैग, बेल्ट, कैप, घड़ी, ब्रेसलेट, कैमरा, आभूषण और मेटल के आइटम पहनकर आने की अनुमति नहीं है.

हालांकि गाइडलाइन्स में ये स्पष्ट नहीं है कि मेटालिक बटन या हुक वाले कपड़ों को पहनकर आने की अनुमति है या नहीं.

अधिकारीयों की लीपापोती 

मर्थोमा इंस्टिट्यूट एग्जाम सेंटर के अधिकारियों का कहना है कि एग्जाम कंडक्ट कराने के लिए NTA द्वारा दो एजेंसी नियुक्त की गई थी. हमें रूल्स के बारे में कुछ नहीं पता. चेकिंग का सारा काम उन्हीं का था. हमारे पास हॉल के बाहर कुछ बच्चे रोते हुए आए और स्टोल पहनकर एग्जाम देने की परमिशन मांगी थी. हमने उसके लिए उन्हें अनुमति दे दी थी.

केरल की एजुकेशन मिनिस्टर आर बिंदु ने इंडिया टुडे से बात करते हुए कहा कि एग्जाम केंद्र सरकार ने कंडक्ट करवाया था. जो भी हुआ वो छात्राओं की गरिमा और सम्मान पर नग्न हमले जैसा है. इस संबंध में उन्होंने एजुकेशन मिनिस्टर धर्मेन्द्र प्रधान को ख़त लिखकर सख्त से सख्त करवाई करने की मांग की है.

वैसे ये कोई पहला मामला नहीं है जब चेकिंग के नाम पर कपड़े उतरवाए गए. इससे पहले भी इससे मिलते जुलते इंसिडेंट सामने आए हैं.

इसी साल 13 मई को राजस्थान के भरतपुर से खबर आई कि पुलिस कॉन्सटेबल भर्ती का एग्जाम देने पहुंची कई लड़कियों के कपड़ों की आस्तीन पर कैंची चलाई गई. कईयों के गहने उतरवाए गए.

ऐसा ही मामला पीछे साल राजस्थान से REET परीक्षा के समय भी आया था. REET माने Rajasthan Eligibility Examination for Teachers. चेकिंग के दौरान सुरक्षाकर्मियों ने एक महिला कैंडिडेट के सूट की फुल अस्तीन काट दी, उसके गहने उतरवाए और रिबन भी खुलवाया. इसके अलावा महिलाओं के गहने और चूड़ियां वगैरह भी उतरवाई गई थी.

एक मामला असम से भी आया था. सितम्बर 2021 में असम की 19 साल की एक लड़की को इसलिए नहीं घुसने दिया गया था क्यूंकि उसने शॉर्ट्स पहने थे. उसे मजबूरन अपने पैरों पर पर्दा लपेटना पड़ा, तब जाकर उसे एग्ज़ाम हॉल में जाने की परमिशन मिली.

और आज से ठीक 5 साल पहले मई 2017 में NEET परीक्षा के दौरान कुन्नूर से ठीक वैसा ही मामला सामने आया था जैसा अभी कोल्लम से आया है. लड़की को एग्जाम से पहले ब्रा उतारने कहा गया था क्योंकि हुक में लगे मेटल के कारण मशीन बीप कर रही थी.

बाद में उस घटना पर सीबीएसई की तरफ से जवाब आया था क्यूंकि उस वक़्त सीबीएसई ही NEET कंडक्ट कराता था. सीबीएसई ने कहा था कि कुन्नूर की घटना चेकिंग स्टाफ की ओवर स्ट्रिक्टनेस का नतीजा है.

टीचर ने राज़ की बात बताई 

एक टीचर जो  NEET एग्जाम के दौरान सेंटर पर चेकिंग टीम का हिस्सा रह चुकी हैं, उन्होंने नाम न बताने की शर्त पर बताया,

“गाइडलाइन्स में लिखा गया है कि मेटल की चीजें अलाऊ नहीं होती. हालांकि कपड़ों में मेटल को लेकर कोई स्पष्ट बात नहीं लिखी. इसलिए ये सेंटर के सुप्रिटेंडेंट 
 पर निर्भर करता है कि वो जीन्स में लगे मेटल के बटन या ब्रा हुक के मेटल के साथ कैंडिडेट को अंदर जाने देते हैं या उनसे कपड़े उतारने कहते हैं.”

NTA ने क्या कहा?

केरल की इस घटना पर NTA ने कहा कि उनके पास कोई लिखित शिकायत नहीं आई. लड़कियों ने पेपर दिया और पेपर के वक़्त या तुरंत बाद NTA से कोई शिकायत नहीं की. न ही इस संबंध में कोई मेल आया. NTA ने कहा कि वो इस तरह अंडरगारमेंट उतरवाने को सपोर्ट नहीं करता है.

कुल जमा बात ये कि NTA इस घटना से पल्ला झाड़ता दिखा. भई कोई आम आदमी शिकायत लेकर पुलिस के पास ही पहले जाएगा. वो गया. केरल में FIR लिखवाई. उसी आधार पर  NTA को करवाई करनी चाहिए. न कि मेल नहीं आया या हमे किसी ने शिकायत नहीं की टाइप की बातें कहकर निकल जाना चाहिए.

फैक्ट तो ये है एग्जाम और स्ट्रेस का बड़ा गहरा रिश्ता है. आलम ये है कि सालों पहले एग्जाम पास कर के नौकरी पा चुके व्यक्ति को भी रैंडमली एग्जाम देने या फेल होने के सपने आते हैं. उस समय अलग ही घबराहट होती है. ऐसे वक़्त में ठीक पेपर से पहले कपड़े काटे जाएं या ब्रा उतारने कहा जाए तो वो कैंडिडेट्स को पैनिक की स्थिति में ही डालेगा. ऐसे इन्सिडेंट्स का एग्जाम देने जा रहे बच्चे की मेंटल हेल्थ पर असर होता है और वो उसकी परफॉरमेंस पर क्या असर डाल सकते हैं.

किसी भी परीक्षा में नकल को रोकने के लिए बंदोबस्त किया जाना सही है. लेकिन आए दिन आई ऐसी खबरें सवाल खड़ा करती हैं कि कपड़े फाड़ने या ब्रा उतरवाने की क्या ज़रूरत है? जब एग्जाम कंडक्ट कराने वाले पांच साल पहले भी कह चुके थे और आज भी NTA की तरफ से कहा जा रहा है कि वो जेंडर के आधार पर संवेदनशील हैं तो या ये बात चेकिंग ड्यूटी पर लगे लोगों को नहीं बताई जानी चाहिए? 

विडियो: सुष्मिता सेन से सीखिए अपने फैसलों पर अडिग रहना और ट्रोल्स को मुंहतोड़ जवाब देना