26 जुलाई को HIV से पीड़ित लोगों के एक समूह ने राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) के दफ़्तर के बाहर प्रदर्शन किया. ये धरना कुछ दिनों से चल रहा है. प्रदर्शनकारियों ने HIV की दवाओं की कमी के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन किया. प्लैकार्ड-तख़्तियां लेकर धरना दिया जिसमें लिखा था, 'मरीजों को दवाएं पूरी दें'.
वैसे तो HIV का कोई फ़ुल-प्रूफ़ इलाज नहीं है. इसके पीड़ितों को प्राथमिक ट्रीटमेंट के लिए एंटीरेट्रोवायरल (एआरवी) दी जाती है. प्रदर्शनकारियों के मुताबिक़, बीते कई महीनों से ये दवाई दिल्ली में नहीं मिल रही है. NACO एचआईवी से संक्रमित रोगियों के इलाज के लिए ज़रूरी दवाएं, किट और ट्रेनिंग देने की केंद्रीय एजेंसी है. न्यूज़ एजेंसी ANI से बात करते हुए प्रदर्शनकारी हरिशंकर सिंह ने कहा,
"हमें वो दवाएं मुहैया नहीं हैं, जो हमारे ट्रीटमेंट के लिए ज़रूरी हैं. जो हमें रोज़ खानी होती हैं. पिछले पांच महीनों से न तो दिल्ली में दवाइयां मिल रही हैं, न आस-पास के राज्यों में."
हरिशंकर ने बताया कि HIV पॉज़िटिव मरीजों ने इस मसले के बारे में अधिकारियों को लिखित में दिया था, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. एक दूसरे प्रदर्शनकारी ने कहा,
"काफ़ी समय से दवाओं की शॉर्टेज है. अगर ऐसा ही चला तो 2030 तक भारत को पूरी तरह से एचआईवी-मुक्त राष्ट्र कैसे बनाएंगे?"
ANI के मुताबिक़, प्रदर्शनकारियों के चार प्रतिनिधियों ने 26 जुलाई की दोपहर NACO के सीनियर अफ़सरों से बात की. अफ़सरों ने बताया कि उन्होंने रोगियों को ज़रूरी दवाओं की उपलब्धता के बारे में जानकारी दे दी है. आधिकारिक सूत्रों ने जानकारी दी कि क़रीब 95 फीसदी HIV मरीजों के लिए देशभर में पर्याप्त दवा है. ये भी कहा कि दिल्ली में एंटीरेट्रोवायरल (एआरवी) की कमी नहीं है और जो दवाएं नहीं हैं, उनके ऑर्डर दिए जा चुके हैं.
अफ़सरों को कोट करते हुए ANI में लिखा है कि प्रदर्शनकारियों को दवाओं की उपलब्धता के लिए राज्य एड्स नियंत्रण समितियों और नाको के साथ काम करने के लिए कहा गया था, जो अभी के लिए दवाओं की सप्लाई कर रही है.
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