The Lallantop
लल्लनटॉप का चैनलJOINकरें

जबरन शादी के बाद पतियों को 'मार' दिया था, ईरान में तीन महिलाओं को फांसी दी गई!

महिलाओं के खिलाफ हैं ईरान के कानून. पिछले 11 साल में 164 महिलाओं को दी गई फांसी की सजा.

post-main-image
उत्पीड़न के खिलाफ Iran की महिलाओं का विरोध प्रदर्शन. (सांकेतिक फोटो)

ईरान (Iran) के एक NGO ने बताया है कि 27 जुलाई को पतियों की हत्या के आरोप में एक साथ तीन महिलाओं को मार दिया गया. इन महिलाओं को कई साल पहले मौत की सजा दी गई थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये बात सामने आई है कि इस साल अभी तक ईरान में कम से कम 10 महिलाओं को मौत की सजा दी जा चुकी है. इन महिलाओं के अलावा बीते सप्ताह ईरान में 29 और लोगों को मौत के घाट उतारा गया. मानवाधिकार समूहों ने इसे लेकर चिंता जताई है.

जबरन शादी

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जिन तीन महिलाओं को मारा गया उनके नाम सोहेला अबेदी, फरनाक बेहेश्ती और सेनोबार जलाली हैं. अबेदी की 15 साल पहले जबरन शादी कराई गई थी. आरोप था कि अबेदी ने 10 साल बाद अपने पति की हत्या कर दी. अबेदी को पश्चिमी ईरान के सानंदाज शहर की एक जेल में फांसी दी गई.

रिपोर्ट्स के अनुसार, फरनाक बेहेश्ती को करीब पांच साल पहले अपने पति की हत्या का दोषी पाया गया था. बेहेश्ती को उत्तर-पश्चिमी ईरान के उर्मिया शहर के एक जेल में फांसी दी गई. वहीें सेनोबार को तेहरान के जेल में मौत के घाट उतारा गया.

महिलाओं के खिलाफ कानून! 

कई  NGO और मानवाधिकार समूहों की रिपोर्ट्स में ये सामने आया है कि ईरान में कानून महिलाओं के खिलाफ हैं. महिलाएं घरेलू हिंसा जैसे मामलों में तलाक लेने का अधिकार नहीं रखतीं. ये भी सामने आया है कि कम उम्र में लड़कियों की जबरन शादी करा दी जाती है. उनके साथ बुरा व्यवहार होता है. उन्हें शारीरिक और मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया जाता है. ऐसे में कई बार महिलाएं परेशान होकर अपने पतियों पर हमला कर देती हैं. 

ईरान के मानवाधिकार समूह ईरान ह्यूमन राइट्स (IHR) पिछले साल अक्टूबर में एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी. इस रिपोर्ट में बताया गया था कि साल 2010 और अक्टूबर 2021 के बीच ईरान में कम से कम 164 महिलाओं को फांसी दी गई.

ईरान में 'नो टू हिजाब' कैंपेन

इस बीच महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ समय-समय पर ईरान में विरोध प्रदर्शन होते रहते हैं. इन विरोध प्रदर्शनों के नेतृत्व महिलाएं करती हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीती 12 जुलाई को ईरान में ‘नो टू हिजाब कैंपेन’ चलाया गया.

दरअसल, 12 जुलाई को ईरान की सरकार ‘हिजाब और शुद्धता’ के नेशनल डे के तौर पर मनाती है. सरकारी एजेंसियों और संस्थानों को निर्देश दिए जाते हैं कि पूरे सप्ताह हिजाब का प्रचार-प्रसार किया जाए. ऐसे में ये कैंपेन इस दिन का प्रतीकात्मक विरोध था. इस कैंपेन में महिलाओं के साथ कई पुरुष भी शामिल हुए थे. ये महिलाओं की आजादी की वकालत कर रहे थे.

वीडियो दुनियादारी: कर्नाटक के हिजाब विवाद के बीच ईरानी महिलाओं के विरोध की चर्चा क्यों?