बीते दिनों पटना की ग्रेजुएट चायवालीका नाम खूब चर्चा में आया था. आज हम आपको मिलाएंगे पोस्ट ग्रेजुएट चायवाली से. ये उत्तराखंड के ऋषिकेश में चाय की दुकान लगाती हैं. 12 साल से दुकान चला रही हैं और इसी दुकान से अपने घर का खर्च चला रही हैं. इनका नाम अंजना रावत है. अंजना MA पास हैं और तमाम संघर्षों के बीच वो अपनी चाय की दुकान चला रही हैं.
आजतक की तेजश्री पुरंदरे की रिपोर्ट के मुताबिक, अंजना 31 साल की हैं. 12 साल पहले उनके पिता ने ये दुकान शुरू की थी. पिता की कैंसर से मौत हो गई. उसके बाद अंजना ने दुकान संभाली. आज इसी दुकान की कमाई से अंजना अपनी पढ़ाई पूरी कर चुकी हैं, अपनी बहन की शादी करवा चुकी हैं. इसके साथ ही घर का लोन और दूसरे खर्चे वो दुकान की कमाई से चलाती हैं.
अंजना बताती हैं उनकी दुकान साल 2010 में शुरू हुई थी. तब वो 17 साल की थीं. पहले उनके पिता गणेश ये दुकान चलाते थे और वो उनकी मदद करती थीं. पिता को कैंसर हुआ तो दुकान पर बैठना उनका बंद हो गया, तब अंजना ने काम शुरू किया. दुकान चलाते हुए अंजना ने अपनी पढ़ाई पूरी की थी.
अंजना ने बताया,
"जब मैंने शुरुआत में चाय की दुकान पर बैठना शुरू किया, तब कई लोगों ने मेरा मज़ाक बनाया. आते-जाते लोग फब्तियां कसते हुए अक्सर कहते थे कि यह लड़कों वाले काम हैं, इतने बुरे दिन भी नहीं आए कि लड़की की चाय की दुकान पर चाय पियेंगे. लेकिन मुझे उन सबकी बातों से फर्क नहीं पड़ा. मैंने हिम्मत हारे बिना अपना काम जारी रखा. मुझे लगता है कि समाज ने हर काम को लड़का और लड़की के दायरे में बांट रखा है. काम कभी छोटा बड़ा या जेंडर स्पेसिफिक नहीं होता. इसी सोच के साथ मैं हर रोज आगे बढ़ती हूं. चाय की दुकान पर बैठ मैंने घर संभालने के साथ-साथ अपनी पढ़ाई भी पूरी की. ग्रेजुएशन के बाद M.A की पढ़ाई की. इन सबका खर्चा मैंने अपनी चाय की दुकान से उठाया. अपनी कमाई के ज़रिए ही मैंने अपनी बड़ी बहन की शादी करवाई और अब लोन लेकर घर भी बनवाया है."
अंजना बताती हैं कि पहले जो लोग उनका मज़ाक उड़ाते थे आज वो ही लोग उनकी दुकान पर चाय पीने आते हैं. वो बताती हैं कि कई बार औरतें अपनी बेटियों को उनकी दुकान पर लाती हैं और उनका उदाहरण देती हैं. तब उन्हें खुद पर गर्व होता है. अंजना का सपना अपनी मां को एक बेहतर ज़िंदगी देने का है.
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