(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
आंखें दान करो तो पूरी आंख निकाल लेते हैं? जानें Eye Donation से जुड़े सबसे बड़े झूठ
1 साल से ऊपर का हर इंसान आंखें (कॉर्निया) डोनेट कर सकता है.
आपको पता है हमारे देश में 1 करोड़ से ज़्यादा लोग देख नहीं सकते. नेत्रहीन हैं. इसकी एक बड़ी वजह है कॉर्नियल ब्लाइंडनेस. कॉर्निया आंखों की सबसे आगे वाली परत को कहते हैं. ये ट्रांसपेरेंट होता है. इसमें ख़राबी आने के कारण आंखों की रोशनी चली जाती है या कुछ लोगों में एकदम कम हो जाती है. पर इसको ठीक किया जा सकता है एक सिंपल सी सर्जरी से. इस सर्जरी का नाम है कॉर्नियल ट्रांसप्लांट.
पर मुद्दा है कि ये नया कॉर्निया, या बोलचाल की भाषा में बोलें तो ये नई आंखें आती कहां से हैं? ये आती हैं उन लोगों से जो अपनी आंखें डोनेट करते हैं. आंखें डोनेट करने का ये मतलब हरगिज़ नहीं है कि वो अपनी आंखें निकालकर किसी और को दे देते हैं. आंखें डोनेट इंसान की मौत के बाद ही होती हैं. बस ये लोग अपने जीवन में इस बात की रज़ामंदी दे जाते हैं कि मरने के बाद उनकी आंखों से दूसरे लोगों को रोशनी मिल सके.
पर इंडिया में आंखें डोनेट करने का रेट बहुत कम है. जिसकी एक बड़ी वजह है आई डोनेशन को लेकर फैले मिथक. सबसे बड़ा मिथक तो ये है कि आंखें डोनेट करने का मतलब है पूरी आंख निकाल ली जाती है. अब इस बाद में कितनी सच्चाई है ये आप कुछ ही देर में अपने कानों से सुन लीजिएगा. साथ ही आपको आई डोनेशन से जुड़ी बहुत अहम जानकारी भी मिलेगी. पर सबसे पहले ये जान लेते हैं कि कौन-कौन लोग अपनी आंखें डोनेट कर सकते हैं?
कौन लोग आंखें डोनेट कर सकते हैं?ये हमें बताया डॉक्टर स्वाति बंसल ने.
-1 साल से ऊपर का हर इंसान आंखें (कॉर्निया) डोनेट कर सकता है.
-इसके लिए कोई ऐज लिमिट नहीं है.
-उम्र को लेकर कोई पाबंदी नहीं है.
आंखें कैसे डोनेट की जाती हैं?-आंखें डोनेट करने का प्रोसेस बहुत मुश्किल नहीं है.
-जिन लोगों ने पहले से ही अपनी आंखें डोनेट की होती हैं, उनकी मौत के बाद परिवारवाले किसी भी आई बैंक या आई हॉस्पिटल से संपर्क कर सकते हैं.
-अगले 6-8 घंटों में कॉर्निया निकाला जा सकता है.
क्या आंखों को निकाल लिया जाता है?-इस प्रोसेस में पूरी आंख नहीं निकाली जाती है.
-आंखों के आगे एक ट्रांसपेरेंट परत होती है जिसे कॉर्निया कहते हैं.
-केवल उसे ही निकाला जाता है.
-ऐसा करने के बाद आंखों में किसी भी तरह का घांव नहीं दिखता.
नए पेशेंट को नई आंखें कैसे मिलती हैं?-पहले मृत इंसान का कॉर्निया निकाल लिया जाता है.
-उसके बाद जिस नए पेशेंट का कॉर्निया ख़राब हो चुका है, उसे निकाला जाता है.
-उसके बाद नया कॉर्निया ट्रांसप्लांट किया जाता है.
-उस सर्जरी को कॉर्नियल ट्रांसप्लांटेशन कहते हैं.
-ये काफ़ी सिंपल सर्जरी है.
-इसमें नया कॉर्निया टाकों की मदद से आंखों में लगाया जाता है.
आंखें डोनेट करने को लेकर फैले मिथक-सबसे पहला मिथक है कि पूरी आंख निकाली जाती है मौत के बाद.
-ऐसा नहीं होता है.
-सिर्फ़ आंखों के आगे वाला भाग जो ट्रांसपेरेंट होता है और जिसे कॉर्निया कहते हैं.
-केवल ये ही निकाला जाता है.
-यही कॉर्निया नए पेशेंट जो देख नहीं सकता उसमें ट्रांसप्लांट किया जाता है.
-अगर अपनी दोनों आंखें डोनेट करते हैं तो उससे 2 पेशेंट्स की लाइफ सुधर जाती है.
-आंखों की ये सर्जरी उन्हीं पेशेंट्स में की जाती है जिनको कॉर्नियल ब्लाइंडनेस है.
-यानी जिनका कॉर्निया ख़राब है और उसी के कारण उनको कम दिख रहा है.
-बाकी किसी भी कंडीशन में कॉर्नियल ट्रांसप्लांट से फ़ायदा नहीं होता है.
-एक ये भी मिथक है कि कॉर्नियल ट्रांसप्लांट ज़्यादा सफ़ल नहीं होता है.
-पर ऐसा नहीं है.
-ये एक मिथक है.
-कॉर्नियल ट्रांसप्लांट एक बहुत ही सफ़ल सर्जरी है.
-इससे काफ़ी पेशेंट को फायदा होता है.
-लोगों को लगता है कि एक ख़ास उम्र के लोग ही आंखें डोनेट कर सकते हैं.
-जब कि ऐसा नहीं है.
-1 साल से ऊपर का कोई भी इंसान आंखें डोनेट कर सकता है.
-चाहे उन्हें जो भी मेडिकल कंडीशन हो.
-डायबिटीज, ब्लड प्रेशर या कोई भी बीमारी होने पर भी आंखें डोनेट कर सकते हैं.
-कुछ मेडिकल कंडीशन ज़रूर हैं जिसमें आंखें डोनेट नहीं कर सकते जैसे HIV.
-हेपेटाइटिस बी.
-हेपेटाइटिस सी.
-कोविड-19 में भी आंखें डोनेट करने से मना किया जाता है.
-इसके अलावा सब आंखें डोनेट कर सकते हैं.
आंखों को कैसे हेल्दी रखें?-आंखों को हेल्दी रखने के लिए ज़रूरी है कि शरीर को हेल्दी रखें.
-सही पोषण लें.
-हेल्दी डाइट खाएं.
-एक्सरसाइज करें.
-अगर शरीर हेल्दी है तभी आंखें भी हेल्दी रहेंगी.
-अगर कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल पर काम करते हैं तो हर 30 मिनट में 30 सेकंड का ब्रेक लें.
-इससे आंखों की मांसपेशियां मज़बूत रहती हैं.
-आंखों का चेकअप करवाते रहना चाहिए.
उम्मीद है आई डोनेशन को लेकर आपके मन में जो भी गलतफ़हमियां थीं, डॉक्टर स्वाति की बातों से वो दूर हो गई होंगी. वैसे 13 अगस्त को मनाया जाएगा ऑर्गन डोनेशन डे. ये दिन मनाया जाता है ताकि किडनी, लिवर, हार्ट, आंखों जैसे अंगों के डोनेशन के बारे में जानकारी फैलाई जा सके. तो जो भी लोग अपनी आंखें डोनेट करना चाहते हैं वो किसी रजिस्टर्ड आई बैंक या आई हॉस्पिटल से संपर्क कर सकते हैं. सोचिए आपकी आंखों के ज़रिए कुछ लोग ये दुनिया पहली बार देखेंगे. इसलिए इस बारे में सोचिएगा.
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