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Uber का पैनिक बटन सवारियों के लिए झुनझुने जैसा है!

उबर की कथनी और करनी, वादे और हक़ीक़त में भारी अंतर का पता चला है.

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सांकेतिक तस्वीरें

पैनिक बटन (Panic Button) है. इसका काम है अलर्ट देना. जब किसी व्यक्ति को सफ़र के दौरान खतरा महसूस हो, वो परेशानी में हो या उसे पुलिस की मदद की ज़रूरत हो तो, ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए पैनिक बटन का इस्तेमाल होता है. बेसिकली ये किसी पब्लिक ट्रांसपोर्ट में लगा एक अलार्म है. जिसके ज़रिए किसी सक्षम विभाग को मदद के लिए बुलाया जा सकता है.

आज इसकी चर्चा क्यों हो रही है? वजह है एक रिपोर्ट. उबर फाइल्स (Uber Files).  ये उबर के इंटरनल ईमेल्स और फाइल्स का स्टॉक है जो कुछ समय पहले लीक हुआ था. इसे इंटरनैशनल कंसोर्टियम ऑफ़ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (ICIJ) के साथ साझा किया गया. फिर गार्डियन, बीबीसी, इंडियन एक्सप्रेस समेत दुनिया के कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों ने इसका अध्ययन किया. इसके ज़रिए बहुत सारी चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं. इससे उबर की कथनी और करनी, वादे और हक़ीक़त में भारी अंतर का पता चला है. भारत के संदर्भ में एक अंतर पैसेंजर्स की सुरक्षा और पैनिक बटन से जुड़ा है. हम इसी पर विस्तार से बात करेंगे.

Uber में Panic Button कब आया?

पैनिक बटन का एक सिरा आठ साल पुरानी एक घटना से जुड़ा है. 5 दिसंबर, 2014 की रात 25 साल की एक लड़की ने गुड़गांव से दिल्ली के लिए उबर की कैब ली थी. कैब ड्राइवर ने सुनसान इलाके में गाड़ी रोककर लड़की का रेप किया. धमकी भी दी कि अगर लड़की ने आनाकानी की, तो उसके प्राइवेट पार्ट ने रॉड घुसा देगा और उसका हश्र भी निर्भया जैसा करेगा. घटना के दो दिन बाद आरोपी ड्राइवर को मथुरा से गिरफ्तार कर लिया गया. ये मामला अदालत में गया और 2018 में दिल्ली की तीस हज़ारी कोर्ट ने दोषी को उम्रकैद की सज़ा सुनाई. सुनवाई के दौरान ये भी पता चला कि ड्राइवर पहले ही एक रेप केस का आरोपी था और उस मामले की भी जांच चल रही थी.

इस घटना के बाद दिल्ली सरकार ने उबर की कैब सर्विस पर कई महीनों का बैन लगा दिया था. उबर फाइल्स के ज़रिए सामने आए मेल्स से पता चलता है कि इस घटना से कंपनी के अंदर भी हड़कंप मच गया था. लेकिन कोई ठोस कार्रवाई करने के बजाय कंपनी ने पूरा ठीकरा भारत के बैकग्राउंड वेरिफिकेशन सिस्टम पर फोड़ दिया था.

वापस लौटते हैं दिल्ली की घटना पर. दिल्ली सरकार के बैन के बाद भारत सरकार की मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट और हाईवे ने एक नोटिफिकेशन जारी किया था. इसमें कहा गया था कि हर प्राइवेट टैक्सी, कैब, बस में पैनिक बटन और VLTD यानी व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस इंस्टॉल होनी चाहिए. पहले आप पैनिक बटन और VLTD के बारे में जान लीजिए, फिर बताएंगे कि कैसे उबर ने कथनी और करनी में फर्क दिखाकर फ्रॉड किया.

Panic Button क्या है और कैसे काम करता है?

- पैनिक बटन एक लाल रंग का स्विच होता है. गाड़ी की बैक सीट, फ्रंट सीट और ड्राइवर साइड पर पैनिक बटन होना चाहिए. किसी खतरे की आशंका होने पर या मदद की ज़रूरत के समय ये बटन दबाया जा सकता है. बटन दबाते ही हर 5 सेकंड में सरकार और पुलिस के पास अलर्ट जाता है.

- VLTD यानी व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस में डुअल सिम और जीपीएस सिस्टम होता है जो गाड़ी की रियल टाइम लोकेशन, स्पीड और गाड़ी का रूट संबंधित अधिकारियों तक पहुंचाता है.

भारत सरकार ने आदेश दिया था कि जनवरी 2019 के बाद से जो भी गाड़ी रजिस्टर होगी, उसमें ये दोनों फीचर अनिवार्य रूप से होने चाहिए. अब आते हैं आंकड़ों पर. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली स्टैटेस्टिकल हैंडबुक 2021 का डेटा कहता है,  

-  दिल्ली में एक लाख से अधिक प्राइवेट टैक्सी रजिस्टर्ड हैं.
-  2019 के बाद रजिस्टर्ड हुईं लगभग 12 हज़ार टैक्सियों में पैनिक बटन लगा था.
-  औसतन पुलिस के पास रोज़ 50 पैनिक अलर्ट आते हैं

Uber Files में पैनिक बटन से जुड़े क्या खुलासे हुए?

इन दावों की सच्चाई जाने के लिए इंडियन एक्सप्रेस की टीम ने 50 उबर कैब की सवारी की. उनकी पड़ताल में पता चलाः

- 50 गाड़ियों में से सिर्फ 7 में पैनिक बटन काम कर रहे थे
- बाकी की 43 में से 29 गाड़ियों में पैनिक बटन थे ही नहीं
- 7 में से 5 गाड़ियों में पैनिक बटन दबाने के बाद भी 20 मिनट तक कोई रेस्पॉन्स नहीं आया.

दिल्ली में इस तरह के मामलों से निपटने की ज़िम्मेदारी दो विभागों के बीच बंटी है. पैनिक अलर्ट जाता है, दिल्ली ट्रांसपोर्ट विभाग को. और, पैनिक की स्थिति में मदद करने पहुंचना होता है दिल्ली पुलिस को. दिल्ली ट्रासंपोर्ट विभाग के कमिश्नर आशीष कुंद्रा ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि API यानी एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफ़ेस नाम का एक सॉफ्टवेयर बनाया जा रहा है, जो पैनिक अलर्ट को सीधे 112 पीसीआर से जोड़ेगा. ये सॉफ्टवेयर अगले एक महीने में बनकर तैयार हो जाएगा.

अभी पैनिक अलर्ट केवल दिल्ली ट्रांसपोर्ट के पास जाते हैं. फिर वो आगे उसे पुलिस को ट्रांसफर करते हैं. कुल जमा बात इतनी है कि 8 साल पहले जो सेफ्टी फीचर लाया गया था वो ठप पड़ा है. उबर ने कागज़ों में तो दिखा दिया कि सब चंगा है, लेकिन असल में ऐसा था नहीं. आप कह सकते हैं यहां तो पूरा सिस्टम ही डांवाडोल है. लेकिन उबर से जुड़ा ये इकलौता मामला नहीं है. उबर फाइल्स में उबर से जुड़े कई केसेस सामने आए हैं. केवल भारत से नहीं, दुनिया भर से. इंडियन एक्सप्रेस उस इन्वेस्टिगेशन का पार्ट था सो, उसने भारत के संदर्भ में कई सारी रिपोर्ट्स की सीरीज़ बनाई है. उससे स्पष्ट होता है कि उबर ने न केवल भारत में बल्कि दुनियाभर में कस्टमर को सर्विस और सेफ्टी देने के बजाय लॉबिंग की. ऊंचे पदों पर बैठे लोगों को पैसे खिलाए और जांच से बचता रहा.

पैनिक बटन इसलिए लाया गया था कि अगर किसी का फ़ोन काम न कर रहा हो या वो फोन के ज़रिए इमरजेंसी कांटैक्ट न कर पाए तब वो पैनिक बटन का इस्तेमाल कर ले. पर देश की राजधानी में ही पैनिक बटन का ऐसा हाल है, तो पूरे देश का क्या होगा, आप अंदाज़ा लगा लीजिए.

कैब ट्रैवल को ऐसे सेफ बनाएं -

अब आखिर में सवाल उठता है, कैब या टैक्सी में ट्रैवल करते वक़्त अपनी सुरक्षा कैसे सुनिश्चित करें?
- सबसे पहले तो अपना फ़ोन चार्ज कर के घर से निकलिए. 
- दूसरा, जहां भी जा रहे हैं अगर रास्ते से आप अनजान है तो लोकेशन लगा कर रखिए. अपनी लाइव लोकेशन या रियल टाइम लोकेशन किसी विश्वसनीय व्यक्ति के साथ शेयर कर के रखिए. 
- अगर थोड़ा भी शक हो कि ड्राइवर अपने सेंसेस में नहीं है या नशे में है तो वो राइड तुरंत स्टॉप कर दीजिए.
- किसी भी खतरे के दौरान डायरेक्ट 100 या 112 पर कॉल करिए. इससे आस-पास की पीसीआर आप जल्दी कनेक्ट हो सकते हैं. 
- अगर आप दिल्ली एनसीआर में कैब ले रहे हैं तो हिम्मत ऐप का सहारा ले सकते हैं. ये दिल्ली पुलिस का अपना ऐप है और इसमें रेस्पॉन्स टाइम बहुत फास्ट है.

सबसे ज़रूरी बात, आपकी सुरक्षा आपके हाथ है. काफी सावधान इंडिया टाइप साउंड करेगा, लेकिन ऑन अ वेरी सीरियस नोट- सजग रहिए, सतर्क रहिए.

वीडियो- लंदन में सोनम कपूर के साथ उबर कैब ड्राइवर ने ऐसा क्या किया कि उन्होंने कहा 'कांप रही हूं'