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बुखार 102-103 डिग्री से नीचे ही नहीं उतर रहा, तुरंत ये काम करें

हाइपर थर्मिया एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर का तापमान 102,103 के ऊपर चला जाता है.

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सिर दर्द या बुखार लगे तो उसी टाइम डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें

(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

सितंबर आ गया है, पर ये गर्मी है कि जाने का नाम ही नहीं ले रही. जहां एक तरफ़ ख़बरें आ रही हैं कि बेंगलुरु जैसे शहर बारिश की वजह से परेशान हो गए हैं, नॉर्थ में लोग दो बूंद के लिए तरस गए हैं. आज हम वेदर रिपोर्ट इसलिए दे रहे हैं क्योंकि इस गर्मी से इंसान न सिर्फ़ पक चुका है, बल्कि बीमार भी पड़ रहा है. ज्योति 20 साल की हैं और दिल्ली में रहती हैं. दिल्ली की गर्मी से बेहाल हैं. कुछ दिन पहले उन्हें कॉलेज के कुछ काम से काफ़ी देर धूप में खड़ा रहना पड़ा. उसी शाम उनकी हालत ख़राब हो गई. उन्हें 103 बुखार आ गया. दवाइयों से भी बुखार नहीं उतर रहा था. साथ ही भयानक सिर दर्द और बदन दर्द. ज्योति के घरवाले उन्हें अस्पताल लेकर भागे. वहां उन्हें ड्रिप के ज़रिए दवाई दी गई और ठंडी पट्टियां की गईं. तब जाकर कहीं उनकी हालत में कुछ सुधार आया.

ज्योति चाहती हैं हम गर्मी के कारण होने वाले बुखार के बारे में बात करें. गर्मी से बुखार क्यों चढ़ जाता है और इससे कैसे निपटें? देखिए जब शरीर का तापमान बहुत ज़्यादा होता है यानी शरीर ओवरहीट हो जाता है तो उसको कहते हैं हाइपर थर्मिया. ये कंडीशन आम तो है पर जानलेवा भी है. तो सबसे पहले ये जान लेते हैं आपका शरीर इतना गर्म क्यों हो जाता है.

हाइपर थर्मिया क्या होता है?

ये हमें बताया डॉक्टर संजय गुप्ता ने.

Dr. Sanjay Gupta | V-Medica Multi Speciality Clinics & Diagnostics
डॉक्टर संजय गुप्ता, सीनियर कंसल्टेंट, इंटरनल मेडिसिन, पारस हॉस्पिटल्स, गुरुग्राम

हाइपर थर्मिया एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर का तापमान 102-103 के ऊपर चला जाता है. दिमाग के अंदर मौजूद हाइपोथैलेमस जो शरीर का तापमान कंट्रोल करता है, वो फ़ेल हो जाता है. ऐसे में शरीर से हीट बाहर नहीं निकल पाती, पसीना नहीं आता, इसके कारण शरीर का तापमान बढ़ जाता है, इसमें पेशेंट बेहोश भी हो सकता है.

कारण

हाइपर थर्मिया होने की सबसे बड़ी वजह है लू लगना, गर्म हवा का तापमान बहुत ज़्यादा होता है, ऐसे में ये गर्म हवा लगने के कारण मरीज़ में बहुत ज़्यादा गर्मी बैठ जाती है. गर्मी बाहर नहीं निकल पाती है. इस वजह से शरीर का तापमान बहुत ज्यादा बढ़ जाता है.

How to reduce fever at home quickly | HealthShots
हाइपर थर्मिया एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर का तापमान 102,103 के ऊपर चला जाता है
लक्षण

-बहुत तेज़ बुखार हो जाता है

-उल्टियां होती हैं

-बहुत ज़्यादा गर्मी लगती है

-कई बार मरीज़ बेहोश भी हो जाता है

-बहुत भयंकर सिर दर्द होता है

हेल्थ रिस्क

इसका सबसे बड़ा हेल्थ रिस्क है तेज़ बुखार, जो 102-103 डिग्री क्रॉस कर जाता है, जिसे दिमागी बुखार कहते हैं. क्योंकि इसमें हाइपोथैलेमस काम नहीं करता. इसलिए पेशेंट गफ़लत में आ जाता है. इसके कारण पेशेंट की मौत भी हो सकती है.

बचाव

शरीर को गर्मी न लगने दें, बाहर निकलते वक़्त हमेशा पानी की बोतल साथ रखें, शिकंजी, ORS का घोल पीकर निकलें.

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हाइपर थर्मिया होने की सबसे बड़ी वजह है लू लगना

-नमक और पानी का घोल ठीक मात्रा में पिएं

-गर्मियों में दिनभर में कम से कम 5-6 लीटर पानी ज़रूर पिएं

-जब भी बाहर निकलें तो छाता लेकर निकलें

-कार में हैं तो AC ऑन रखें

-सिर दर्द या बुखार लगे तो उसी टाइम डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें

-चक्कर आएं, गफ़लत महसूस हो तो किसी भी अस्पताल में इमरजेंसी में चले जाएं, क्योंकि ये जानलेवा हो सकता है

इलाज

-सबसे पहले मरीज़ की जांच की जाती है

-देखा जाता है कि वो होश में है या नहीं

-अगर पेशेंट होश में है तो ख़तरे की बात नहीं है

-ऐसे में पेशेंट को कोल्ड सलाइन ड्रिप से दवा दी जाती है

-माथे पर ठंडी पट्टियां रखी जाती हैं, ताकि शरीर का तापमान कम हो सके

Fevers 101: How to treat them, and when to get help | Nebraska Medicine  Omaha, NE
चक्कर आएं, गफ़लत महसूस हो तो किसी भी अस्पताल में इमरजेंसी में चले जाएं

-पूरे शरीर पर ठंडी पट्टी रखी जाती है

-कई बार हीट स्ट्रोक के कारण पेशेंट को ICU में रखा जाता है

-कई बार आधे से एक प्रतिशत पेशेंट हीटस्ट्रोक से बच नहीं पाते

-कई पेशेंट्स की मौत हो जाती है

तो भई, मौसम को देखते हुए ये तो नहीं पता कि गर्मियां जाएंगी कब. पर जब तक ये जाती नहीं, तब तक अपना ख्याल रखें. डॉक्टर ने जो टिप्स बताई हैं, उन्हें फॉलो करें, बचे रहेंगे. 

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