(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
जानवरों से होने वाली वो खतरनाक बीमारी, जिससे 100 में से 80 लोग मर जाते हैं!
बीमारी फैल रही है.
कोविड की तरह और भी कई सारे वायरस ऐसे हैं, जो जानवरों से इंसानों में फैलते हैं. उनमें से एक है मारबर्ग वायरस. ये इतना ख़तरनाक इसलिए है क्योंकि इसका मोर्टेलिटी रेट 80 प्रतिशत है. यानी इससे संक्रमित हुए 80 फीसदी लोगों की मौत हो जाती है. उससे ज़्यादा डराने वाली बात ये है कि इसका अभी तक कोई पुख्ता इलाज नहीं मिला है. पिछले साल इसके कुछ मामले सामने आने के बाद WHO अलर्ट हो गया था. कैसे फैलता है ये वायरस, चलिए जानते हैं.
मारबर्ग वायरस क्या होता है?ये हमें बताया डॉक्टर अनिकेत मूले ने.
-मारबर्ग वायरस इबोला वायरस की प्रजाति का ही एक वायरस है
-ये आमतौर पर जानवरों में पाया जाता है
-कभी-कभार इनफेक्टेड जानवरों के संपर्क में आने से ये इंसानों को भी हो सकता है
-पहला केस 1967 में जर्मनी के मारबर्ग शहर में मिला था
-यहां अफ़्रीकी बंदरों पर रिसर्च करने के दौरान साइंटिस्ट को इसके बारे में पता चला था
-उसके बाद 2008 में युगांडा में इसके काफ़ी मामले पाए गए थे
-इसके बाद ये वायरस दुनियाभर में जगह-जगह मिलता जा रहा है
लक्षण-अचानक से शुरू होने वाला बुखार
-तेज़ सिर दर्द
-बदन दर्द
-लूज़ मोशन
-उल्टी
-जगह-जगह से ब्लीडिंग होना
-उल्टी में खून आना
-लूज़ मोशन में ब्लड आना
-बीमारी होने पर 80 प्रतिशत से ज़्यादा लोगों की मौत हो जाती है
-मौत का कारण ब्लड लॉस और शॉक होता है
ये वायरस कैसे फैलता है?-जो भी शरीर के फ्लूइड हैं जैसे थूक, यूरिन, खून इनके संपर्क में आने से ये वायरस फैलता है
-जिस पेशेंट को मारबर्ग वायरस है, उसकी इस्तेमाल की हुई चीज़ों के संपर्क में आने से भी ये फैलता है
डायग्नोसिस-इसको बाकी वायरल बीमारियों से अलग करना काफ़ी मुश्किल है
-डेंगू, मलेरिया और टाइफॉइड के लक्षण भी ऐसा ही होते हैं
-इसलिए मारबर्ग वायरस का डायग्नोसिस करना मुश्किल होता है
-इसके लिए कुछ टेस्ट करने पड़ते हैं
-ELISA टेस्टिंग से एंटीजेन का पता चलता है
-एंटीबॉडी पता चलती है
-RT-PCR टेस्ट से वायरल का DNA चेक किया जाता है
-वायरल कल्चर किया जाता है
-लेकिन इन सारे टेस्ट में पेशेंट के संपर्क में आना पड़ता है
-ये काफ़ी ख़तरनाक है
इलाज-मारबर्ग वायरस के लिए अब तक कोई पुख्ता इलाज नहीं है
-जो भी इलाज है वो लक्षण का होता है
-हाइड्रेशन मेंटेन करना पड़ता है
-ब्लड लॉस हुआ है तो उसकी भरपाई करनी होती है
-कुछ केसेस में वेंटिलेटर पर रखना पड़ता है
-जब मारबर्ग वायरस ब्रेन में फैलता है तो पेशेंट कोमा में जा सकता है
-इसके लिए सपोर्टिव इलाज की ज़रुरत होती है
-इस वायरस के इलाज पर रिसर्च अभी जारी है
मारबर्ग वायरस से बचने का सबसे सही तरीका है. इनफेक्टेड जानवरों और लोगों के संपर्क में आने से बचना. लक्षण दिखने पर तुरंत मेडिकल हेल्प लेना.
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