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किडनी डोनेट करने से दिक्कत होती है? कौन कर सकता है और कैसे होती है?

हमारे देश में ऑर्गन डोनेशन यानी अंग डोनेट करने को लेकर एक कानून है.

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सांकेतिक फोटो.

(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

अक्सर फ़िल्मों में ऐसा होता है कि कोई पेशेंट अस्पताल में भर्ती है. डॉक्टर घरवालों को बताता है कि पेशेंट की दोनों किडनी फ़ेल हो गई हैं. उसे एक किडनी की ज़रुरत है. ऐसे में पेशेंट के घरवालों में से कोई किडनी देने के लिए तैयार हो जाता है. एक ऑपरेशन होता है और पेशेंट ठीक. लेकिन ऐसा सिर्फ़ फ़िल्मों में होता है. हकीक़त में ये इतना आसान नहीं है.

पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च के मुताबिक, फ़िलहाल दो हज़ार सात सौ छबीस लोग जिंदा रहने के लिए एक किडनी का इंतज़ार कर रहे हैं. लेकिन उन्हें किडनी देने वाला कोई नहीं है. डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ़ हेल्थ सर्विसेज के मुताबिक, हिंदुस्तान में हर साल 1 लाख 80 हज़ार लोगों की किडनियां फ़ेल होती हैं. ऐसे पेशेंट्स को किडनी ट्रांसप्लांट की ज़रुरत होती है. लेकिन इन 1 लाख 80 हज़ार लोगों में से केवल 6,000 लोगों को ही नई किडनी मिल पाती है.

अब आप ख़ुद गणित करके देख लीजिए. किडनी न मिल पाने के कारण हर साल कितने लोगों की जान जाती है. ऐसे में ज़रूरी है कि हम ऑर्गन डोनेशन के बारे में कुछ ज़रूरी बातें जान लें. आज हम किडनी डोनेशन के बारे में बात करेंगे. जैसे कौन अपनी किडनी दे सकता है, कैसे दे सकता है? क्या किडनी देने के बाद डोनर को परेशानी होती है? ये सारी बातें जानते हैं डॉक्टर्स से.

किडनी डोनेट करने की जरूरत कब पड़ती है?

ये हमें बताया लेफ्टिनेंट जनरल डॉक्टर उमेश कुमार शर्मा ने.

Dr (Lt. General) Umesh Kumar Sharma - Pushpawati Singhania Hospital &  Research Institute
लेफ्टिनेंट जनरल डॉक्टर उमेश कुमार शर्मा, सीनियर कंसल्टेंट, नेफ्रोलॉजी, पीएसआरआई हॉस्पिटल

-जब किसी पेशेंट की किडनी पूरी तरह से ख़राब हो जाती हैं

-उसको जीने के लिए डायलिसिस की ज़रुरत पड़ती है

-तब ऐसे में पक्का इलाज किडनी ट्रांसप्लांट ही है

-ऐसे पेशेंट किसी मृत इंसान की किडनी पाने के लिए रजिस्टर करते हैं

-लेकिन मृत इंसान की किडनी मिलना आसान नहीं होता है

-इसलिए कोई जीवित इंसान अपनी दो किडनियों में से एक किडनी अपनी मर्ज़ी से डोनेट करता है

-इस किडनी का ट्रांसप्लांट किया जाता है

-इससे किडनी की बीमारी हमेशा के लिए ठीक की जा सकती है

कौन किडनी डोनेट कर सकता है?

-हमारे देश में ऑर्गन डोनेशन यानी अंग डोनेट करने को लेकर एक कानून है

-इसके अनुसार बीमार इंसान के फर्स्ट डिग्री रिश्तेदार

-यानी मां-बाप, सगे भाई-बहन, बेटा-बेटी अपनी मर्ज़ी से किडनी डोनेट कर सकते हैं

-इसके अलावा दादा-दादी, नाना-नानी, पोता-पोती, नाती-नातिन भी किडनी दे सकते हैं

-पति-पत्नी भी अपनी मर्ज़ी से किडनी दे सकते हैं

Woman Calls Of Engagement To Donate Kidney To Ailing Mother After Her  Fiancé Opposed To It
हमारे देश में ऑर्गन डोनेशन यानी अंग डोनेट करने को लेकर एक कानून है

-इनके अलावा कोई और रिश्तेदार अगर अपनी मर्जी से किडनी देना चाहता है

-तो एक कमेटी उनका इंटरव्यू लेती है

-सारी जांच करने के बाद उनको भी परमिशन मिल जाती है

-दोस्त भी किडनी दे सकते हैं, अगर उनको कमेटी से परमिशन मिल जाए तो

डोनर को किन बातों को ध्यान रखना जरूरी है?

-अपना वज़न मेंटेन रखना चाहिए

-ब्लड प्रेशर जैसी समस्या है तो दवा से उसको कंट्रोल करना चाहिए

-शराब, सिगरेट का सेवन नहीं करना चाहिए

-इसके अलावा डोनर की अच्छे से जांच होती है

-उसके बाद ही वो किडनी डोनेट कर सकते हैं

डोनेट करने की प्रक्रिया क्या है?

-पहले डोनर से पक्का किया जाता है कि वो अपनी मर्ज़ी से किडनी डोनेट कर रहा है

-फिर उसका ब्लड ग्रुप चेक किया जाता है

-डोनर का ब्लड ग्रुप पेशेंट से मिलता हो तो अच्छा है

-आजकल वैसे अलग ब्लड ग्रुप में भी किडनी डोनेट की जा सकती है

-इसके बाद सारी शारीरिक जांच होती है

-डोनर अगर फिट है और उसकी टिश्यू टाइपिंग पेशेंट से मिलती है

-यानी किडनी लेने में पेशेंट को कोई परेशानी नहीं है  

-तब जाकर किडनी ट्रांसप्लांट की मंजूरी मिलती है

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आजकल वैसे अलग ब्लड ग्रुप में भी किडनी डोनेट की जा सकती है

-किडनी डोनेट करने वाले के पास दो किडनी होनी चाहिएं

-दोनों का नॉर्मल काम करना ज़रूरी है

-ऐसे में एक किडनी निकाली जाती है

-ऐसे में डोनर को कोई नुकसान नहीं होता है

उम्मीद है किडनी डोनेशन को लेकर जिन लोगों के मन में सवाल थे, वो दूर हो गए होंगे. 

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