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मैग्सेसे अवॉर्ड से तो मना कर दिया, लेकिन केरल की मंत्री ने ये अवॉर्ड ले लिए थे

रेमन मैग्सेसे और कम्यूनिस्टों के पुराने 'बैर' की पूरी कहानी क्या है.

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CPI(M) के जनरल सेक्रेटरी सीताराम येचुरी के बयान से असल वजह पता चली

के के शैलजा. केरल की सीनियर CPI(M) लीडर और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री. निपाह वायरस और कोरोना की पहली लहर के दौरान उनके काम को ख़ूब सराहा गया था. और, इसी काम को पहचान देने के लिए उन्हें प्रसिद्ध रैमन मैग्सेसे पुरस्कार (Ramon Magsaysay) दिया जाना था. था, क्योंकि शैलजा (K K Shailja) ने ये अवॉर्ड लेने से मना कर दिया है. क्यों मना किया? उन्होंने तो यही कहा कि वो ये अवॉर्ड बतौर इंडिविजुअल नहीं ले सकतीं क्योंकि उनके कार्यकाल के दौरान उन्होंने जो भी किया, उसमें सबका प्रयास शामिल है. 

केके शैलजा ने ये भी बताया कि उन्होंने इस संबंध में पार्टी से बातचीत की थी. पार्टी के मेंबरान ने भी यही कहा कि अवॉर्ड नहीं लेना चाहिए. कहा,

"मुझे सूचना दी गई कि अवॉर्ड समिति ने मेरे नाम पर विचार किया है. मैं एक राजनेता हूं. नॉर्मली ये अवॉर्ड राजनेताओं को नहीं दिया जाता. मैं CPI(M) की सेंट्रल कमेटी की सदस्य भी हूं. मैंने इस बारे में पार्टी के नेताओं से विचार-विमर्श किया और सभी ने साफ़ तौर पर कहा कि मुझे ये पुरस्कार स्वीकार नहीं करना चाहिए. और, ये सही भी नहीं है कि मैं अकेले उस काम का क्रेडिट ले लूं, जिसमें सभी का कलेक्टिव एफ़र्ट था. ये एक बड़ा पुरस्कार है, लेकिन मैंने उनसे माफ़ी मांग ली और विनम्रता के साथ उन्हें कह दिया कि मैं ये अवॉर्ड नहीं ले सकती."

हालांकि, कोविड पैनडेमिक में बेहतरीन काम के लिए ही शैलजा को जून, 2020 में UN ने सम्मानित किया था. उन्हें United Nations Public Service Day के मौक़े पर बोलने के लिए बुलाया गया था. फिर 2021 के लिए सेंट्रल यूरोपियन यूनिवर्सिटी (सीईयू) ओपन सोसाइटी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. स्वास्थ्य के क्षेत्र में उनके काम के लिए ही. तो उनका ये कहना कि अवॉर्ड अकेले लेना ठीक नहीं, जमता नहीं है. लेकिन फिर आया बयान CPI(M) के जनरल सेक्रेटरी सीताराम येचुरी का, जिससे मामले से धुंध छंटी.

सीताराम येचुरी ने बताई मैग्सेसे ठुकराने की असल वजह

येचुरी ने कहा,

"ये पुरस्कार रेमन मैग्सेसे के नाम पर है, जिनका फिलीपीन्स में कम्युनिस्टों के क्रूर उत्पीड़न का इतिहास रहा है. इसलिए इन सभी वजह से उन्होंने (शैलजा ने) विनम्रतापूर्वक अवॉर्ड लेने से मना कर दिया."

क्या रेमन मैग्सेसे वाक़ई एक क्रूर शासक थे?

रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड. बहुब्बड़ा अवॉर्ड. एशिया का नोबेल भी कहते हैं. अलग-अलग क्षेत्रों में समाज की 'निस्वार्थ सेवा' के लिए इंडिविजुअल और संगठनों को दिया जाता है. विनोबा भावे, मदर टेरेसा, जय प्रकाश नारायण, सत्यजीत रे, अरुन शौरी, किरण बेदी, महाश्वेता देवी, रवीश कुमार समेत कई भारतीयों को ये अवॉर्ड मिल चुका है. जब पत्रकार रवीश कुमार को ये पुरस्कार मिला था, तब इसकी ख़ूब चर्चा हुई थी. तब रेमन मैग्सेसे की भी ख़ूब चर्चा हुई थी. एक फोटो वायरल हुई थी, जिसमें फोटो में बाक़ी लोगों ने हाथ उठाया हुआ था. मैग्सेसे के अलावा. तब ये बात भी हुई कि विरोधी स्वभाव के लोगों के लिए मैग्सेसे एक आयडल टाइप हैं, लेकिन मामला इतना सुलझा नहीं है. दरअसल, जिन रेमन मैग्सेसे के नाम पर ये अवॉर्ड है, उनपर आरोप हैं कि उनके राष्ट्रपति रहने के दौरान फिलिपींस में कम्यूनिस्टों पर जुल्म किए गए थे.

अब इस बात को समझने के लिए रेमन मैग्सेसे और उनके कम्यूनिस्टों से कथित बैर के बारे में थोड़ा-सा जान लीजिए. रेमन का जन्म हुआ 31 अगस्त, 1907 को. पिता लोहार और मां टीचर. मैग्सेसे अपनी जवानी के दौरान एक गाड़ी मेकैनिक थे, फिर उन्हें 1941 से लेकर 1945 तक चलने वाले पैसिफ़िक युद्ध के लिए सेना में शामिल कर लिया गया. जापानी सैनिकों के विरुद्ध मैग्सेसे एक माने हुए गुरिल्ला लीडर बन गए. युद्ध ख़त्म हुआ और फिलिपीन्स को 1946 में एक स्वतंत्र देश का दर्जा मिल गया. रेमन फिलिपीन्स की लिबरल पार्टी से सांसद चुन लिए गए. फिर 1953 में उन्हें फिलिपीन्स का सातवां राष्ट्रपति बना दिया गया. 1957 में एक प्लेन-क्रैश में उनकी मौत हो गई.

रेमन मैग्सेसे आज़ाद फिलिपीन्स के तीसरे और फिलिपीन्स के सातवे राष्ट्रपति के तौर पर जाना जाता है (आर्काइव)

अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान रेमन मैग्सेसे ने कथित तौर पर वहां की कम्यूनिस्ट पार्टी के सदस्यों को प्रताड़ित किया था. हालांकि, जापानियों से जंग में दोनों साथ ही लड़े थे. लेकिन जैसे ही युद्ध ख़त्म हुआ तो हालात बदल गए. कम्यूनिस्ट पार्टी के लिए. अमीर-ग़रीब की खाई बढ़ी और किसानी बुरी तरह से प्रभावित हुई. फिलिपीन्स की सरकार US के पक्ष में थी. वहीं, कम्यूनिस्ट लीडर्स को किसानों और मजदूरों के हक़ के लिए कमिटेड माना जाता था. और, इसीलिए उनमें और सरकार में शुरू हुई रस्साकशी. तनाव इस क़दर बढ़ा कि संसद और सड़कों, दोनों जगह प्रदर्शन होने लगे. जो इतिहास अमेरिकियों ने लिखा, उसके मुताबिक़, मैग्सेसे के नैशनल डिफ़ेंस सेक्रेटरी बने रहने के दौरान कम्यूनिस्ट धड़े को क़ाबू में किया गया. उनकी 'प्रशासनिक और सैन्य नीतियों' के बाद ही ये पूरा बवाल पटा. सोविएट इतिहास में इन नीतियों को क्रूरता और प्रताड़ना कहा गया है. हालांकि, ये तथ्य तो दोनों तरफ़ के इतिहास ने माना है कि रेमन मैग्सेसे के अमेरिकियों की बढ़िया बनती थी.

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