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गर्भ में जुड़वा या तीन बच्चे एक साथ कैसे बन जाते हैं?

किन महिलाओं में जुड़वा बच्चे होने का चांस ज़्यादा होता है?

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जिन लोगों में IVF या आर्टिफिशियल तरीके से प्रेग्नेंसी करवाई गई हैं, उनमें जुड़वा या तीन बच्चे होने का चांस ज़्यादा है.

जब मैं सेकंड क्लास में थी तो मेरे साथ दो जुड़वा बहनें पढ़ती थीं. अब ये दोनों आइडेन्टिकल ट्विन्स थीं. यानी दोनों एक जैसी लगती थीं. उस वक़्त मेरे लिए ये दोनों किसी चमत्कार से कम नहीं थीं. लाइफ में पहली बार मुझे जुड़वा बच्चों का कॉन्सेप्ट पता चला था. सिर्फ़ मुझमें ही नहीं, जुड़वा बच्चों को लेकर आमतौर पर लोगों में बहुत इंटरेस्ट होता है. आखिर कुछ बच्चे जुड़वा क्यों पैदा होते हैं या ट्रिपलेट्स यानी एक गर्भ में तीन बच्चे एक साथ कैसे बन जाते हैं? आज जानते हैं ऐसी प्रेग्नेंसी के बारे में. ये क्यों होती है? किन महिलाओं में ऐसा होने का चांस ज़्यादा है और किन केसों में ये एक रिस्क बन जाता है? इन सारे सवालों के जवाब जानते हैं डॉक्टर्स से.

गर्भ में जुड़वा बच्चे कैसे बनते हैं?

ये हमें बताया डॉक्टर सुरभि सिद्धार्थ ने.

Dr. Surabhi Siddhartha | Obstetrician & Gynaecologist in Kharghar, Mumbai | Motherhood  Hospitals
डॉक्टर सुरभि सिद्धार्थ, कंसल्टेंट, गायनोकॉलजिस्ट, मदरहुड हॉस्पिटल, नवी मुंबई

ट्विन प्रेग्नेंसी को मल्टी फ़ीटल प्रेग्नेंसी भी कहते हैं. अगर एक से ज़्यादा बच्चे गर्भाशय में पलें तो उसे ट्विन प्रेग्नेंसी कहते हैं. ये भी कई प्रकार की होती है. एक अंडा जब एक स्पर्म (शुक्राणु) से मिलता है तो आमतौर पर सिंगल प्रेग्नेंसी होती है. पर कभी-कभी ओवुलेशन (महिला के अंडाशय से अंडा रिलीज होने की प्रक्रिया) के दौरान एक अंडा दो स्पर्म से मिल जाता है या ओवुलेशन के दौरान दो अंडे दो अलग स्पर्म से मिल जाते हैं. इसकी वजह से जुड़वा बच्चे पैदा होते हैं.

कभी-कभी प्लेसेंटा यानी गर्भनाल एक रहता है पर दो बच्चे गर्भ में मौजूद अलग-अलग दो थैलियों में पलते हैं, लेकिन उनको खून एक ही गर्भनाल से मिलता है. कभी-कभी दोनों बच्चे एक ही थैली में पलते हैं और एक ही गर्भनाल से उनको खून मिलता है. ये बच्चों के लिए ज़्यादा रिस्की होता है.

Identical Twins and Fingerprints
कभी-कभी परिवार में भी एक ट्रेंड होता है जुड़वा बच्चे होने का
किन महिलाओं में ट्विन प्रेग्नेंसी ज़्यादा आम है?

आजकल आर्टिफिशियल रिप्रोडक्टिव थेरेपी बढ़ रही है, यानी IVF, IUI वगैरह. इन केसों में जो दवाइयां दी जाती हैं उनसे एक से ज़्यादा अंडे बनते हैं. अब अगर ये दोनों अंडे स्पर्म से मिलेंगे तो जुड़वा या तीन बच्चे होने का चांस हो सकता है. IVF में जब अंडे को स्पर्म से मिलाया जाता है तो तीन भ्रूण महिला में ट्रांसफ़र किए जाते हैं. कभी-कभी ये तीनों डेवलप कर जाते हैं. कभी केवल एक डेवलप होता है. जिन लोगों में IVF या आर्टिफिशियल तरीके से प्रेग्नेंसी करवाई गई है, उनमें जुड़वा या तीन बच्चे होने का चांस ज़्यादा है. कभी-कभी परिवार में भी एक ट्रेंड होता है जुड़वा बच्चे होने का. कुछ लेट प्रेग्नेंसी के केसों में हॉर्मोनल बदलाव थोड़े अलग होते हैं. उन केसों में भी ट्विन प्रेग्नेंसी होने का चांस ज़्यादा होता है. अगर जुड़वा बच्चे या तीन बच्चे आपके गर्भ में पल रहे हैं तो घबराएं नहीं, डॉक्टर से मिलकर जांच करवाते रहें. आपको ज़्यादा रेस्ट और जांच की ज़रुरत है.

जुड़वा या तीन बच्चे कैसे बनते हैं, ये समझ में आ ही गया होगा. पर अगर किसी महिला की ट्विन या ट्रिप्लेट प्रेग्नेंसी होती है तो ज़रूरी है समय-समय पर जांच होती रहे ताकि जच्चा और बच्चा दोनों हेल्दी रहें. 

(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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