वो टाइम याद है जब हचक कर खाना खाते थे और वज़न बढ़ने की कोई टेंशन ही नहीं होती थी. जो मन किया खाया. चाट-कचोरी. छोले-भठूरे. वगैरह-वगैरह. पर वो साल दूसरा था, ये साल दूसरा है. अब आलम ये है कि एक एक्स्ट्रा पूरी खाने से पहले 50 बार सोचना पड़ता है. मक्खन वाले पराठे देखकर मुंह में पानी तो आता है पर जैसे-तैसे मन मारना पड़ता है. वज़न बढ़ने की टेंशन इतनी है कि अपनी पसंदीदा खाने की चीज़ों की कुर्बानी देनी पड़ती है. और ऐसा सिर्फ़ आपके साथ नहीं हो रहा है.
उम्र के साथ वज़न बढ़ना आसान और घटाना मुश्किल क्यों हो जाता है?
वो टाइम याद आता है जब हचक कर खाना खाते थे और वज़न बढ़ने की कोई टेंशन ही नहीं होती थी?
एक वक़्त के बाद इंसान का वज़न वो नहीं रहता जैसे पहले हुआ करता था. पहले जो चीज़ें मज़े से खाते थे, उन्हें अब खाने पर गिल्ट महसूस होता है क्योंकि वज़न बढ़ाने में सबसे बड़ा हाथ उनका ही है. पर आखिर ऐसा क्यों होता है? क्यों उम्र के साथ वज़न मेन्टेन करना मुश्किल हो जाता है. हर बात पर बढ़ने लगता है. और हां, वज़न घटाना और भी मुश्किल हो जाता है. आज इन सारे सवालों के जवाब जानेंगे डॉक्टर्स से. पर सबसे पहले ये समझ लेते हैं मेटाबॉलिज्म क्या होता है, जिसकी वजह से सारा खेल होता है.
मेटाबॉलिज्म क्या होता है?ये हमें बताया डॉक्टर अपर्णा गोविल भास्कर ने.
मेटाबॉलिज्म वो केमिकल प्रोसेस है जो शरीर के काम करते रहने के लिए ज़रूरी होता है. इसमें दो तरह के प्रोसेस होते हैं. एक है केटाबॉलिज्म और दूसरा है एनाबॉलिज्म. केटाबॉलिज्म यानी खाने को तोड़ने के लिए शरीर को काम करना पड़ता है. जो कार्बोहायड्रेट, प्रोटीन, फैट हम खाते हैं उसको शरीर तोड़ता है एनर्जी के लिए. जब शरीर ख़ुद की मरम्मत करता है और बढ़ता है तो उसे एनाबॉलिज्म कहते हैं.
किन चीज़ों से मेटाबॉलिक रेट पर फ़र्क पड़ता है?उम्र के साथ मेटाबॉलिक रेट पर असर पड़ता है. बढ़ती उम्र के साथ मेटाबॉलिज्म स्लो हो जाता है. बच्चों का मेटाबॉलिज्म काफ़ी फ़ास्ट होता है. औरतों का मेटाबॉलिज्म पुरुषों के मुकाबले थोड़ा स्लो होता है. थायरॉइड जैसी बीमारियों की वजह से भी मेटाबॉलिज्म स्लो या फ़ास्ट हो जाता है. बीमारी के समय मेटाबॉलिक रेट बढ़ जाता है क्योंकि शरीर को रिकवर करना होता है. कई जेनेटिक कारणों पर भी मेटाबॉलिक रेट निर्भर करता है.
उम्र के साथ मेटाबॉलिज्म पर क्या असर पड़ता है?ये देखा गया है कि बढ़ती उम्र के साथ मेटाबॉलिक रेट स्लो हो जाता है. इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे बढ़ती उम्र. दूसरा कारण है लीन मसल मास. मतलब मसल मास उम्र के साथ कम होता है. जो लोग एक्सरसाइज नहीं करते, उनका लीन बॉडी मास और भी कम होता है. उनका मेटाबॉलिज्म स्लो होने का ज़्यादा चांस होता है.
एक्सरसाइज करना बहुत ज़रूरी है. हेल्दी डाइट खाना भी ज़रूरी है क्योंकि अगर मेटाबॉलिज्म स्लो होगा तो वज़न बढ़ेगा. वज़न बढ़ने के कारण डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, जोड़ो में दर्द, दिल की बीमारियां हो सकती हैं. इसलिए अगर मेटाबॉलिज्म अच्छे से मेन्टेन करना है तो मसल मास के ऊपर ध्यान देना ज़रूरी है. इसके लिए अच्छे से एक्सरसाइज करिए. ऐसी डाइट लें जिसमें शुगर और फैट कम हो. प्रोटीन ज़्यादा लें. जितना हाई प्रोटीन डाइट खाएंगे उतना मेटाबॉलिज्म बढ़ेगा. अगर 40 साल से ज़्यादा हैं तो डॉक्टर से बात करने के बाद एक्सरसाइज चुनिए. पर एक्टिव रहना बहुत ज़रूरी है.
एक बात तो साफ़ है, अगर आपका एक एक्टिव लाइफस्टाइल नहीं है तो ऐसा होगा. इसलिए जो टिप्स डॉक्टर ने बताई हैं उन्हें फॉलो करिए. असर देखने को मिलेगा.
(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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