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अर्शदीप को खालिस्तानी बताते लोगों का सच आंखें खोल देगा!

बात इतनी सीधी भी नहीं है.

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अर्शदीप सिंह को सोशल मीडिया पर काफी कुछ कहा जा रहा है (एपी फोटो)

#ArshdeepSingh #Khalistan #INDvsPAK रविवार, 4 सितंबर की रात एशिया कप में भारत और पाकिस्तान का मैच हुआ. भारत ने आखिरी ओवर्स में ये मैच गंवा दिया. पाकिस्तान ने पांच विकेट और एक गेंद बाकी रहते ही मैच अपने नाम कर लिया. और जैसा कि होना ही था, मैच के बाद खूब बवाल मचा.

लेकिन इस बवाल की शुरुआत मैच खत्म होने से पहले ही हो गई थी. बात 18वें ओवर की तीसरी गेंद की है. रवि बिश्नोई बोलिंग कर रहे थे. नए-नए आए आसिफ अली के खिलाफ़ पिछली ही गेंद पर विकेट के पीछे कैच की जोरदार अपील हुई थी. वहां बचे आसिफ ने ऑफ स्टंप के बाहर की इस फुल गेंद पर स्लॉग स्वीप करना चाहा. लेकिन गेंद बल्ले का ऊपरी किनारा लेकर शॉर्ट थर्डमैन पर खड़ी हो गई.

यह बहुत आसान कैच था. लेकिन देखकर ऐसा लगा कि अर्शदीप ने इसे बहुत कैजुअली लिया और गेंद उनके हाथ में आकर छिटक गई. इस कैच के गिरने के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर बवाल शुरू हो गया. लोगों ने खालिस्तानी हैशटैग के साथ अर्शदीप सिंह की ट्रोलिंग शुरू कर दी. देखते ही देखते हजारों ट्वीट्स हुए. मामला इतना बढ़ा कि कई दिग्गजों को आगे आकर अर्शदीप को सपोर्ट करना पड़ा.

# Arshdeep Singh Khalistani

लोग उनकी ट्रोलिंग रोकने की मांग करने लगे. और उन्हें खालिस्तानी बताने वालों को लानतें भेजी गईं. लोग काफी गुस्से में थे. अर्शदीप को ट्रोल करने वालों को खूब सुनाया गया. दोनों तरफ से काफी बातें हुईं. कई लोगों ने इसके आधार पर तमाम क्रिकेट प्रेमियों को रिजेक्ट कर दिया. कहा गया कि ये लोग इंसान भी नहीं हैं.

लेकिन अब इन ट्रेंड्स पर एक बड़ी चीज सामने आई है. डाटा मामलों के जानकार साइकिरन कनन ने एक रीसर्च के जरिए समझाया है कि कैसे इन ट्रेंड्स की शुरुआत भारत के बाहर से हुई. और इसे पालने-पोसने में अमेरिका और पाकिस्तान में बैठे लोगों का हाथ था. साइकिरन ने एक ट्विटर थ्रेड के जरिए सारी चीजें समझाईं. उन्होंने इन ट्रेंड्स की शुरुआत के दो-तीन घंटे के आधार पर अपनी बात रखी.

उनकी यह रीसर्च अर्शदीप के कैच गिराने से लेकर कुछ घंटे बाद तक के ट्रेंड्स पर आधारित थी. पहले दो-तीन घंटे में लगभग ग्यारह सौ ट्वीट्स थे. और इस दौरान खालिस्तानी हैशटैग लगभग साढ़े चार लाख ट्विटर हैंडर्स तक पहुंच रहा था. खालिस्तानी हैशटैग के साथ और भी काफी चीजें चल रही थीं. इनमें खालिस्तान मूवमेंट को सपोर्ट करने वाले इन्फ्लुएंसर्स से जुड़े कई जेनरिक ट्रेंड्स भी शामिल थे.

साइकिरन ने इन ट्वीट्स में लगे इमोजीज की भी चर्चा की. ज्यादातर इमोजीज मजाक उड़ने और हंसने वाली थीं. साइकिरन ने इन्फ्लुएंसर्स की लिस्ट भी शेयर की. इसमें लगभग सारे बड़े नाम अमेरिका या पाकिस्तान से थे. लिस्ट का पहला हैंड अमेरिका से था. ओसामा नाम के इस बंदे ने ट्वीट किया,

'इस अर्शदीप को अब खालिस्तान मूवमेंट को सपोर्ट करना ही होगा. इसके बाद यह भारत वापस नहीं जा सकता.'

जबकि शुगर काका नाम के दूसरे यूजर ने ट्वीट किया,

'अर्शदीप सिंह की तरफ से संदेश साफ है- खालिस्तान फॉरएवर.'

इन दो हैंडल्स की कुल रीच लगभग 34 हजार रही. जबकि मैनहटन बैठे तीसरे हैंडल ने ट्वीट किया,

'अर्शदीप जाहिर तौर पर पाकिस्तान समर्थित खालिस्तान मूवमेंट का हिस्सा है.'

इस हैंडल की रीच लगभग एक लाख 58 हजार रही. यानी इन्हीं तीन हैंडल्स ने मिलकर यह ज़हर लगभग दो लाख लोगों तक पहुंचा दिया. खालिस्तानी हैशटैग का प्रयोग करने वाली लोकेशंस की बात करें तो टॉप थ्री में 30.5 परसेंट पाकिस्तान, 26.8 परसेंट अमेरिका और 22.8 परसेंट भारत का हिस्सा रहा. इसके बाद 7.6 परसेंट के साथ कनाडा का नंबर रहा.

इन तमाम आंकड़ों के पहले और बाद में भी. एक चीज एकदम क्रिस्टल क्लियर है. भारत संतों का देश नहीं है. ना कोई ये कह सकता है कि यहां सब भोले मानुष रहते हैं. जो किसी की गलती पर बात का बतंगड़ नहीं बनाते. यहां भी फ्रिंज एलिमेंट या ऐसे लोग हैं जो किसी व्यक्ति को उसकी जाति/धर्म या रंग की वजह से टार्गेट करते हैं.

और ऐसे लोग घात लगाकर बैठे भी रहते हैं. इन्हें बस एक मौका चाहिए. लेकिन इस पूरे मामले में एक और बात साफ है. यह ट्रेंड पाकिस्तान और अमेरिका में बैठे पाकिस्तान परस्त लोगों ने शुरू किया था. और इसके बाद यहां बैठे मुफ्त का इंटरनेट खर्च करने के लिए बेताब लोगों ने उनकी हां में हां मिला ली. बिना ये देखे/जाने कि इसका असर कहां और कितना पड़ रहा है.

इस देश में ऐसे लोगों की ठीकठाक संख्या है. ये लोग सस्ते इंटरनेट का जमकर दुरुपयोग भी करते हैं. लेकिन बीते मैच से जुड़े खालिस्तानी हैशटैग्स को शुरू करने और उसे फैलाने में देश से बाहर बैठे लोगों का हाथ है. यह बात भी ठीक है कि अगर किसी एक भारतीय ने भी खालिस्तानी हैशटैग के साथ अर्शदीप सिंह के खिलाफ़ कुछ भी लिखा, तो ये निंदनीय है. इसकी कड़ी से कड़ी सजा होनी ही चाहिए.

लेकिन साथ ही हमें यह भी याद रखना चाहिए कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है. यहां पर अलग-अलग लोगों को अलग-अलग विचार जाहिर करने की पूरी छूट है. लेकिन यह विचार किसी दूसरे को परेशान ना करें, उसका जीवन संकट में ना लाएं, इसे सुनिश्चित करना सरकार का काम है. और फिर चाहे वो मोहम्मद शमी का मामला हो, सिराज का हो या फिर अर्शदीप का. कहीं ना कहीं हमारी सरकार इसे सुनिश्चित करने में नाकाम रही है.

पुतले जलाने और घर पर पत्थर फेंकने वाले लोग आज किसी की देशभक्ति पर सवाल उठा रहे हैं. उसके मज़हब के नाम पर उसे नीचा दिखा रहे हैं. यह एक देश के रूप में बहुत शर्मनाक बात है. लेकिन हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि ऐसे ट्रेंड्स की आग में देश के दुश्मन भी अपनी रोटियां सेंक रहे हैं. और ऐसे लोगों की हां में हां मिलाने वाले, इनके विचारों को और फैलाने वालों को ये याद रखना चाहिए कि ऐसा करके वो अपने ही देश को कमजोर कर रहे हैं.

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