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'पूर्व क्रिकेटर' जय शाह के बारे में ये बातें कम ही लोग जानते हैं!

जय शाह ने इस तरह से की BCCI में एंट्री.

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जय शाह (पीटीआई फोटो)

जय शाह. आज 34 साल के हो गए. और इस उम्र के लिहाज़ से उन्होंने अपने जीवन में काफी कुछ अचीव कर लिया. मतलब इतना कुछ, कि इस देश के दशमलव कुछ परसेंट लोग इस अचीवमेंट के आसपास भी नहीं पहुंच पाएंगे. यानी ऐसा कह सकते हैं कि जय शाह हमारे बड़े से देश के छोटी सी संख्या वाले अचीवर्स का हिस्सा हैं. इधर-उधर देखेंगे तो जय शाह के साथ क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेटर और बिजनेस मैन लिखा आता है.

जय शाह की कई कंपनियां हैं. शाह साल 2009 से क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेटर हैं. यानी इस काम में उन्हें कुल 13 साल हो चुके हैं. शाह ने इस सफर की शुरुआत अहमदाबाद स्थित सेंट्रल बोर्ड ऑफ क्रिकेट में एग्जिक्यूटिव बोर्ड मेंबर के रूप में की थी. ये संस्था अहमदाबाद जिले की क्रिकेट का काम देखती है. इसके बाद साल 2013 में जय शाह गुजरात क्रिकेट असोसिएशन के जॉइंट सेक्रेटरी बने.

इस वक्त देश के मौजूदा गृहमंत्री अमित शाह GCA के प्रेसिडेंट थे. पिता-पुत्र की इसी जोड़ी की देखरेख में अहमदाबाद का मशहूर नरेंद्र मोदी स्टेडियम तैयार हुआ. और फिर वह साल 2015 में BCCI से जुड़े. यहां उनको फिनांस और मार्केटिंग कमिटी का सदस्य चुना गया. इसके बाद जय शाह ने साल 2019 में GCA के जॉइंट सेक्रेटरी की पोस्ट से इस्तीफा दे दिया.

# BCCI Secretary Jay Shah

अब वह BCCI के सेक्रेटरी बन चुके थे. वह सौरव गांगुली की अध्यक्षता में BCCI से जुड़ी नई कमिटी के सबसे युवा सदस्य थे. इस कमिटी में गांगुली और शाह के अलावा भाजपा नेता और मौजूदा केंद्र सरकार में मंत्री अनुराग ठाकुर के छोटे भाई अरुण धूमल को ट्रेजरार, माहिम वर्मा को वाइस-प्रेसिडेंट और जयेश जॉर्ज को जॉइंट सेक्रेटरी चुना गया था.

और जैसा कि ऑलमोस्ट तय था. इस टीम को देखते ही लोगों ने एक व्यक्ति को निशाने पर ले लिया. वो व्यक्ति थे जय शाह. एक वो दिन था एक आज का दिन है. जय शाह पर तमाम सवाल उठते हैं. लोग अक्सर उनकी योग्यता पर सवाल करते हैं. कहा जाता है कि उन्हें अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि का फायदा मिला. हो सकता है कि ये सच भी हो. लेकिन इसमें नया क्या है

भारतीय क्रिकेट बोर्ड शुरुआत से ही एक प्राइवेट बॉडी रही है. हालांकि इस बात पर भी खूब विवाद हैं. लोग कहते हैं कि अगर ये एक प्राइवेट बॉडी है तो इससे जुड़ी क्रिकेट टीम को भारतीय क्रिकेट टीम क्यों कहा जाता है? अब ये टेक्निकल चक्कर क्या है, मैं नहीं जानता. लेकिन एक चीज क्लियर है कि BCCI ना तो भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त स्पोर्ट्स फेडरेशन्स में आती है, ना ही इसे सरकार से किसी प्रकार की सहायता मिलती है.

सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन्स की लिस्ट देखेंगे तो साल 2020-21 के लिए यहां क्रिकेट के नाम पर सिर्फ टेनिस बॉल क्रिकेट फेडरेशन मिलेगी. यानी ये चीज साफ है कि BCCI एक प्राइवेट संस्था है. और इस प्राइवेट संस्था को लगभग इसकी शुरुआत से ही तमाम राजनेता मिलकर चला रहे हैं.

# BCCI Office Bearers

इन नेताओं में कई बड़े नाम हैं, तो कई ऐसे जिन्होंने कभी कोई चुनाव नहीं जीता. लेकिन दुनियाभर की नफरत मिलती है जय शाह को. वैसे इस नफरत के चलते जय शाह के काम की तारीफ करने से लोग डरते हैं. यहां तक कि अगर जय शाह कहीं टेक्निकली सही भी हों, तब भी आप उनकी ओर से नहीं बोल सकते.

क्योंकि ऐसा करते ही आप पर ठप्पा लग जाता है. वही वाला जो दूसरे गोले के आदमी को खोजे नहीं मिला था. लेकिन इन ठप्पों से दूर भी एक दुनिया है. जो बताती है कि एक अच्छा क्रिकेट प्रशासक यानी एडमिन होने के लिए आपका पूर्व क्रिकेटर होना जरूरी नहीं है. आप बाहर से आकर भी इस खेल को चला सकते हैं. और लोग चला ही रहे हैं. दुनियाभर में कई बोर्ड्स हैं जो तथाकथित बाहरी और प्रभावशाली लोगों द्वारा ही चलाए जा रहे हैं.

इतना ही नहीं. तमाम स्पोर्ट्स फेडरेशंस तो ऐसी हैं, जहां इन नेताओं या इनके सगे-संबंधियों ने जमकर भ्रष्टाचार किया. टैक्सपेयर्स के पैसे पर खूब ऐश की. कोर्ट ने गद्दी से हटाया तो खेल के भविष्य को ही संकट में डाल दिया. लेकिन इन लोगों पर बात नहीं होती, क्योंकि इनका नाम जय शाह नहीं है. जबकि अपने अब तक के क्रिकेट एडमिन भविष्य में इंडियन क्रिकेट को तमाम ऊंचाइयां दिखा चुके जय शाह हर रोज ट्रोल होते हैं.

वैसे रिकॉर्ड के लिए बताएं तो जय शाह ने भी क्रिकेट की ट्रेनिंग ली हुई है. उन्होंने अहमदाबाद में जयेंद्र सहगल के अंडर क्रिकेटर बनने की कोशिश की थी. और जब वो क्रिकेटर नहीं बन पाए, तो उन्होंने क्रिकेट प्रशासक बनना चुना और वो ये काम अच्छे से कर रहे हैं. और अपना काम अच्छे से कर रहे जय भैया को हमारी ओर से हैप्पी बड्डे

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