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IPL 2023 से पहले BCCI ले आया क्रिकेट को बदलने वाला नियम!

इम्पैक्ट प्लेयर सिस्टम IPL 2023 में लाया जा सकता है.

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IPL में भी लागू हो सकता है इम्पैक्ट प्लेयर सिस्टम (फाइल)

BCCI, भारतीय क्रिकेट में एक बड़ा बदलाव करने वाला है. इस साल खेले जाने वाले T20 सैय्यद मुश्ताक अली ट्रॉफी में अब से ‘इम्पैक्ट प्लेयर’ नियम लागू होगा. 11 अक्टूबर से शुरू हो रही सैय्यद मुश्ताक अली ट्रॉफी में इस नियम को लागू किया जाएगा. लेकिन ये नियम क्या है और काम कैसे करता है, आपको बताते हैं.

इएसपीएन क्रिकइंफो की एक रिपोर्ट के मुताबिक BCCI पिछले कई साल से IPL में ये सिस्टम लागू करना चाहता था. लेकिन अब ये फैसला लिया गया है कि पहले इसे सैय्यद मुश्ताक अली ट्रॉफी में लागू किया जाएगा. जहां पर ये सफल होता है, तो इसे IPL 2023 में लागू किया जाएगा.

क्रिकइंफो के मुताबिक BCCI के इमेल में लिखा है -

'T20 क्रिकेट की लोकप्रियता लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसे में हमें लगातार ऐसे प्रयास करने होंगे और बदलाव करने होंगे, जिससे ये फॉर्मेट लोगों को आकर्षित करता रहे. इसके साथ ही हम टीम्स के लिहाज़ से भी देखें तो ये स्ट्रैटेजिक पॉइंट ऑफ व्यू से काफी दिलचस्प रहेगा. BCCI 'इम्पैक्ट प्लेयर ‘ के कॉनसेप्ट को लागू करना चाहता है. इससे दोनों टीम्स प्लेइंग XI से एक प्लेयर को T20 मैच के दौरान रिप्लेस कर पाएंगे.’

आइये अब आपको बताते हैं ये सिस्टम काम कैसे करेगा.

Impact Player system:

मुकाबले से पहले टॉस के वक्त ही टीम के कप्तान अपने प्लेइंग XI के साथ-साथ चार सब्सटीट्यूट्स के नाम भी बताएंगे. इन चार में से एक प्लेयर को 'इम्पैक्ट प्लेयर' के तौर पर यूज़ किया जा सकता है. ये प्लेयर पहले 11 प्लेयर्स में से किसी की भी जगह ले सकता है. लेकिन ये काम सिर्फ दोनों पारियों के 14वें ओवर तक ही किया जा सकता है. उसके बाद नहीं. 14वें ओवर तक अगर कोई इम्पैक्ट प्लेयर आता है तो वो गेंदबाज़ी में चार ओवर का पूरा कोटा या फिर पूरी बैटिंग कर सकता है. 

ये प्लेयर जिस प्लेयर को रिप्लेस करता है, उसके मैच के रोल से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. फर्ज़ कीजिए, एक बॉलर ने 14 ओवर खत्म होने से पहले तीन ओवर बॉलिंग की है. उसके बाद उसकी जगह इम्पैक्ट प्लेयर लेगा. ऐसे में ये बॉलर अपने चार ओवर का कोटा पूरा कर सकता है. ऐसा ही बैट्समैन के साथ भी है. अगर कोई बैट्समैन आउट हो गया है, और इम्पैक्ट प्लेयर उसकी जगह ले रहा है, तो भी वो बैटिंग कर पाएगा.

वनडे क्रिकेट में 2005 से 2006 के बीच ‘सुपरसब सिस्टम’ लाया गया था. BBL, यानी बिग बैश लीग, में X-फैक्टर रुल चलता है. इस रूल के अनुसार कोई भी टीम मैच के पहले 10 ओवर के बाद एक प्लेयर को रिप्लेस कर सकती है. जिस प्लेयर को रिप्लेस किया जाता है, उसने ना तो बैटिंग की हो, न ही एक ओवर से ज्यादा बॉलिंग की हो. 

अब सैय्यद मुश्कताक अली में भी इससे मिलते जुलते रूल को इंट्रड्यूस किया जा रहा है. बोर्ड का मानना है कि ऐसे रुल्स से टीम्स को ज्यादा टैकटिकल फ्लेक्सिबिलिटी मिलेगी.

इस नियम के बारे में आपको और बताएं तो, इम्पैक्ट प्लेयर ओवर खत्म होने के बाद ही मैदान पर आ सकता है. अगर बैटिंग टीम का कोई विकेट गिरता है, तो वो ये चेंज कर सकती है. वहीं फिल्डिंग टीम ये चेंज सिर्फ ओवर ब्रेक या किसी को इंजरी हो जाए, तब ही कर पाएगी. जो प्लेयर सब्सटीट्यूट होकर बाहर जाता है, वो किसी भी सूरत में दोबारा मैच का हिस्सा नहीं बन पाएगा. सब्सटीट्यूट फिल्डर के रूप में भी नहीं.

बीमर्स या किसी और स्थिति में अगर कोई बॉलर मैच के दौरान सस्पेंड कर दिया गया हो, तो भी उसे रिप्लेस किया जा सकता है. लेकिन इस सूरत में इम्पैक्ट प्लेयर को बॉलिंग करने की अनुमति नहीं होगी.

क्रिकेट पर क्या होगा असर?

इस सिस्टम से टॉस का रोल कम हो सकता है. अब आपको समझाते हैं कैसे. एक टीम ने पहले बैटिंग की और दूसरी इनिंग में उसे अपनी बॉलिंग को बेहतर करना है. तो वो इम्पैक्ट प्लेयर के रूप में एक एक्सट्रा बॉलर को प्लेइंग XI में जोड़ सकता है. और अगर कोई टीम दूसरी पारी में बैटिंग कर रही है और पिच क्रैक कर चुकी है, यानी बॉल बहुत ज्यादा टर्न हो रही है, तो उस केस में बैटिंग टीम एक एक्सट्रा बैट्समैन प्लेइंग XI में जोड़ सकती है.

इससे अगर किसी प्लेयर को इंजरी हो जाती है, तो उसकी भी भरपाई हो जाएगी.

मिर्ज़ापुर की भाषा में कहें तो ये एकदम बवाल चीज़ हैं, पूरा सिस्टम हिल जाता है. टीम स्पोर्ट्स, जैसे कि फुटबॉल और हॉकी में हमने लगातार सब्सटीट्यूट का शानदार इस्तेमाल देखा है. 2014 FIFA वर्ल्ड कप के क्वार्टरफाइनल में नीदरलैंड ने 120वें मिनट पर अपने गोलकीपर को सब्सटीट्यूट कर दूसरा गोलकीपर भेजा था. नए गोलकीपर टिम क्रुल ने पेनल्टी शूटआउट में दो सेव कर अपनी टीम को सेमीफाइनल में पहुंचाया था. 

हो सकता है इस नियम के आने से हम क्रिकेट में भी ऐसा ही कुछ इम्पैक्ट देख पाएं. 

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