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BWF World Championship में कमाल करने वाले इन इंडियन बैडमिंटन स्टार्स को जानते हैं?

भारत ने अभी तक सिर्फ एक बार जीती है BWF वर्ल्ड चैंपियनशिप.

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प्रकाश पादुकोण, पीवी सिंधु (फोटो: फाइल)

BWF वर्ल्ड चैंपियनशिप (BWF World Championship). BWF यानी बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन द्वारा आयोजित किया जाने वाला बहुप्रतीक्षित बैडमिंटन इवेंट. बैडमिंटन वर्ल्ड चैंपियनशिप दुनियाभर के शटलर्स के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देने और बैडमिंटन वर्ल्ड चैंपियन बनने का सबसे बड़ा मंच है. यह ओलंपिक्स (Olympics) और ऑल इंग्लैंड ओपन (All England Open) के साथ बैडमिंटन के सबसे प्रतिष्ठित इवेंट्स में शुमार है.

1977 में स्वीडन के माल्मो में शुरू हुई, बैडमिंटन वर्ल्ड चैंपियनशिप 1983 तक हर तीन साल में एक बार होती थी. फिर ये इवेंट 2005 से एक द्विवार्षिक, यानी दो साल में एक बार आयोजित होने लगा. और वर्तमान में BWF वर्ल्ड चैंपियनशिप ओलंपिक्स साल को छोड़कर हर साल होती है. हालांकि कोविड के चलते 2021 में ओलंपिक्स और वर्ल्ड चैंपियनशिप दोनों एक ही साल आयोजित हुए.

# BWF World Championship

भारत की ओर से बैडमिंटन वर्ल्ड चैंपियनशिप्स में पहला मेडल भारतीय बैडमिंटन सुपरस्टार प्रकाश पादुकोण (Prakash Padukone) ने जीता था. डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगेन में आयोजित 1983 बैडमिंटन वर्ल्ड चैंपियनशिप में प्रकाश पादुकोण ने ब्रॉन्ज़ मेडल अपने नाम किया.

इसके बाद भारत को वर्ल्ड चैंपियनशिप में अगले पदक के लिए 28 साल तक इंतजार करना पड़ा. लंदन में आयोजित 2011 वर्ल्ड चैंपियनशिप में ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा (Jwala Gutta and Ashwini Ponnappa) की जोड़ी ने महिला डबल्स में ब्रॉन्ज़ मेडल जीता. इसके बाद 2011 से अब तक वर्ल्ड चैंपियनशिप के हर एडिशन में भारत कभी खाली हाथ नहीं लौटा.

अभी तक कुल आठ भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ियों ने BWF वर्ल्ड चैंपियनशिप के अलग-अलग इवेंट्स में कुल 12 मेडल जीते हैं. हालांकि इनमें से सिर्फ पीवी सिंधु के सर पर वर्ल्ड चैंपियन बनने का ताज सजा है. 2022 BWF वर्ल्ड चैंपियनशिप चल रही है. इंडिया के कई शटलर्स इसमें हिस्सा ले रहे हैं. और इसीलिए हमने सोचा कि क्यों ना यादों को रिवाइंड किया जाए. और हर मेडलिस्ट के बारे में आपको बताया जाए.

# प्रकाश पादुकोण

भारत के महानतम बैडमिंटन खिलाड़ी प्रकाश पादुकोण. भारतीय बैडमिंटन के लिए कई इवेंट्स के पहले मेडलिस्ट प्रकाश BWF वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी पहले भारतीय मेडलिस्ट हैं. उन्होंने कोपेनहेगेन में आयोजित 1983 के वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेंस सिंगल्स का ब्रॉन्ज़ मेडल जीता था. वर्ल्ड चैंपियनशिप में पादुकोण ने अपने पहले चार मैच जीते और सिर्फ एक गेम गंवाकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया था.

अंतिम चार में उन्होंने इंडोनेशिया के इकुक सुगियार्तो के खिलाफ पहला गेम जीता, लेकिन तीन गेम में हार गए. और इस प्रकार उन्हें ब्रॉन्ज़ मेडल से संतोष करना पड़ा. लेकिन फिर भी, यह भारतीय बैडमिंटन के लिए एक ऐतिहासिक क्षण था क्योंकि पादुकोण ने वर्ल्ड चैंपियनशिप में देश का पहला मेडल जीता था. 1980 में वो ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप जीतने वाले पहले भारतीय भी बने थे.

# ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा

इस जोड़ी को चैंपियनशिप में कोई वरीयता नहीं मिली थी. लेकिन इसके बावजूद दोनों ने ब्रॉन्ज़ मेडल हासिल कर लिया. यह वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीतने वाली इकलौती भारतीय डबल्स जोड़ी है. चैंपियनशिप में गुट्टा और पोनप्पा ने अपने शुरुआती दौर का मैच सीधे गेम में जीता. उन्होंने दूसरे राउंड में दूसरी वरीयता प्राप्त चेंग वेन-हिंग और चिएन यू-चिन को मात दे बड़ी जीत हासिल की.

# पीवी सिंधु

पीवी सिंधु BWF वर्ल्ड चैंपियनशिप में सबसे सफल भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं. उन्होंने वर्ल्ड चैंपियनशिप में सबसे ज्यादा पांच मेडल जीते हैं. जिनमें एक गोल्ड, दो सिल्वर और दो ब्रॉन्ज़ मेडल शामिल हैं. वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिंधु ने मात्र 18 साल की उम्र में 2013 में अपना पहला मेडल जीत था. उनका मेडल इसलिए भी ख़ास था क्योंकि इससे 30 साल पहले प्रकाश पादुकोण ने आखिरी बार भारत के लिए सिंगल्स में मेडल जीता था. 2013 में ब्रॉन्ज़ जीत इतिहास रचने के बाद, सिंधु ने 2014 में वर्ल्ड चैंपियनशिप में फिर से ब्रॉन्ज़ जीता.

2017 वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिंधु ने अपना प्रदर्शन पहले से बेहतर किया. चौथी वरीयता प्राप्त सिंधु ने इस एडिशन में शानदार प्रदर्शन करते हुए फाइनल में स्थान बना लिया था. हालांकि, फाइनल में सिंधु एक शानदार फाइट में सातवीं वरीयता प्राप्त नोज़ोमी ओकुहारा से हार गईं. यह फाइनल मुकाबला 110 मिनट तक चला, जिसे अब तक के सबसे महान बैडमिंटन मैच में से एक माना जाता है.

नानजिंग में आयोजित 2018 वर्ल्ड चैंपियनशिप भी सिंधु के लिए यादगार रही. वह भले ही फिर से खिताब से चूक गई हों, लेकिन इस इवेंट में उन्होंने अपना दूसरा सिल्वर मेडल हासिल किया. इसके साथ ही वह ऐसा करने वाली पहली भारतीय बन गईं. यहां फाइनल में उन्हें स्पेन की कैरोलिना मारिन ने हराया. इसके बाद साल 2019 में भारतीय बैडमिंटन इतिहास का सबसे बड़ा क्षण आया.

लगातार तीसरा वर्ल्ड चैंपियनशिप फाइनल खेलने उतरी सिंधु ने बासेल में गोल्ड मेडल जीत वर्ल्ड चैंपियन का खिताब अपने नाम किया. फाइनल में सिंधु ने शानदार बैडमिंटन खेल सिर्फ 37 मिनट में जापानी नोज़ोमी ओकुहारा को 21-7, 21-7 से हराकर इतिहास रच दिया. इसी के साथ वो BWF वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय शटलर भी बन गईं.

# साइना नेहवाल

भारत की पहली ओलंपिक बैडमिंटन मेडलिस्ट साइना नेहवाल ने वर्ल्ड चैंपियनशिप में दो मेडल जीत अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दिया है. उनका पहला मेडल 2015 में आया. इस बार के फाइनल में उन्हें वर्ल्ड चैंपियन कैरोलिना मारिन ने मात दी. 2017 वर्ल्ड चैंपियनशिप में ऐसा पहली बार हुआ, जब दो भारतीय शटलर पोडियम पर एक साथ दिखे. इस एडिशन में सिंधु ने सिल्वर मेडल जीता था. जबकि 15वीं वरीयता प्राप्त नेहवाल ने ब्रॉन्ज़ मेडल अपने नाम किया.

# बी साई प्रणीत

साई प्रणीत, प्रकाश पादुकोण के बाद वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीतने वाले देश के दूसरे पुरुष खिलाड़ी हैं. उन्होंने बासेल में मेंस सिंगल्स में ब्रॉन्ज़ जीत भारत के लिए 36 साल का इंतजार समाप्त किया. वह टूर्नामेंट में अंतिम सीड थे. और सेमीफाइनल में उन्हें शीर्ष वरीयता प्राप्त और भविष्य के चैंपियन केंटो मोमोटा से हार मिली. लेकिन उनका ब्रॉन्ज़ मेडल भारतीय बैडमिंटन के लिए एक यादगार क्षण था.

# किदांबी श्रीकांत

पूर्व वर्ल्ड नंबर 1 किदांबी श्रीकांत ने 2021 BWF वर्ल्ड चैंपियनशिप के फाइनल में जगह बनाने के बाद सिल्वर मेडल जीता. उन्होंने सेमीफाइनल में हमवतन लक्ष्य सेन को कड़े मुकाबले में हराया. हालांकि, फाइनल में उन्हें सिंगापुर के लोह कीन यू से हार मिली. और उन्हें सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा.

# लक्ष्य सेन

20 वर्षीय लक्ष्य सेन ने 2021 BWF वर्ल्ड चैंपियनशिप के सेमीफाइनल में जगह बनाने के बाद यकीनन अपना सबसे प्रभावशाली पदक जीता. 2018 यूथ ओलंपिक्स सिल्वर मेडलिस्ट को चैंपियनशिप के शुरुआती दौर में बाई मिली और फिर तीन गेम की बेहद प्रभावशाली जीत में लक्ष्य ने 15वीं वरीयता प्राप्त केंटा निशिमोतो को मात दी. हालांकि, लक्ष्य सेन सेमीफाइनल में किदांबी श्रीकांत से हार गए. लेकिन उन्होंने ब्रॉन्ज़ मेडल जीत वर्ल्ड चैंपियनशिप मेडल जीतने वाले चौथे भारतीय पुरुष खिलाड़ी के रूप में अपना नाम जरूर दर्ज करवा लिया. 

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