The Lallantop
लल्लनटॉप का चैनलJOINकरें

मोदी राज में जो मुरुगन मर गया था, आज जिंदा हो गया है

डेढ़ साल खुद को कैद में रखने के बाद इस लेखक का पुनर्जन्म हुआ है. पढ़िए इनकी कविता 'एक कायर का गीत'.

post-main-image
दिसंबर 2014 में तमिल लेखक पेरूमल मुरुगन को अपने उपन्यास 'मथोरुभागन' के लिए जान से मार डाले जाने की धमकी मिली. जाति और धर्म के नाम पर लोगों ने उनकी किताबें जला दीं. पुलिस केस कर दिया. मुरुगन ने खुद को घर की दीवारों में बंद कर लिया. पिछले महीने कोर्ट में उनकी किताब के बैन के ऊपर सुनवाई थी. कोर्ट ने कहा कि नॉवेल में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिससे मुरुगन को लिखने से रोका जाए. 'लेखक मुरुगन को डरना नहीं चाहिए. उन्हें लिखना चाहिए. बल्कि लेखन का विस्तार और बढ़ाना चाहिए. भले ही लोग उनके अभिव्यक्ति के तरीके से असहमत हो, मुरुगन को साहित्य के क्षेत्र में अपना योगदान रोकना नहीं चाहिए. पेरूमल मुरुगन का पुनर्जन्म हो उस काम के लिए जिसे वो सबसे अच्छा करते हैं, लेखन. इस फैसले के बाद, मुरुगन अपनी नई किताब लेकर आए हैं, 200 नई कविताओं की. उसमें से ही एक कविता को हम आपको पढ़ा रहे हैं. किताब का नाम है एक कायर का गीत. दी लल्लनटॉप के लिए कविता का अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद किया है प्रतीक्षा पीपी ने.
 

-एक कायर का गीत-

- नहीं होता किसी को कष्ट एक कायर की वजह से दंगे नहीं होते कहीं एक कायर की वजह से नष्ट नहीं होता कुछ भी एक कायर की वजह से एक कायर कभी नहीं तानता अपनी तलवार नहीं करता वार किसी पेड़ पर उसकी धार जांचने के लिए क्योंकि तलवार होती ही नहीं एक कायर के पास एक कायर से कोई नहीं डरता एक कायर अंधेरे से डरता है उसके भीतर से फूटते हैं गीत कुदरत स्वागत करती है एक कायर का वो अलग नहीं करता किसी पत्ती को पेड़ से कोई फूल नहीं तोड़ता कुदरत भर लेती है बांहों में एक कायर को मां एक डरे हुए बच्चे के मुंह में दे देती है अपना स्तन कुदरत पहनाती है फूलों का हार एक कायर को क्योंकि वो कदम रखता है बाहर मात्र भरने को पेट और बाकी दिन दूर रहता है मुसीबतों से बंधन में रहना भी झिलता नहीं एक कायर से इसलिए साफ़ करता रहता है वो बार बार अपने ही घर के कोनों को तुम्हें कभी नहीं मिलेगा एक कायर मैदानों में वो कभी नहीं भड़काता किसी भीड़ को उत्तेजक राष्ट्रवादी विचारों से एक कायर हिस्सा नहीं होता किसी राजनैतिक पार्टी का कोई विचारधारा नहीं मानता वफादार नहीं होता किसी लीडर का एक कायर कभी नहीं लिख सकता विज्ञापन के पर्चे नहीं चढ़ाता बड़े बैनरों पर दूध सीटी नहीं मारता फिरता नहीं उछलता-कूदता और कभी नहीं जाता किसी जुलूस में एक कायर कभी चोरी नहीं करता करने देता है चोरों को उनका काम एक कायर बलात्कार की कोशिश नहीं करता छिपकर भी नहीं देखता किसी का जिस्म एक कायर कभी नहीं बदलता एक हत्यारे में हालांकि वो सोचता है ख़ुदकुशी के बारे में और करता भी है *** A Coward’s Song Misery befalls no one because of a coward Riots break out nowhere because of a coward Nothing gets destroyed because of a coward A coward does not draw his sword or aim it at a tree to check its sharpness Why, a coward has no sword to begin with A coward causes no one to feel fear A coward fears darkness Songs come forth from him Nature welcomes a coward He doesn’t pinch away a leaf or pluck a flower Nature embraces a coward A mother gathers a terrified child and suckles it Nature garlands a coward For he steps out only to feed himself He stays in and keeps out of trouble A coward also finds it hard to stay confined He keeps cleaning up nooks and corners You won’t find a coward in a playground He never rouses crowds into hateful nationalist frenzy A coward joins no political party, abides by no ideology, and is loyal to no leader A coward cannot prepare a welcome flyer he cannot pour milk over big banners he simply cannot whistle, prance about, and go out in processions A coward steals from no one he doesn’t stop those who come to take away this things A coward does not attempt to rape anyone he cannot even look in stealth at another’s body A coward never turns into a murderer However He thinks about suicide and does it, too *** (Borrowed with credits from Kalachuvadu Publications.)