BCCI अध्यक्ष सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) और सचिव जय शाह (Jay shah) को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बड़ी राहत दी गई है. गांगुली और शाह एक और कार्यकाल तक अपने-अपने पदों पर बने रह सकते हैं. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि BCCI में कोई पदाधिकारी छह साल तक अपने पद पर रह सकता है. इसे तीन साल का दो टर्म माना जाएगा. जिसके बाद उन्हें तीन साल का कूलिंग ऑफ पीरियड लेना होगा.
और अब इस फैसले पर लोढ़ा कमिटी के हेड रहे पूर्व चीफ जस्टिस आर एम लोढ़ा ने कमेंट किया है. जानने लायक है कि जिन सुधारों को किनारे कर यह फैसला लिया गया, उन सुधारों की अनुशंसा लोढ़ा कमिटी ने ही की थी.
गांगुली-जय शाह के फायदे वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर क्या बोले जस्टिस आर एम लोढ़ा?
जस्टिस लोढ़ा ने कोर्ट के फैसले पर किया कमेंट.
जस्टिस लोढ़ा ने कहा कि अदालत ने हमारे विचार को स्वीकार कर कूलिंग ऑफ़ पीरियड की शर्त को औपचारिक रूप दिया था. इसलिए हमारी रिपोर्ट में कोई गड़बड़ी नहीं थी. उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में कहा,
‘18 जुलाई, 2016 को जब सुप्रीम कोर्ट ने अपना पहला आदेश जारी किया था, तभी हमारी रिपोर्ट सही साबित हो गयी थी. कोर्ट ने हमारे विचार को स्वीकार करके कूलिंग ऑफ़ पीरियड के क्लॉज को औपचारिक रूप दिया. तो ऐसा नहीं है कि हम भटक गए थे या हमारी रिपोर्ट ख़राब थी. पहली सुनवाई में ही हमारी पूरी रिपोर्ट स्वीकार की गयी. बाद में, इसे 9 अगस्त, 2018 के आदेश से बदल दिया गया. शायद, अब उन्हें लगता है कि इसमें फिर बदलाव करना ठीक है.’
उन्होंने आगे कहा कि BCCI में शीर्ष पदों पर बैठे कुछ लोगों के एकाधिकार को खत्म करने के लिए कोर्ट को दखल देना पड़ा था. उन्होंने कहा,
# BCCI की याचिका में क्या था?‘सुप्रीम कोर्ट ने किन हालातों में BCCI के मामलों में दखल दिया था, ये भी देखने की ज़रूरत है. ये काफ़ी स्पष्ट था कि कुछ चुनिंदा लोग बार-बार पद धारण कर रहे थे. इसके अलावा, कुछ ऐसी चीजें भी थीं, जो आसपास हो रही थीं जिन पर अदालत ने गौर किया. हमें संविधान और संरचना को देखने के लिए कहा गया. कई लोगों से मिलने के बाद हमें पता चला कि प्रशासन से जुड़ी कई मूल समस्याएं थीं. और ये मांग उठाई गयी कि शीर्ष पदों पर बैठे कुछ लोगों का एकाधिकार ख़त्म हो.’
BCCI ने कूलिंग ऑफ पीरियड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. इस याचिका के जरिए BCCI चाहता था कि कूलिंग ऑफ पीरियड को एक टर्म की जगह दो टर्म के बाद कर दिया जाए. इससे सौरव गांगुली और जय शाह अपने-अपने पदों पर एक और टर्म रह सकेंगे. अब कोई भी पदाधिकारी तीन साल के अनिवार्य ब्रेक से पहले BCCI और किसी स्टेट असोसिएशन को मिलाकर एक बार में अधिकतम 12 वर्ष तक अपने पद पर रह सकता है.
यानी छह साल BCCI या किसी स्टेट असोसिएशन के लिए काम करने के बाद कोई पदाधिकारी उसी पद पर वहां कन्टिन्यू नहीं कर सकता. उसे कूलिंग ऑफ पीरियड पर जाना होगा. कूलिंग ऑफ की अवधि तीन साल की है. हालांकि ऐसा तब नहीं होगा, जब कोई पदाधिकारी स्टेट असोसिएशन से BCCI या BCCI से स्टेट असोसिएशन जॉइन करे.
अगर एक ऑफिशल BCCI में है, तो वो छह साल के बाद कूलिंग ऑफ पीरियड पर चला जाएगा. यानी BCCI के लिए सातवें साल काम नहीं कर पाएगा. लेकिन अगर वो इसके बाद कोई स्टेट असोसिएशन जॉइन करता है, तो वो छह साल काम कर सकता है. इसके बाद उसे कूलिंग ऑफ पीरियड पर जाना होगा.
सौरव गांगुली ने 23 अक्टूबर 2019 को BCCI का अध्यक्ष पद संभाला था. उसके कुछ महीने बाद जनवरी 2021 में जय शाह BCCI के सचिव बने थे. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद गांगुली 2025 तक BCCI के अध्यक्ष रह सकते हैं. वहीं दूसरी तरफ जय शाह 2027 तक सचिव बने रह सकते हैं.
BCCI अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया