The Lallantop
लल्लनटॉप का चैनलJOINकरें

Lawn Bowl क्या बला है, जिसके कॉमनवेल्थ फाइनल में पहुंच चुकी हैं भारतीय महिलाएं?

जानिए इस अनोखे गेम के बारे में सबकुछ.

post-main-image
लॉन बोल की इंडियन विमेन फोर्स टीम (Courtesy: SAI)

सबकी उम्मीदों से परे जाकर इंडिया ने Lawn Bowl की Women's Fours कैटेगरी के फाइनल में जगह बना ली है. इंडिया ने सेमीफाइनल में न्यूज़ीलैंड को 16-13 से हराया. इंडिया के लिए लवली चौबे, पिंकी, नयनमोनी साइकिया और रूपा रानी तिर्के ने इतिहास रचा. ये पहली बार है जब इंडिया लॉन बोल की किसी भी कैटेगरी के फाइनल में पहुंची है.

# क्या है Lawn Bowl?

और अब पूरा देश फटाफट जानना चाह रहा है कि आखिर ये होता क्या है? तो चलिए आपको बारी-बारी से सबकुछ बताते हैं. लेकिन सबसे पहले जान लीजिए कि ये खेला कहां जाता है. इसके मैदान को बोलिंग ग्रीन कहते हैं. ये एक फ्लैट मैदान होता है, जिस पर बॉल को रोल करके खेला जाता है. इस स्पोर्ट में दो लोग, या दो टीम्स खेल सकती हैं. टीम में दो, तीन या चार लोग तक हो सकते हैं. दो लोगों की टीम को पेयर, तीन को ट्रिपल्स और चार को फोर्स कहा जाता है. ये मेन और विमेन दोनों खेलते हैं. इंडिया ने विमेन फोर्स कैटेगरी के फाइनल में जगह पक्की की है.

बोलिंग ग्रीन के बारे में और भी कुछ चीज़ें हैं जो आपको बताना जरूरी है. गेम की तरफ बढ़ने से पहले बताए देते हैं. आमतौर पर इस ग्रीन को 40*40 मीटर का बनाया जाता है. इसे कई रिंक्स में बांट दिया जाता है. रिंक याद रखिएगा, ये इसलिए जरूरी है क्योंकि एक मैच एक रिंक में खेला जाता है. किसी भी रिंक की चौड़ाई 4.3 मीटर से 5.8 मीटर के बीच होती है. लंबाई, पूरी बोलिंग ग्रीन से थोड़ी छोटी. यानी 40 मीटर से थोड़ी कम. आमतौर पर रिंक की लंबाई के दोनों छोर पर एक-एक डिच होता है. डिच यानी नाली समझ लीजिए. इस नाली का साइज एक लॉन बोल जितना होता है. बोलिंग ग्रीन का साइज 31-40 मीटर के बीच कुछ भी हो सकता है. सब मान्य है.

# Lawn Ball वाली गेंदें

इसमें भाया दो तरह की गेंदें होती हैं. पहली वाली बड़ी और दूसरी वाली छोटी. बड़ी वाली जो होती है वो एक तरफ से थोड़ी हल्की और दूसरी तरफ से थोड़ी भारी रहती है. इसकी कद-काठी लगभग 11.6 से 13.1 सेंटीमीटर के बीच होती है. अब आप सोचेंगे कि एक तरफ वजन ज्यादा क्यों होता है? तो ये इसलिए है ज़नाब कि जिससे ये आसानी से एक ओर लुढ़क जाए.

और प्लेयर्स इस गेंद की लुढ़का-लुढ़की को अपने हिसाब से यूज कर पाएं. इस गेंद को वुड कहते हैं. और दूसरी वाली जो सफेद या पीली होती है, उसे कहते हैं जैक. इसका साइज वुड से छोटा होता है. लेकिन गुरु रोल इसका बड़ा है. और क्या है ये रोल, आगे बताएंगे ना.

अभी तो गेम की ओर चलते हैं और बताते हैं कि बोलिंग ग्रीन पर क्या-क्या होता है. पहले टॉस होता है. और इस टॉस से तय किया जाता है कि कौन सा प्लेयर या टीम पहले खेलेगी. जो प्लेयर/टीम टॉस जीतती है, उसे मैट बिछाकर जैक रोल करने का मौका मिलता है. मैट, आसान भाषा में चटाई. छोटी-सी पायदान की साइज की एक चटाई. बॉल और वुड को रोल करते वक्त किसी भी प्लेयर का एक पैर मैट पर रहना जरूरी है.

# How To Play Lawn Ball?

प्लेयर अब बोलिंग रिंक के बोलिंग एंड वाले छोर पर मैट रखता है. मैट पर खड़े होकर जैक को आगे ढकेलता है. ये जैक इस गेम की रानी है. इसके पीछे ही पूरा बवाल होता है. प्लेयर ने जैक को रोल कर दिया. ये जैक जहां रुकता है, उसे वहां से उठाकर उसी माप पर रिंक के बीच में रख दिया जाता है. जैक कम-से-कम 23 मीटर से ज्यादा दूर जाना चाहिए. उससे कम होता है तो फिर से रोल किया जाता है. तैयारी ख़त्म, गेम चालू.

अब हर प्लेयर को जैक को छूना है. छू नहीं सकते, तो जितने क़रीब पहुंच सकते हैं उतने क़रीब पहुंचना है. दौड़ भागकर नहीं, वुड रोल कर के. इसी मैट पर खड़े होकर टॉस जीतने वाला प्लेयर वुड को रोल करता है. इसके बाद आती है ऑपोनेंट की बारी. फिर ऑपोनेंट वुड को रोल करता है. टार्गेट होता है वुड को जैक के पास पहुंचाना. वुड जितना पास, टीम को उतना फायदा.

अब आपको फोर्स के हिसाब से पॉइंट सिस्टम समझाते हैं. दोनों टीम में चार-चार प्लेयर होते हैं. एक बार एक टीम, फिर दूसरी टीम, फिर पहली टीम... ऐसे हर प्लेयर को दो मौके मिलते हैं. यानी हर टीम को कुल आठ मौके. हर राउंड के बाद ये मापा जाता है कि किस टीम के कितने वुड जैक से सबसे क़रीब हैं. अगर टीम ए का एक वुड सबसे क़रीब है, और टीम बी का दूसरा वुड उसके बाद है, तो टीम ए को एक पॉइंट मिलता है. फर्ज कीजिए टीम ए के तीन वुड जैक के सबसे क़रीब हैं, और उसके बाद चौथा सबसे क़रीबी वुड टीम बी का होता है, तो टीम ए को तीन पॉइंट्स मिलते हैं. यानी हर टीम को दूसरी टीम से ज्यादा-से-ज्यादा वुड्स जैक के पास पहुंचाने होते हैं.

# प्लेयर्स के रोल

टीम में हर प्लेयर का एक ख़ास रोल होता है, और इसी हिसाब से उनका नाम भी रखा जाता है. पहले प्लेयर को लीड कहते हैं. वो टीम का कैप्टन भी होता है. दूसरे को सेकंड कहते हैं, तीसरे को थर्ड और चौथे को स्किप कहते हैं. वुड रोल करने की बारी नाम के हिसाब से ही होती है. इंडियन विमेन फोर्स टीम के हिसाब से आपको समझाते हैं. आसानी होगी.

इंडियन टीम में लवली चौबे लीड हैं. सेकंड पर पिंकी हैं, थर्ड पर नयनमोनी सैकिया और चौथे पर रूपा रानी तिर्के हैं. अगर इंडिया टॉस जीतती है तो लवली जैक को रोल करती हैं. और पहले दोनों वुड भी वही रोल करती हैं. इसके बाद पिंकी की बारी आती है. फिर नयनमोनी और आखिरी के दो रोल रूपा रानी करती हैं. एक राउंड में दोनों टीम को आठ रोल्स मिलते हैं. कॉमनवेल्थ गेम्स में 15 राउंड खेले जाते हैं. 15 राउंड के बाद स्कोर जोड़कर देखा जाता है, जिसका ज्यादा स्कोर, वो जीत जाता है.

# और क्या नियम हैं?

शुरू में कुछ चीजें हमने छोड़ दी थीं. चलिए अब वो भी समझा देते हैं. हमने आपको बोलिंग ग्रीन समझाते वक्त एक नाली के बारे में बताया था. हां वहीं, जो वुडिंग एंड के दूसरे छोर के आखिर में होता है, और जिसकी चौडाई एक वुड जितनी होती है. अगर कोई वुड जैक को पार कर डिच (नाली) में गिर जाती है, तो उसे अमान्य माना जाता है, चाहे वो जैक से कितनी भी क़रीब हो या क़रीब से गुजरी हो. हां, अगर वुड जो है, वो जैक से टकराकर नाली मे जाए, तो उसे लीगल माना जाता है. पॉइंट्स गिनते वक्त इसे जैक से सबसे क़रीब माना जाता है.

अब मान लीजिए कि वुड से टकराकर जैक नाली में चली जाती है, पर रिंक में ही रहती है. इस सूरत में जैक को गेम में ही माना जाता है. अगर जैक, वुड से टकराकर रिंक से बाहर चला जाए, तो उसे डेड एंड मान लिया जाता है, और बिना स्कोर गिने गेम फिर से शुरू होता है. प्लेयर्स गेम के दौरान दूसरी टीम के वुड को हिट कर सकते हैं. इसमें कोई आपत्ति नहीं है. इसे स्ट्रेटेजिक फायदा माना जाता है और इससे कई बार अपोनेंट को भी फायदा हुआ है.

# इंडिया में कितना जाना जाता है लॉन बोलिंग?

कोलकाता में लॉन बोल 1880 से चल रहा है. रॉयल कलकत्ता गोल्फ क्लब में ये खेल दशकों से खेला जा रहा है. इसके अलावा दिल्ली, झारखंड, केरल और असम में इस खेल को पिछले कुछ सालों में पहचान मिली है. ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि हमारे देश के कई हिस्सों में इस खेल के बारे में कोई नहीं जानता. अब तक कॉमनवेल्थ में इस खेल में इंडिया ने कोई भी मेडल नहीं जीता था. इस लिहाज से विमेन फोर्स की इस टीम ने इतिहास रच दिया है, क्योंकि सिल्वर मेडल तो पक्का है.

विमेन टीम 2 अगस्त को साउथ अफ्रीका के खिलाफ़ फाइनल खेलेगी. साउथ अफ्रीका ने सेमीफाइनल में फ़िजी को हराकर फाइनल में जगह पक्की की. रांची से आने वाली लवली और उनकी टीम क्या कमाल करती है, इसका पूरे देश को इंतज़ार रहेगा.

वर्ल्ड चैम्पियनशिप में चांदी लाने वाले को भूल गई ममता सरकार