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Lawn Bowl का गोल्ड जीतने वाली लवली, पिंकी, रूपा रानी और नयनमोनी की ये बातें पता हैं?

इन चार महिलाओं ने भारत के लिए इतिहास रच दिया है.

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इंडियन विमेन फोर्स (Courtesy: SAI)

टीम इंडिया ने कॉमनवेल्थ गेम्स में मंगलवार, 2 अगस्त से पहले कुल तीन गोल्ड मेडल्स जीते थे. ये तीनों ही मेडल वेटलिफ्टिंग से आए थे. और लोगों को बड़ी बेसब्री से इंतजार था कि हम कब किसी और गेम में गोल्ड मेडल जीतेंगे. तो चलिए, ये इंतजार खत्म हो गया है. इंडिया ने Lawn Bowls के फाइनल में साउथ अफ्रीका को 17-10 से हराकर गोल्ड मेडल अपने नाम कर लिया है. इससे पहले इंडिया ने लॉन बॉल्स का कोई मेडल नहीं जीता था.

लॉन बोल्स... क्या होता है, कैसे खेला जाता है, ये सब हम आपको समझा चुके हैं. नहीं जानते तो यहां क्लिक कर जान लीजिए. अब बात आगे की. इंडिया ने इस इवेंट का गोल्ड मेडल जीत लिया है. और ये मेडल जीतने वाली प्लेयर्स हैं लवली चौबे, पिंकी, नयनमोनी सैकिया और रूपा रानी तिर्की. और अब हम आपको बताएंगे इन प्लेयर्स के बारे में. कुर्सी की पेटी बांध लीजिए, सफ़र शुरू हो रहा है.

# लवली चौबे

कैप्टन से शुरू करते हैं, या Lawn Bowls की भाषा में कहें तो लीड से. लवली चौबे. इंडियन टीम की कैप्टन. रांची से आने वाली लवली अपने शुरुआती दिनों में लॉन्ग जंपर हुआ करती थीं. उन्होंने ईस्ट ज़ोन के लिए कई कॉम्पटिशन्स में भी हिस्सा लिया है. लॉन्ग जंप से लंबी छलांग लगाने का सपना था, पर ट्रेनर की गलती से वो धरा का धरा रह गया. लवली को गलत ट्रेनिंग और जरूरत से ज्यादा ट्रेनिंग की वजह से हिप इंजरी हो गई. इंडिया के लिए लॉन्ग जंप का सपना वहीं ख़त्म हो गया.

लवली ने सरकारी नौकरी ले ली. झारखंड पुलिस जॉइन करने के बाद एक दिन उनका लॉन बोल्स से पाला पड़ा. ऐसा खेल, जिसमें फिटनेस की कोई ख़ास जरूरत नहीं. लवली ने 2008 में पहली बार नेशनल कॉम्पटिशन में हिस्सा लिया और गोल्ड मेडल अपने नाम किया. ये सिलसिला यहां शुरू हुआ. 2014 में लवली ने कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए क्वॉलिफाई किया. 2018 में पांचवीं पोजिशन पर आईं और अब, गोल्ड जीत लिया है.

# पिंकी

इस गेम के दूसरे प्लेयर को सेकंड कहते हैं. इंडियन टीम में ये काम पिंकी का है. दिल्ली में पली-बढ़ी पिंकी कमला नेहरू कॉलेज से पढ़ी हैं. अभी वह दिल्ली पब्लिक स्कूल आरके पुरम में फिजिकल एडुकेशन की टीचर हैं. यहीं उनकी मुलाकात लॉन बोल्स से हुई. रिसर्च करते हुए पिंकी इस गेम तक पहुंची, और खेलना शुरू किया. फिर सिलसिला यूं चला, कि चलता ही रहा. पिंकी ने 2007 में नेशनल लॉन बोल्सिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लिया था.

2010 कॉमनवेलथ गेम्स में पिंकी लॉन बोल्स में चौथे स्थान पर आई थी. इसके बाद उन्होंने 2014 और 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स में भी हिस्सा लिया. 2017 लॉन बोल्स एशियन चैंपियनशिप (ट्रिपल्स) में पिंकी ने इंडिया के लिए गोल्ड मेडल भी जीता था. पिंकी का ये रोल देखिए, आप खुद समझ जाएंगे कि वो कितनी कमाल की खिलाड़ी हैं.

# नयनमोनी सैकिया

33 साल की नयनमोनी इस टीम की सबसे युवा मेंबर हैं. इनका रोल इस टीम में थर्ड है. असम के गोलाघाट से आने वाली नयनमोनी एक किसान की बेटी हैं. उनकी शादी एक लोकल व्यापारी से हुई और उनकी एक बेटी भी है. 2011 से असम फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के साथ काम कर रही नयनमोनी ने 2008 में लॉन बोल्स खेलना शुरू किया. नार्थईस्ट में खेलकूद से जुड़ा रहना जीने का तरीका माना जाता है. और लॉन बोल्स अब नयनमोनी के जीने का तरीके बना गया.

2011 नेशनल गेम्स में सिंगल्स और ट्रिपल्स में गोल्ड मेडल जीतने के बाद नयनमोनी की कोशिश रंग लाने लगी. 2012 में U-25 गर्ल्स सिंगल्स एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने के बाद नयनमोनी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. नयनमोनी इस टीम की एक अहम मेंबर हैं और सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ उन्होंने कमाल का प्रदर्शन किया.

# रूपा रानी तिर्के

अब आपको बताते हैं इस टीम की आखिरी मेंबर से बारे में. इन्हें स्किप कहा जाता है. रूपा रानी तिर्की भी झारखंड से आती हैं. उनकी शुरूआत भी दूसरे खेल से हुई और लॉन बोल्सिंग से पाला बाद में पड़ा. रूपा बचपन में कबड्डी खेलती थीं, और स्पोर्ट्स से लगातार जुड़ी रहीं. रूपा फिलहाल झारखंड में डिस्ट्रिक्ट स्पोर्ट्स ऑफिसर के रूप में कार्यरत हैं. तिर्की ने शुरू से ही इंडिया के लिए ढेर सारे मेडल जीते हैं.

2010 कॉमनवेल्थ गेम्स में चौथे और 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स में पांचवें स्थान पर आने के बाद रूपा ने इंडिया को 2022 में गोल्ड मेडल दिला दिया है. रूपा ने इंडियन ट्रिपल्स टीम के साथ खेलते हुए एशिया-पैसिफिक बोल्स चैंपियनशिप्स 2009 में भी गोल्ड मेडल अपने नाम किया था. रूपा टीम के लिए आखिरी रोल्स करती हैं, इसलिए उनके कंधों पर कुछ एक्स्ट्रा जिम्मेदारी भी रहती है.

लॉन बोल्स, जिस गेम में टीम इंडिया पहली बार फाइनल में पहुंची है, आखिर उसे खेला कैसे जाता है?