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क्या है नेशनल एंटी-डोपिंग बिल और ये इंडियन स्पोर्ट्स को कैसे बदलेगा?

इस विधेयक के बाद इंडियन स्पोर्ट्स में क्या-क्या बदलेगा?

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अनुराग ठाकुर (फाइल फोटो)

एक और ग्लोबल इवेंट सामने है, एक बार फिर डोपिंग के जाल में फंसा है इंडियन स्पोर्ट्स. पिछले हफ्ते की ख़बर है, तीन एथलीट्स और दो पैरा एथलीट्स को बर्मिंघम में हो रहे कॉमनवेल्थ गेम्स से बाहर कर दिया गया. वजह, डोपिंग. अब ये तो आप बिना कहे समझ गए होंगे, कि इससे भारत के ओलंपिक्स और CWG जैसे टूर्नामेंट्स में मेडल जीतने के चांसेज़ कम हो जाते हैं. अब आगे बढ़ने से पहले ये समझ लेते हैं कि डोपिंग होती क्या है.

# अब ये डोपिंग क्या बला है?

आसान भाषा में बताए तो डोपिंग का मतलब होता है ऐसी ड्रग्स अर्थात दवाओं का प्रयोग करना, जिनपर प्रतिबंध लगा हो. अक्सर ऐसी दवाओं से खिलाड़ी को अच्छा प्रदर्शन करने में मदद मिलती है. और इसीलिए इसे चीटिंग का एक तरीका माना जाता है. फर्ज़ कीजिए कि किसी मुक्केबाज़ ने एक फाइट से पहले कोई ऐसी दवा ले ली, जिससे उसे दर्द ही महसूस होना बंद हो जाए. फिर उसके जीतने के चांस बढ़ जाते हैं. इसी को डोपिंग कहते हैं.

# क्या है नेशनल एंटी-डोपिंग विधेयक 2021?

भारत एक लंबे अरसे से डोपिंग की समस्या से जूझ रहा है. इस समस्या से निपटने के लिए भारत सरकार ने नेशनल एंटी डोपिंग विधेयक तैयार किया है. 2021  में तैयार इस विधेयक को लोकसभा ने बुधवार 27 जुलाई को पास कर दिया. इससे भारत में डोपिंग पर नकेल कसने में मदद मिलेगी. अब आपको बताते हैं कि ये विधेयक कहता क्या है.

विधेयक का उद्देश्य नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (NADA), नेशनल डोपिंग टेस्टिंग लैब (NDTL) और अन्य डोपिंग टेस्ट करने वाली लैबोरेट्रीज़ को चलाने के लिए एक कंस्टीट्यूशनल बॉडी तैयार करना है. इस बिल के पास होने का बाद स्पोर्ट्स में डोपिंग को रोकने के लिए एक नेशनल एंटी-डोपिंग बोर्ड भी बनाया जाएगा. नेशनल एंटी-डोपिंग विधेयक 2021 एथलीट्स, एथलीट के सपोर्ट स्टाफ और अन्य लोगों को स्पोर्ट्स में डोपिंग करने से रोकने के लिए तैयार किया गया है. सपोर्ट स्टाफ की बात करें तो इसमें एथलीट्स के कोच, ट्रेनर, मैनेजर, टीम स्टाफ, मेडिकल टीम के साथी और वो सारे लोग जो एथलीट के साथ काम करते हैं, वो शामिल हैं.

इस विधेयक के तहत एथलीट और उसके सपोर्ट स्टाफ की जिम्मेदारी रहेगी कि वे कुछ नियमों का पालन करें. किसी एथलीट के शरीर में प्रतिबंधित पदार्थ या उनके निशान नहीं मिलने चाहिए. प्रतिबंधित पदार्थों या तरीकों का उपयोग या उपयोग करने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए. एथलीट या उनके सपोर्ट स्टाफ को प्रतिबंधित पदार्थ अपने पास नहीं रखने चाहिए. एथलीट्स टेस्ट के लिए सैंपल देने से मना नहीं कर सकते. प्रतिबंधित पदार्थों या तरीकों की तस्करी या उसका प्रयास भी कानूनन गलत माना जाएगा. ऐसे प्रयासों को छिपाने पर भी सजा हो सकती है.

यदि किसी एथलीट को मेडिकल वजहों से प्रतिबंधित पदार्थ या विधि की आवश्यकता होती है, तो वे चिकित्सीय उपयोग में छूट के लिए नेशनल एंटी-डोपिंग एजेंसी से आवेदन कर सकते हैं.

# नियम तोड़ने पर क्या सज़ा?

एंटी डोपिंग नियमों का उल्लंघन करने पर एथलीट और उसके सपोर्ट स्टाफ को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. चलिए जानते हैं कि इन नियमों को तोड़ने पर विधेयक में क्या सज़ा लिखी गई है.

अव्वल तो ये कि उस एथलीट के रिजल्ट को डिसक्वॉलिफाई कर दिया जाएगा. उसके मेडल, पाइंट्स और प्राइज भी वापस ले लिए जाएंगे. इस एथलीट को निर्धारित समय के लिए प्रतियोगिताओं में भाग लेने से रोका जा सकता है. इस एथलीट को आर्थिक फाइन और दूसरी सज़ाए भी दी जा सकती हैं. टीम स्पोर्ट्स में अगर ऐसी घटनाएं सामने आती हैं तो उस हाल में रेगुलेशन्स जो कहेंगे, वो माना जाएगा. किसी भी उल्लंघन की सज़ा नेशनल एंटी-डोपिंग अनुशासन पैनल की सुनवाई के बाद निर्धारित किया जाएगी.

# इस बिल के पास होने के बाद क्या बदलेगा?

इस बिल के कानून बनते ही नेशनल एंटी-डोपिंग एजेंसी को वैधानिक मान्यता दे दी जाएगी. इसकी अध्यक्षता भारत सरकार द्वारा नियुक्त किए गए डायरेक्टर जनरल करेंगे. एजेंसी एंटी-डोपिंग गतिविधियों की योजना बनाएगी, उन्हें लागू करेगी और एथलीट्स पर निगरानी रखेगी. इस एजेंसी का काम एंटी डोपिंग नियमों के उल्लंघन की जांच करना और एंटी-डोपिंग अनुसंधान को बढ़ावा देना होगा. बिल के लागू होने के बाद डोपिंग टेस्ट भारत में हो पाएंगे. इससे पहले डोप टेस्ट के लिए सैंपल्स दूसरे देश भेजे जाते थे. ऐसे में सैंपल्स के साथ छेड़छाड़ की संभावना भी बनी रहती है. इससे पैसों की भी बचत होगी. खेलमंत्री अनुराग ठाकुर ने इस बिल को परित कराते हुए कहा कि खेल और खिलाड़ी मोदी सरकार की प्राथमिकता हैं.

नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी को कानूनन हक होगा कि वो एथलीट्स का पर्सनल डेटा जुटाए. इस डेटा में एथलीट्स की मेडिकल हिस्ट्री और ऐसा ही दूसरा डेटा शामिल होगा. किसी नियम का उल्लंघन होने पर एजेंसी एथलीट का नाम, वो नियम और सुनाई गई सज़ा को सार्वजनिक करेगी. इस कानून के तहत एक नेशनल बोर्ड फॉर एंटी डोपिंग इन स्पोर्ट्स भी बनाया जाएगा. ये बोर्ड भारत सरकार को एंटी-डोपिंग रेगुलेशन और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के बारे में लगातार सुझाव देगा. ये बोर्ड NADA की गतिविधियों की भी निगरानी करेगा और आवश्यकता पड़ने पर निर्देश जारी करेगा.

ये नेशनल बोर्ड एक नेशनल एंटी डोपिंग अनुशासन पैनल का गठन करेगा, जो नियम के उल्लंघनों पर सज़ा का निर्णय करेगा. नेशनल एंटी डोपिंग अनुशासन पैनल में एक चेयरमैन, चार उप-चेयरमैन और 10 सदस्य होंगे. ये चार उप-चेयरमैन कानूनी विशेषज्ञ होंगे. 10 सदस्यों में चिकित्सक और रिटायर्ड एथलीट्स रहेंगे. इस कानून के बनने के बाद नेशनल डोप टेस्टिंग लैब को देश की प्रमुख डोप परीक्षण प्रयोगशाला माना जाएगा. केंद्र सरकार ऐसी और डोप परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित कर सकती है.

वर्ल्ड एंटी-डोपिंग एजेंसी (WADA) द्वारा पिछले साल दिसंबर में जारी एक रिपोर्ट में भारत डोपिंग के मामले में तीसरे स्थान पर था. 167 मामलों के साथ रूस पहले स्थान पर था, इटली के नाम 157 थे और भारत में 152. इस विधेयक के पास होने के बाद इंडिया में डोपिंग के मामले कम होने की उम्मीद है. 

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