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सिर्फ सैमसन-पंत नहीं, टीम इंडिया में समस्या ही समस्या है!

बड़ी मुश्किल है रे बाबा!

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टीम इंडिया

30 नवंबर 2022. भारत-न्यूज़ीलैंड वनडे सीरीज़ खत्म हो गई है. भारत ने सीरीज़ को 1-0 से गंवा दिया है. इस तारीख को याद रखिएगा क्योंकि अब से ठीक एक साल बाद 2023 में इस वक्त पर हमें वनडे क्रिकेट का नया चैम्पियन मिल चुका होगा. और आज के वक्त को ज़हन में रखते हुए हम आपको ये भी बताने वाले हैं कि वो चैम्पियन भारत नहीं होगा. ये बात सुनकर इंडियन क्रिकेट फैन्स बुरा मान सकते हैं. लेकिन अब वक्त आ गया है कि हमें बुरा मानना ही होगा. क्योंकि भले ही हम विश्वकप 2023 अपने घर में खेलने वाले हों. लेकिन जो हाल हमारा है, इतिहास गवाह है, इस हाल में विश्वकप नहीं जीते जाते. 

विश्वकप में दुनिया की वर्ल्ड चैम्पियन टीम्स खेलती हैं, तभी तो 2013 के बाद हम कभी भी उन वर्ल्ड चैम्पियन टीम्स से पार नहीं पा सके. विश्वकप छोड़िए जनाब. इस हाल में हम चार टीम वाला एशिया कप भी ना जीत पाएं. क्योंकि वहां मौजूद टीम्स भी हमसे बेहतर दिशा में आगे बढ़ रही हैं. पाकिस्तान T20 विश्वकप के फाइनल तक पहुंचा, श्रीलंका एशिया कप का चैम्पियन बना, बांग्लादेश लगातार खुद को बेहतर करने की जद्दोजहद में है. लेकिन भारत? मुश्किल में है. 

हमारे सामने समस्या एक नहीं अनेक हैं. और बड़ी चीज़ तो ये है कि हम उसे सुलझाने की जगह उलझाने वाले रास्ते पर हैं. सिर्फ संजू-पंत की अदला-बदली से टीम इंडिया चैम्पियन नहीं बन जाएगी. वो सोच बदलनी होगी. जिसके चलते भारत हार रहा है. चलिए अब आपको बताते हैं कि आखिर शुरुआत में ही इतनी कड़वी बातें क्यों की जा रही हैं.

#Opening 

ओपनिंग. T20 क्रिकेट से हम वनडे क्रिकेट की ओर चल पड़े हैं. लेकिन ओपनिंग की समस्या बदस्तूर जारी है. क्योंकि बिना किसी आइडिया ओपनर्स की भरमार हो गई है. ओपनिंग में खिलाड़ियोें की फॉर्म पर आए उससे पहले आप ऑप्शन्स देख लीजिए. रोहित शर्मा, केएल राहुल, शिखर धवन, शुभमन गिल और ईशान किशन. रोहित, राहुल आंकड़ों से इतर कप्तानी, उप कप्तानी के फायदे के साथ शायद टीम में अपनी जगह बना लें. 

लेकिन फिर भी इन दोनों के आंकड़े आपको बता देते हैं. राहुल ने साल 2022 में खेले सात मुकाबलों की छह पारियों में बल्लेबाजी की है. इसमें उन्होंने 26 की एवरेज और 76.09 की स्ट्राइक रेट से 156 रन बनाए हैं. वही रोहित ने छह मैच में 34.20 की एवरेज और 107.54 की स्ट्राइक रेट से 171 रन बनाए हैं.

इन दोनों के अलावा ऑप्शन में शिखर धवन, शुभमन गिल और ईशान किशन हैं. वनडे क्रिकेट में अनुभव के आधार पर धवन लिस्ट में आगे हैं. साल 2022 में धवन ने 19 वनडे मुकाबले खेले हैं. जिसमें उन्होंने 39.41 की एवरेज और 75.11 की स्ट्राइक रेट से 670 रन बनाए हैं. 

वहीं, बात ईशान किशन कि करें तो उन्होंने सात मैच में 34.50 की एवरेज और 83.13 की स्ट्राइक रेट से 207 रन बनाए हैं. टीम के युवा ओपनर गिल ने इस साल 12 वनडे मैच खेले हैं. इसमें उन्होंने 70.88 की एवरेज और 102.57 की स्ट्राइक रेट से 638 रन बनाए हैं. यानि धवन, राहुल और ईशान की तुलना में कहीं बेहतर. 

ऐसे में सवाल यही है कि टीम इंडिया में जो खिलाड़ी पार्ट-टाइम कप्तान और उप-कप्तान है. उसकी फॉर्म युवा बल्लेबाज़ों से खराब है. ऐसे में टीम किस पर भरोसा करे. ये समझना होगा. 

#Middle Order 

ओपनिंग से निकलेंगे तो मिडल ऑर्डर में भी कट्टा भर परेशानियां दिखेंगी. क्योंकि मिडल ऑर्डर में जिन खिलाड़ियों को ट्राई किया जा रहा है. वहां भी कन्फ्यूज़न बना हुआ है कि किसके साथ आगे जाएंगे और किसे छोड़ेंगे. लिस्ट देख लीजिए. 

विराट कोहली. नंबर तीन पर इनकी जगह किसी और को देना बड़ा ही मुश्किल फैसला होगा. विराट वो खिलाड़ी हैं जो मौजूदा वनडे क्रिकेट में दुनिया के बेहतरीन नंबर तीन हैं. हालांकि, वनडे क्रिकेट में इस साल इन्होंने इतना कुछ खास परफॉर्म नहीं किया है. लेकिन वनडे उनका मन-माफिक फॉर्मेट है. विराट ने इस साल आठ वनडे मुकाबले खेले हैं. इसमें उन्होंने 21. 87 की एवरेज और 74.46 की स्ट्राइक रेट से 175 रन बनाए हैं. 

दूसरा ऑप्शन, श्रेयस अय्यर.  इन्होंने 14 मैच में 61.50 की एवरेज और 95.49 की स्ट्राइक रेट से 615 रन बनाए हैं. श्रेयस की वनडे फॉर्म देखकर लगता है उनकी नंबर तीन पर ना सही प्लेइंग इलेवन में जगह जरूर बननी चाहिए. यानि इस खिलाड़ी को छोड़ना भी मुश्किल जान पड़ता है. 

इस ऑर्डर में तीसरा नाम हैं सूर्यकुमार यादव. इस फॉर्मेट में उनके T20 जैसे आंकड़ें तो अभी नहीं हैं लेकिन फिर भी उन्होंने 13 मैच में 26 की एवरेज और 92.52 की स्ट्राइक रेट से 260 रन बनाए हैं. हो गया ना कंफ्यूज़न? किसे खिलाएं और किसे बिठाएं. रूकिए, अभी मामला ओर गड़बड़ा रहा है. 

क्योंकि यहां आप इन फॉर्म संजू को लाने की भी बात है.  संजू ने भी 10 मैच में 71 की एवरेज और 105.57 की स्ट्राइक रेट से 284 रन बनाए हैं. ऐसी फॉर्म देखकर उनको भी बाहर नहीं छोड़ा सकता. 

अब इस बात को समझिए, अब तक मिडल ऑर्डर में ऋषभ पंत का नाम नहीं आया है. टीम के प्रमुख विकेटकीपर बल्लेबाज़. अगर वो भी आ जाते हैं तो टीम असमंजस में. ऋषभ पंत ने इस साल खेले 12 मैच की 10 पारियों में 37.33 की एवरेज और 96.55 की स्ट्राइक रेट से 336 रन बनाए हैं. इसके साथ ही टेंशन बढ़ाने के लिए अगले बांग्लादेश दौरे के लिए मिडल ऑर्डर में रजत पाटीदार को भी एंट्री दिलवा दी गई है.  

अब इतने सारे ऑप्शन्स के साथ कप्तान रोहित शर्मा और टीम मैनेजमेंट के दिमाग पर ज़ोर फिर से पड़ने वाला है. क्योंकि विश्वकप में सालभर भी नहीं बचा और मिडल ऑर्डर अब भी असमंजस में है. 

#Spinners

और अगर आपको लगता है ये ज़ोर यही खत्म हो जाएगा तो रुक जाइए. क्योंकि समस्याएं अभी और हैं. स्पिन डिपार्टमेंट. विश्वकप 2022 में हारे थे तो स्पिन का रोना खूब रोया था. लेकिन अब फिर से वनडे विश्वकप से पहले टीम को पता ही नहीं है कि अगले साल वर्ल्ड कप के लिए किस स्पिनर को लेकर जाना है. 

न्यूज़ीलैंड दौरे पर टीम मैनेजमेंट ने कुलदीप यादव, युज़वेंद्र चहल जैसे स्पेशलिस्ट स्पिनर्स को वनडे टीम में रखा. तो लगा कहानी ठीक करने की कोशिश है. लेकिन ठीक 15 दिन बाद ही अगले दौरे के लिए बांग्लादेश टीम से दोनों स्पेशलिस्ट स्पिनर्स को बाहर कर दिया. 

इतना ही नहीं, बांग्लादेश दौरे के लिए हमारे पास तमाम स्पिनर्स ऑल-राउंडर वाली श्रेणी के हैं. नाम सुन लीजिए… शाहबाज अहमद, वाशिंगटन सुंदर, अक्षर पटेल. अब बताइये जब 20 ओवर के विश्वकप में बिना चहल काम नहीं बना. तो 50 ओवर के वर्ल्डकप में आप बैटिंग ऑल-राउंडर्स के सहारे काम चला पाएंगे?

ये तीन वो अहम पहलू हैं. जिनमें भारतीय टीम बुरी तरह से फंसी हुई है. लेकिन ऐसा नहीं है कि फास्ट बॉलिंग पूरी तरह से सेट है. वहां भी अनुभव के साथ युवाओं की जोड़ी कैसे बनेगी. ये अभी देखना बाकी है. हालांकि ओपनिंग, मिडल ऑर्डर और स्पिन डिपार्टमेंट के मुकाबले वहां की तस्वीर कुछ-कुछ साफ है. 

इसीलिए, अगर हम ये सोच रहे हैं कि पंत की जगह संजू को खिलाने से ही टीम की सारी प्रॉब्लम खत्म हो जाएगी. तो ये सही नहीं है. अगले विश्वकप में बहुत कम समय बचा है. और अगर भारत चाहता है कि कम से कम घर में तो भद ना पिटे. तो उसे लाग-लपेट, या चेहरों और नाम वाला क्रिकेट छोड़ मुश्किल फैसले लेने होंगे. 

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