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बॉल टैम्परिंग: 1965 में खेले एक पाकिस्तानी लड़के का किया ऑस्ट्रेलिया ने 2018 में भरा!

बॉल टैम्परिंग का वो इतिहास जो 2018 में ऑस्ट्रेलिया के गले की फांस बना.

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Imran Sarfraz Waqar


क्रिकेट का ये जाबड़ किस्सा लल्लनटॉप के पुराने साथी केतन ने लिखा है.


ऑस्ट्रेलिया के स्टीव स्मिथ, डेविड वॉर्नर और कैमरन बैनक्रॉफ्ट को सस्पेंड किया गया. बैनक्रॉफ्ट को क्रिकेट बॉल खुरचते हुए कैमरों ने कैद कर लिया था और टीवी पर उसकी फ़ुटेज साफ़ दिखाई दे रही थी. ड्रेसिंग रूम में बैठे कोच डैरन लीमेन ने तुरंत मैदान में पीटर हैंड्सकूम्ब (12वें खिलाड़ी) को भेजा और बैनक्रॉफ्ट को आगाह करने को कहा. बैनक्रॉफ्ट को जैसे ही मालूम चला कि टीवी कैमरों ने उसे पकड़ लिया है, उसने वो 'सैंडपेपर' अपनी अंडरवियर में छिपा लिया. अम्पायर्स ने जब उसे अपने पास बुलाया तो बैनक्रॉफ्ट ने अपनी जेब से चश्मे का कपड़े का कवर निकाल कर दिखा दिया. बैनक्रॉफ्ट को ये नहीं मालूम था कि जब वो 'सैंडपेपर' अपने अंडरवियर में रख रहा था, कैमरे तब भी उसी पर थे.
बाद में मालूम चला कि बैनक्रॉफ्ट को सारी टेक्नीक डेविड वॉर्नर ने सिखाई थी. कप्तान स्टीव स्मिथ को इस पूरे प्लान के बारे में मालूम था. असल में इसमें और भी लोग शामिल थे लेकिन सारे नाम कभी सामने आये ही नहीं. ये हर किसी को मालूम है कि डैरन लीमेन का भी इसमें बहुत बड़ा रोल था. डैरन को जांच में निर्दोष पाया गया और बताया गया कि वो इस्तीफ़ा नहीं देंगे. लेकिन 1 दिन बाद ही उन्होंने भी इस्तीफ़ा दे दिया. ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमन्त्री ने इस पूरे घटनाक्रम पर नाराज़गी और अफ़सोस दोनों ज़ाहिर किया.
एक बात और. इस पूरी घटना में बात हुई सैंडपेपर की. यानी रेगमाल काग़ज़. मगर असल में बैनक्रॉफ्ट की जेब में जो था, वो पीले रंग का टेप था जो हर क्रिकेटर की किट में मौजूद रहता है. इसका सबसे बड़ा इस्तेमाल बल्ले की ग्रिप को हत्थे के पास चिपकाने के लिए होता है. हालांकि ये एकमात्र इस्तेमाल नहीं है. इस टेप पर रेत चिपकाकर उसे बॉल पर रगड़ा जाता था जिससे बॉल का एक सर्फेस खुरदुरा हो जाए. पूरे मसले में टेप की जगह सैंडपेपर का नाम इसलिये लिया गया क्यूंकि टेप हर क्रिकेटर की किट में होता है और टेप का नाम आने से हर बार उन्हें 'काफ़ी दिक्कतों' का सामना करना पड़ता. अंत में तो उन्होंने टेप को ही रेगमाल काग़ज़ में तब्दील किया था.
ये सब दर्ज न हुआ होता तो बड़ी साजिश का पता न चलता.
ये सब दर्ज न हुआ होता तो बड़ी साजिश का पता न चलता.

ये पूरी कवायद की गयी थी रिवर्स स्विंग की चाह में. साउथ अफ़्रीका का एक बड़ा ही झक्की आदमी पिछले काफ़ी वक़्त से कहता घूम रहा था कि ऑस्ट्रेलिया की टीम 25-27 ओवर के आस-पास से ही रिवर्स स्विंग करने लगती है. उसकी किसी ने नहीं सुनी. फिर जब ऑस्ट्रेलिया की टीम उसके घर में खेलने आई तो उसने ब्रॉडकास्टर्स से कह के बॉल को हमेशा कैमरे की कैद में रखवाया.
बॉल जहां भी जाए, जिसके भी हाथ में जाए, उसे मॉनिटर किया जा रहा था और तीसरे टेस्ट मैच के तीसरे दिन बैनक्रॉफ्ट पकड़ में आया. ब्रॉडकास्टर्स का खेल भी बेहद अहम है. इतना कि ऑस्ट्रेलिया की एक जमात ये तक कहने लगी थी कि ये सब जान-बूझ कर उसके खिलाड़ियों को टार्गेट करने के लिए किया गया है और बॉल टैम्परिंग तो साउथ अफ़्रीका भी करती है और हर कोई करता है (जो कि सही भी है). मगर उसमें अभी नहीं जायेंगे. फ़िलहाल बात रिवर्स स्विंग की.
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*** रिवर्स स्विंग - जिसकी चाह में ऑस्ट्रेलिया का क्या से क्या हो गया ***
साल 1992. इंग्लैंड और पाकिस्तान के बीच एक सीरीज़ खेली जा रही थी. लॉर्ड्स में मैच होना था. इंग्लैंड की टीम 3-0 की अजेय बढ़त ले चुकी थी. इंग्लैंड को कुछ ही वक़्त पहले पाकिस्तान से वर्ल्ड कप फाइनल में हार का सामना करना पड़ा था. खराब मौसम के कारण मैच अगले दिन खेला गया. इंग्लैंड को 205 रनों का टार्गेट मिला था. वो एक समय पर पांच विकेट खोकर 140 रन बना चुके थे. जीतने के लिए मात्र 65 रन चाहिए थे. अचानक मैदान पर मौजूद अम्पायर्स केन पामर और जॉन हैम्पशायर ने बड़ी देर तक गेंद को घूरा और फिर गेंद को बदलने का आदेश दिया. इसके बाद वसीम अकरम और वक़ार यूनिस ने इंग्लैंड के बाकी बल्लेबाजों को 61 रन में आउट कर दिया. आख़िरी 4 बल्लेबाज 10 रन बनाकर आउट हुए.
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1992 दौरे पर वकार यूनुस. फोटो: Getty

ये पहली दफ़ा था जब इतने बड़े स्तर पर गेंद से छेड़छाड़ का मामला डिस्कस किया जा रहा था. अम्पायर्स रूम में बाकायदे एक मीटिंग हुई और गेंद की सतह को सभी ने निहारा. वो सभी इस नतीजे पर पहुंचे कि गेंद को अंगूठे के नाखून या किसी मेटल से खुरचा गया है. हर जगह ये कहा जा रहा था कि पाकिस्तानी गेंदबाज़ गेंद के साथ छेड़छाड़ करते थे. वक़ार यूनिस ने कहा,
"मुझे फर्क ही नहीं पड़ता कि कोई क्या कहता है. हम जब भी जीतते हैं, हर कोई कुछ न कुछ कहने ही लगता है."
कहीं भी कोई भी ऑफिशियल रिपोर्ट नहीं आई थी. अगर कुछ भी आधिकारिक था तो वो था पाकिस्तानी टूर मैनेजर खालिद महमूद का बयान,
"ऐसा दिखाने की कोशिश की जा रही है कि गेंद को इसलिए बदला गया था क्यूंकि फ़ील्डिंग टीम ने उसके साथ छेड़छाड़ की थी. प्रेस में चल रही ऐसी खबरें पाकिस्तान पर दाग लगाती हैं और वो देश के क्रिकेट को अपमानित करती हैं."
खालिद की इस बात से इंग्लैंड के पूर्व कप्तान एलेन लैम्ब भड़क गए और तीन ही दिन बाद उन्हें डेली मिरर अखबार की फ्रंट पेज स्टोरी में पढ़ा गया जिसका टाइटल था -
"How Pakistan Cheat at cricket."
लैम्ब को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा. उन्हें इंग्लैंड के लिए दोबारा कभी भी नहीं खिलाया गया. क्यूंकि ये वो दौर था जब कहा जाता था कि सीधे प्रेस से बात करने से बड़ा पाप और कोई नहीं है. इंग्लैंड और पाकिस्तान ने आपस में चार साल तक एक भी सीरीज़ नहीं खेली. लैम्ब पर सरफ़राज़ ने मुकदमा ठोंका जिसे बाद में वापस ले लिया गया क्यूंकि सरफ़राज़ ने कहा,
"ज्यूरी में 9 यंग लड़कियां बैठी हुई थीं जिन्हें क्रिकेट बॉल और फुटबॉल में अंतर तक नहीं मालूम था."
आज तक उस बॉल को पब्लिक में नहीं दिखाया गया और न ही उस मामले से जुड़ी किसी भी रिपोर्ट को कहीं भी बाहर लाया गया. मैच के थर्ड अम्पायर ओस्लियर ने 1993 में अम्पायरिंग छोड़ दी. वो कहते थे कि उन्हें रिटायरमेंट की उम्र में बदलाव कर ज़बरदस्ती हटाया गया था.
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इस पूरी घटना के ठीक एक साल पहले वसीम अकरम, वक़ार यूनिस और आकिब जावेद, तीन अलग अलग टीमों लंकाशायर, सरे और हैम्पशायर के लिए खेल रहे थे. वक़ार यूनिस ने 1991 में ग्लोस्टरशायर के ख़िलाफ़ रिवर्स स्विंग का भयावह स्पेल फेंका. वो टीम 105 रन पर बिना एक भी विकेट खोये खेल रही थी. और थोड़ी ही देर में उसका स्कोर था 160 रन पर 6 विकेट.
वक़ार यूनिस ने 4 विकेट ले लिए थे. लोग कह रहे थे कि वो गेंद को पिच के इस कोने से उस कोने स्विंग करवा रहा था. ये पहला मौका था जिसने गेंद से छेड़छाड़ की सच-नुमा अफवाह को स्वर दिया. 1992 में जो हुआ वो उसका ही फल था. इस स्विंग को कंट्रास्ट स्विंग कहा जाने लगा. क्यूंकि यहां गेंद को जिस दिशा में स्विंग होना चाहिए था, गेंद उसकी उल्टी दिशा में जा रही थी. इंग्लैंड के बॉलर्स अपने नाखून बढ़ा रहे थे. उनकी जेबों में बोतल के मेटल कैप्स पाए जाने लगे थे.
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क्रिकेट के पॉपुलर कल्चर में ये रिवर्स स्विंग की शुरुआत थी. यहां से बॉलर्स ने अपने दिमाग को इस बात में खर्च करना शुरु कर दिया कि आखिर वो रिवर्स स्विंग किस तरह से हासिल कर सकते हैं. लेकिन इसकी शुरुआत कहां से हुई? कौन सा ऐसा मौका था जब दुनिया को एकदम सामने से इस तिलिस्म के बारे में मालूम पड़ा?
1969 से लेकर 1984 के बीच एक लम्बे कद का बॉलर पाकिस्तान के लिए खेला करता था. सरफ़राज़ नवाज़. लाहौर में अपने पिता की कंस्ट्रक्शन कम्पनी में काम करने वाले सरफ़राज़ ने मैट्रिक के पहले कभी क्रिकेट ही नहीं खेला था. 65 की लड़ाई के वक़्त उनके पिता की कंपनी के अधिकांश सिविल कॉन्ट्रैक्ट्स ठप्प पड़े हुए थे. उनके यहां काम करने वाले मजदूर क्रिकेट खेलते और उन्हीं के साथ सरफ़राज़ ने भी खेलना शुरू किया.
6 फ़ुट 4 इंच लम्बे सरफ़राज़ को मालूम पड़ा कि वो ठीक ठाक क्रिकेट खेल लेते हैं. बहुत ही जल्द गवर्नमेंट कॉलेज, लाहौर के लिए रेगुलर खेलने लगे. सरफ़राज़ ने यहां हर तरह की गेंदों के साथ क्रिकेट खेलना शुरू किया. पुरानी हो चुकी गेंदों के साथ गेंदबाज़ी करते हुए उन्हें समझ में आया कि रिवर्स स्विंग क्या होती है. उन्होंने एक पुरानी गेंद उठाई और उसकी एक साइड को खूब चमकाया. अब जब वो गेंद को फ़ेंकते, गेंद चमकती हुई साइड की ओर भागती. नॉर्मल स्विंग में ऐसा नहीं होता था. ये वो मौका था जब पाकिस्तान में रिवर्स स्विंग ने कदम रखा था. उन्होंने सलीम मीर को भी इसके बारे में बताया. इन दोनों ने रिवर्स स्विंग की कला को सीक्रेट ही रखा.
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इंटरनेशनल क्रिकेट में रिवर्स-स्विंग गेंद के जनक. फोटो: Getty

पाकिस्तान टीम में आने के बाद 1976 में वेस्ट इंडीज़ टूर के दौरान पाकिस्तान के एक और बॉलर ने उनसे पूछा कि पुरानी गेंद से सरफ़राज़ तो स्विंग कर ले रहे हैं मगर वो क्यूं नहीं कर पा रहा. सरफ़राज़ ने कहा कि वो उन्हें मैच के दौरान नहीं लेकिन नेट्स में समझायेंगे. उन्होंने अगले दिन उस बॉलर को वो ट्रिक समझाई और यही वो मौका था जब रिवर्स स्विंग की कला एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में आई. इस बॉलर का नाम था इमरान खान जो पाकिस्तान का बेहतरीन ऑल राउंडर बना और जिसने पाकिस्तान क्रिकेट को एक नए मुकाम पर ले जा छोड़ा.
इमरान ने 1982 में इंडिया के ख़िलाफ़ अपने करियर की सर्वश्रेष्ठ रिवर्स स्विंग बॉलिंग की. इंडिया 283 रनों का पीछा कर रही थी और सुनील गावस्कर और दिलीप वेंगसरकर पार्टनरशिप बना रहे थे. गेंद लगभग 40 ओवर पुरानी हो चुकी थी और इमरान खान को गेंदबाज़ी पर लाया गया. अगली 35 गेंदों में इंडिया ने आठ रन में पांच विकेट खो दिए थे.
गावस्कर, जिन्हें बोल्ड किया जाना अपने आप में एक घटना होती थी, उस दिन इमरान की गेंद पढ़ भी नहीं पाए और उनके विकेट्स हवा में उड़ते दिखे. गुंडप्पा विश्वनाथ एक बाहर जाती गेंद को छोड़ रहे थे कि गेंद अचानक अंदर आ गई और वो बोल्ड हो गए. इमरान ने उस दिन 60 रन देकर 8 विकेट लिए. इसमें 5 बोल्ड और 2 एलबीडब्लू थे.
इमरान ने कुछ वक़्त बाद वक़ार यूनिस को टीवी पर खेलते देखा और उन्हें ट्रेनिंग देने लगे. इमरान ने रिवर्स स्विंग के बारे में वक़ार यूनिस को बताया जो कि क्रिकेट की दुनिया के महानतम रिवर्स स्विंग बॉलर बने. इससे पहले इमरान ने वसीम अकरम को भी अपना शागिर्द बना लिया था और वो लगातार अच्छा परफॉर्म कर रहे थे. और यहां से समूची दुनिया को मेड-इन-पाकिस्तान रिवर्स स्विंग का कहर झेलना पड़ा.
इसके बाद डैरेन गॉफ़, जिमी एंडरसन, एंड्रू फ़्लिंटॉफ़, ज़हीर खान, ब्रेट ली और डेल स्टेन जैसे बेहतरीन रिवर्स स्विंग बॉलर्स देखने को मिलते रहे.


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