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ऑफ स्पिनर से बल्लेबाज बना गेंदबाज जिस पर आतंकवादी ने गोली चलाई थी!

एक खिलाड़ी तो यही चाह रहा था.

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थिलन समरवीरा

साल 2019. बांग्लादेश की टीम न्यूजीलैंड टूर पर गई थी. यहां दोनों टीम्स के बीच तीन वनडे और तीन टेस्ट मैच की सीरीज़ होनी थी. सीरीज़ के तीसरे और आखिरी टेस्ट मैच से पहले बांग्लादेशी खिलाड़ी नमाज़ अदा करने क्राइस्टचर्च की मस्जिद अल नूर गए थे. जैसे ही वो वहां पहुंचे, उन्होंने देखा कि लोग खून से लथपथ मस्जिद से बाहर निकल रहे हैं.

बांग्लादेशी खिलाड़ी अपनी बस में ही बैठे रहे. और सुरक्षित बच गए. टीम मैनेजर खालिद मसूद ने इस बारे में रिपोर्टर को बताया था,

‘हम लकी थे क्योंकि हम मस्जिद के अंदर नहीं थे. हमने ये सब बाहर से देखा, एक बीडियो के जैसा, जैसा मूवी में दिखाते है. हमने बहुत सारे लोगों को खून से लथपथ आते हुए देखा.’ 

बांग्लादेशी खिलाड़ियों से पहले ऐसा डराने वाला हादसा इंग्लैंड के खिलाड़ियों के साथ भी हुआ था. जब साल 2008 में जब मुंबई अटैक हुए थे, इंग्लैंड की टीम इंडिया का दौरा आधा छोड़कर ही लौट गई थी. हालांकि बाद में वापस आकर उन्होंने ये पूरा किया. और आज का हमारा क़िस्सा इस हमले के एक साल बाद का है.

साल 2009. श्रीलंकन टीम पाकिस्तान के साथ दो टेस्ट मैच की सीरीज़ खेलने पहुंची थी. कराची में पहला टेस्ट ड्रॉ होने के बाद दूसरा मैच लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम में होना था.

दूसरे मैच के तीसरे दिन जब श्रीलंकन टीम स्टेडियम की ओर आ रही थी. उसी दौरान उनकी बस पर फायरिंग की गई थी. जिसमें कई श्रीलंकन खिलाड़ी चोटिल हुए थे. और इन्हीं में से एक थिलन समारवीरा के पैर पर गोली लगी थी. आज इन्हीं थिलन का जन्मदिन है. और आज हम आपको इनका यही क़िस्सा सुनाने वाले है.

# थिलन के पैर में गोली मार दी!

ये बात है लाहौर टेस्ट की. 1 मार्च से श्रीलंका–पाकिस्तान के बीच ये दूसरा टेस्ट मैच शुरू हुआ. पाकिस्तान की टीम ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला कर लिया. श्रीलंका ने बल्लेबाजी शुरू की और शानदार खेला. टीम ने अपनी पहली पारी में 606 रन बनाए.

इसमें कुमार संगकारा, तिलकरत्ने दिलशान ने शतक लगाया जबकि थिलन समाराविरा ने दोहरा शतक जड़ा था. अब पाकिस्तान को इतने रन्स का पीछा करना था. दूसरे दिन के स्टम्प होने तक उनकी टीम 110 रन पर एक विकेट गंवा चुकी थी. तीसरे दिन का खेल शुरू होना था. श्रीलंका बहुत सही स्थिति में थी.

और इसी खुशी में हंसते-गाते हुए उनकी टीम बस से गद्दाफी स्टेडियम के लिए निकली थी.  लेकिन तभी 12 बंदूक ताने आतंकवादियों ने बस पर हमला करना शुरू कर दिया. इस हादसे से पहले बस में चल रही बातों का ज़िक्र करते हुए कुमार संगकारा ने स्काई स्पोर्ट्स को बताया था,

‘हम बस में रोज जैसा मज़ाक कर रहे थे. लोग बातें कर रहे थे कि आज आप शाम को क्या करने वाले है. हमारे एक तेज गेंदबाज ने कहा, यहां का विकेट काफी फ्लैट है. मुझे यहां पर स्ट्रैस फ्रैक्चर हो जाएगा. मैं उम्मीद करता हूं कि यहां पर कोई बॉम्ब फट जाए, ताकि हम सब घर जा सकें. और उसके 20 सेकेंड बाद, ये हुआ.’  

इस हादसे पर संगकारा ने आगे बताया,

‘बहुत बवाल हो गया था. हम बस के बीच में छुप गए, एक-दूसरे के ऊपर चढ़ कर. और फिर शूटिंग शुरू हो गई. उन्होंने बस पर उतनी गोलियां चलाई, जितनी वो चला सकते थे. और ग्रेनेड, रॉकेट लॉन्चर फेंके. लेकिन पता नहीं कैसे हम बच गए.

उन्होंने बस ड्राइवर को गोली मारने की कोशिश की. वो ज़रा सी दूरी से बच गए. वो हीरो रहे, हम शायद इसीलिए बच पाए क्योंकि वो हमें वहां से निकालने के लिए जिंदा थे. हर रोज़ उनको हमें पतले से गेट से निकालने के लिए चार बार कोशिश करनी पड़ती थी. लेकिन इस बार वो हमको सीधा ग्राउंड पर ले गए.

हम वहां उतरे. हमको लगा, थरंगा परनाविताना की किसी वजह से मौत हो गई. लेकिन उन्होंने अपनी पीठ महसूस की और बोले- मेरी पीठ में कोई छेद नहीं है. इसलिए मैं सोचता हूं कि मैं ठीक हूं और फिर वो बाहर निकल गया. थिलन के हर तरफ खून था. उनको बहुत बुरी तरह से गोली लगी थी. उनको वहां से अस्पताल लेकर जाया गया.

अजंता मेंडिस और मुझे दूसरे एम्बुलेंस मे जाना था. लेकिन फिर उन्होंने एम्बुलेंस पर गोली दागना शुरू कर दिया, तो हमने सोचा कि हम यही रूकते हैं.’ 

# थिराना के साथ क्या हुआ?

इस बीच थिराना अस्पताल पहुंचे. उनका इलाज शुरू हुआ. हादसे के क़रीबन आठ साल बाद थिराना ने डेक्कन हेराल्ड की मधु जवाली से इस मुद्दे पर बात करते हुए बताया,

‘जब मुझे लाहौर के अस्पताल में भर्ती करवाया गया, डॉक्टर्स ने सभी टेस्ट और स्कैन किए. जिसका मुझे कोई अंदाजा भी नहीं था क्योंकि मैं अचेत था. उन्होंने मुझसे कहा चिंता मत करो और ये कि मैं फिर से वापस क्रिकेट खेल पाउंगा. मैंने कहा, ये बकवास है. क्योंकि ना मैं अपने पैरों को फील कर पा रहा हूं. ना ही उनको हिला पा रहा हूं.’

इसके बाद थिराना ने अपने ऑपरेशन और रिहैब पर बात करते हुए बताया,

‘मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं वापसी करूंगा और क्रिकेट खेलूंगा. शुक्र है, मेरा ऑपरेशन और रिहैब अच्छा गुज़रा लेकिन मानसिक चोट से निकल पाना काफी मुश्किल था. मैं काफी समय तक डरा हुआ रहा. बिना शक के वो बहुत मुश्किल दौर था. मुझे डरावने सपने आते थे. यह सोच कि मैं अब क्रिकेट नहीं खेल सकता, मुझे डराता था और अक्सर मुझे बेचैन कर देता था.

आखिरकार, मैंने एक मनोविज्ञानी से बात की. उन्होंने मुझे धटना पर हंसने का सुझाव दिया. और उन्होंने कहा कि यही एक तरीका है, जिससे मैं उस परिस्थिति से बाहर आ सकता हूं.’

इस हादसे के बाद थिलन ने श्रीलंका के लिए फिर वापसी की. उन्होंने इस आइलैंड नेशन के लिए आगे क़रीब चार साल तक और क्रिकेट खेला. उन्होंने 81 टेस्ट मैच में 48.76 की एवरेज से 5462 रन बनाए. इसमें 14 शतक और 30 अर्धशतकीय पारियां शामिल हैं.

थिलन के ये आंकड़े देखकर आपको लग रहा होगा कि वो शुरू से ही धाकड़ बल्लेबाज रहे होंगे. लेकिन ये पूरा सच नहीं है. असल में उन्होंने अपने करियर की शुरूआत ऑफ स्पिनर के तौर पर की थी. लेकिन वो दौर मुथैया मुरलीधरन का था, इसलिए उन्होंने गेंद को किया नमस्ते और बल्ला उठा लिया.

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