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'विराट कोहली को टीम से निकाल दो', लेकिन ये आंकड़े तो...

तमाम विशेषज्ञों के लिए खास.

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Virat Kohli की इन दो तस्वीरों के दौरान Ganga से Thames तक काफी जल प्रवाह हो चुका है.

कपिल देव, विरेंदर सहवाग, वेंकटेश प्रसाद, अजय जडेजा… और ऐसे तमाम लोग. जिनका क्रिकेट की दुनिया में नाम है. पूर्व क्रिकेटर्स, विशेषज्ञ, फ़ैन्स, ट्विटर वीर. इत्यादि-इत्यादि. ऐसे लोग इस वक्त एक चीज पर पूरी तरह से एकमत हैं. और वो चीज है विराट कोहली की टीम इंडिया में जगह. इन सभी को लगता है कि विराट कोहली को टीम इंडिया में ढोया जा रहा है. उनकी परफॉर्मेंस इस लायक नहीं है, कि कोहली टीम इंडिया में रह सकें.

कपिल और अजय ने तो खुलकर बोल दिया कि कोहली को बाहर कर देना चाहिए. लेकिन बाकी कई लोग बिना नाम लिए ऐसी बातें कर रहे हैं. और अभी इसमें हम टॉक्सिक फ़ैन्स की तो चर्चा ही नहीं कर रहे. ये वो सारे लोग हैं, जिनसे उम्मीद की जाती है कि ये पहले तोलेंगे, फिर मोलेंगे और फिर कहीं जाकर बोलेंगे. लेकिन आजकल ऐसा नहीं हो रहा है. ये बस बोल दे रहे हैं… बाकी सारी चीजें तो ऐसे ही छूट जा रही हैं जैसे पिछले कुछ सालों में हमारे हाथ से ICC ट्रॉफ़ीज.

इन वकीलों पर इस वक्त अंग्रेजी में एक कहावत सटीक बैठ रही है. आगे बढ़ने से पहले कहावत दोहरा देते हैं, ये कुछ यूं कही जाती है- Asking For head. यानी सर मांगना. इस वक्त लोग कोहली का सर मांग रहे हैं. स्पेशली T20I फॉरमेट में कोहली को अनफिट बताया जा रहा है. और इसके पीछे कारण है उनकी तथाकथित फॉर्म. लोगों का कहना है कि कोहली की फॉर्म इंडिया को डुबो रही है.

#Virat Kohli Form

तो चलिए, पहले कुछ आंकड़े देख लेते हैं. साल 2020 से अब तक T20I में भारत के लिए सबसे ज्यादा रन बनाने वालों की लिस्ट में कोहली चौथे नंबर पर हैं. जी हां. अपने करियर की सबसे खराब फॉर्म में भी कोहली 42 की ऐवरेज और 136 की स्ट्राइक रेट से रन बना रहे हैं. इस दौरान उनके नाम छह पचासों के साथ 675 रन हैं.

लिस्ट में उनसे ऊपर केएल राहुल, श्रेयस अय्यर और रोहित शर्मा हैं. राहुल ने इस दौरान 36 की ऐवरेज और 136 की स्ट्राइक रेट से 693 रन बनाए हैं. जबकि अय्यर ने 41 की ऐवरेज और 143 की स्ट्राइक रेट से 705 रन मारे हैं. जबकि रोहित के नाम 32 की ऐवरेज और 144 की स्ट्राइक रेट से 746 रन हैं. रोहित के नाम इस दौरान सात पचासे हैं. जबकि अय्यर ने पांच और राहुल ने आठ पचासे मारे हैं.

यानी अपनी सबसे खराब फॉर्म में भी कोहली इंडिया के टॉप बल्लेबाजों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर रन बना रहे हैं. और फॉर्म में आई इस गिरावट के बाद भी उनका ऑलटाइम ऐवरेज 50 का है. साथ में स्ट्राइक रेट भी 137 से ज्यादा का है. अगला सवाल वर्ल्ड कप का है. जो खेला जाएगा ऑस्ट्रेलिया में. ऐसे में कोहली का ऑस्ट्रेलिया में अब तक का प्रदर्शन देखें तो उन्होंने इस देश में 64 से ज्यादा की ऐवरेज और 144 से ज्यादा की स्ट्राइक रेट से रन बनाए हैं. यानी वहां इनके प्रदर्शन को असाधारण बताया जा सकता है. अब इस प्रदर्शन के बाद अगर कोई कह रहा है कि कोहली को वर्ल्ड कप की टीम में नहीं होना चाहिए. तो उससे नंबर तीन पर खेलने के ऑप्शन मांगे ही जाने चाहिए.

जैसा कि सब जानते हैं. ये देश लहरों से चलता है. और अभी यहां सूर्यकुमार यादव और दीपक हूडा की लहर चल रही है. दीपक ने अभी तक सिर्फ चार पारियां खेली हैं. जिनमें उनका रिकॉर्ड बेहतरीन है. इससे कोई इनकार नहीं कर सकता. लेकिन क्या इन चार पारियों के दम पर कोहली के दशक भर के रिकॉर्ड को परे रख दिया जाएगा? ऐसा किस देश में होता है?

और सूर्या तो मुंबई में भी नंबर चार पर खेलते हैं. राहुल त्रिपाठी को जब आयरलैंड के खिलाफ़ मौका नहीं दिया गया, तो उन्हें सीधे वर्ल्ड कप में तो उतारेंगे नहीं. अब बचे श्रेयस अय्यर. जो कि शॉर्ट गेंदें आते ही नृत्य करने लगते हैं. फिर चाहे वो 120 की स्पीड से आएं या 160 की. ऐसे में ऑस्ट्रेलिया की बाउंस और पेस वाली विकेट पर वो कितने कारगर सिद्ध होंगे?

#Virat Kohli Recent Matches

कहा जा रहा है कि टीम कोहली को तीन साल से ढो रही है. लेकिन आंकड़े देखेंगे तो साल 2020 में कोहली ने लगभग 37 की ऐवरेज और लगभग 142 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए थे. जबकि 2021 में उन्होंने लगभग 75 के ऐवरेज और 133 की स्ट्राइक रेट से रन बनाए. हां, साल 2022 उनका बहुत अच्छा नहीं जा रहा है. लेकिन इस साल कोहली ने कुल चार ही तो मैच खेले हैं. जिनमें से कम से कम दो में वह ताबड़तोड़ खेलने के चक्कर में आउट हुए.

जबकि दुनिया जानती है कि कोहली एक बार जमने के बाद ज्यादा खतरनाक होते हैं. पहली गेंद से हिट करना उनका स्टाइल नहीं है. लेकिन पियर प्रेशर कहें या टीम की जरूरत, कोहली ये भी ट्राई कर रहे हैं. इंग्लैंड के खिलाफ़ तीसरे मैच में लगातार दो बाउंड्री मारने के बाद वह डिफेंड करने में नहीं, बल्कि हिट करने में ही आउट हुए. यानी जिस इंटेंट के लिए हम हलकान हो रहे हैं, कोहली लगातार वो दिखा रहे हैं.

साथ ही कोहली के टीम में रहने से सामने वाली टीम पर बनने वाला प्रेशर सब जानते ही हैं. ये कुछ ऐसा ही है जैसा एक दौर में सचिन के टीम में रहने पर होता था. और इसी के चलते हमने सचिन के लीन पैच में भी उन्हें टीम में रखा था. साल 2005 और 2006 में सचिन के आंकड़े देखिए. सारे फॉर्मेट मिलाकर वह 34 के ऐवरेज से खेल रहे थे. और यही हाल 2011 के बाद भी था. सचिन ने 2012 और 2013 में सारे फॉर्मेट में लगभग 27 और साढ़े 34 के ऐवरेज से रन बनाए. फिर भी वह टीम से अपनी शर्तों पर गए. ना की बाहर से आ रहे शोर के चलते.

विराट कोहली अपनी बैटिंग से इंडिया को इतने मैच जिता गए हैं. जितने तमाम तथाकथित लेजेंड्स मिलकर भी नहीं जिता पाए होंगे. फिर भी आज कोहली पर सवाल उठ रहे हैं. क्योंकि कोहली ने अपना स्टैंडर्ड इतना ऊपर रखा है, कि उनके बल्ले से सेंचुरी से कम कुछ भी फेल्यॉर माना जाता है. जबकि इस देश तो छोड़िए, पूरी दुनिया में कोहली से ज्यादा शतक सिर्फ उतने ही लोगों के नाम हैं, जितने एक आम इंसान के हाथों में अंगूठे होते हैं.

जी हां, सिर्फ दो. कोहली ने पॉन्टिंग से 153 जबकि सचिन से 267 पारियां कम खेली हैं. जबकि शतकों के मामले में वह पॉन्टिंग से एक जबकि सचिन से 29 शतक ही पीछे हैं. यानी कोहली के पास ना सिर्फ क्वॉलिटी है, बल्कि उनकी कंसिस्टेंसी भी कमाल की रही है. और अब, जबकि उनका तथाकथित खराब वक्त चल रहा है. तो इस तरीके से उनके पीछे पड़ने के जगह हमें उनका सपोर्ट करना चाहिए.

क्योंकि ना तो हम रोम हैं और ना कोहली जूलियस सीजर. फिर हम कोहली की पीठ में छुरा क्यों भोंक रहे हैं? क्या हमें अपने सबसे बड़े मैच विनर का सपोर्ट नहीं करना चाहिए? कोहली का बल्ला चलेगा तो सबसे ज्यादा खुशी हमें होगी, फिर हम क्यों उनका फेल्यॉर सेलिब्रेट कर रहे हैं? जिस इंसान ने हमें तमाम असंभव दिखने वाले मैच जिताए. अकेले खड़े रहकर 40 ओवर में सवा तीन सौ चेज कराए. प्राइम मलिंगा को गली-कूचे का बोलर बना दिया, वो आज थोड़ा सा स्ट्रगल कर रहा है.

तो हम उसके पीछे खड़े होने की जगह ब्रूटस बने खंजर लिए घूम रहे हैं? अभी भी वक्त है, हमें संभलना होगा. क्योंकि दुनिया एक और सीजर को अपने ही लोगों के हाथों तबाह होते देखने के लिए तैयार खड़ी है. क्योंकि इसमें उनका ही फायदा है मित्र, हमारा नहीं.

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