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रनआउट, जिसने लोगों को ऐसा भड़काया कि फील्डर को बोलना पड़ा- I Am सॉरी!

क़िस्सा क्रिकेट की एक 'चंठई' का.

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टोनी ग्रेग (फोटो - Getty Images)

22 अप्रैल 1998 को क्या हुआ था? मिलेनियल्स से ठीक पहले वालों से पूछेंगे तो तड़ से कहेंगे- शारजाह में तूफान आया था. लेकिन शारजाह का तूफान यहां तक क्यों चर्चित है? क्योंकि उस तूफान के बाद दुनिया ने वनडे में T20 वाली बैटिंग देखी थी. और ये बैटिंग किसने की थी? वन एंड ओन्ली सचिन तेंडुलकर ने.

सचिन पाजी ने उस रोज कंगारू बोलर्स को ऐसा कूटा, कि उनकी इस पारी का नामकरण ही डेजर्ट स्टॉर्म अर्थात रेगिस्तानी तूफान हो गया. ये पारी सचिन की बेस्ट पारियों में से एक मानी जाती है. कई लोग यह भी मानते हैं कि उस पारी में इतना मजा नहीं आता, अगर एक अंग्रेज कॉमेंट्री बॉक्स से चीख-चीखकर इसकी तारीफ में कसीदे नहीं पढ़ता.

जी हां, बात टोनी ग्रेग की हो रही है. जिनकी कॉमेंट्री को सचिन की बैटिंग के साथ-साथ घटने वाली सबसे बेहतरीन बात माना जाता था. ग्रेग साउथ अफ्रीका में पैदा हुए और इंग्लैंड के लिए क्रिकेट खेला. ग्रेग ने इंग्लैंड की कप्तानी भी की. लेकिन सचिन की तारीफ करते वक्त कमाल के कवि लगने वाले ग्रेग अपने खेलने के दिनों में बहुत चंठ थे. और आज सिली पॉइंट में हम उनकी ऐसी ही एक चंठई का क़िस्सा सुनाएंगे.

# Tony Greig Runout Kallicharran

तारीख थी 3 फरवरी. और साल 1974. इंग्लैंड की टीम वेस्ट इंडीज़ के टूर पर थी. सीरीज़ के पहले टेस्ट का ये दूसरा दिन था. पोर्ट ऑफ स्पेन की जनता बहुत खुश थी. इंग्लैंड पहली पारी में 131 पर सिमट चुका था. जवाब में वेस्ट इंडीज़ के दिग्गज एल्विन कालीचरण अकेले 142 रन बनाकर खेल रहे थे. टीम का टोटल छह विकेट पर 274 रन था.

दूसरे एंड पर बर्नार्ड जूलियन 22 रन पर नाबाद थे. दिन की आखिरी गेंद. डेरेक अंडरवुड ने फेंकी. जूलियन ने उस रोज की तक़रीबन बाकी सभी गेंदों की तरह, इसे भी हल्के हाथों से ब्लॉक कर दिया. गेंद सिली पॉइंट पर फील्डिंग कर रहे टोनी ग्रेग के पास से निकली. सबको लगा कि दिन का खेल खत्म. लेकिन, जैसा कि मैंने पहले बताया कि ग्रेग सर चंठ थे.

उनके दिमाग में कुछ प्लान चमका. लेकिन इससे बेख़बर उनके विकेटकीपर एलन नॉट ने स्ट्राइक एंड की गिल्लियां गिराईं और स्टंप उखाड़ दिए. जूलियन वहीं से मुड़े और अपने पीछे मौजूद पविलियन की ओर चल पड़े. इधर, पिछली बोल के वक्त नॉन स्ट्राइक क्रीज़ से कुछ कदम निकले कालीचरण वापस क्रीज़ में जाने की जगह, सीधे ही पविलियन की ओर आगे बढ़ गए.

और इतने में ग्रेग ने कर दी चंठई. उन्होंने गेंद उठाई, और बोलर्स एंड के स्टंप्स पर मार दी. अब खेल देखिए, गेंद सीधे स्टंप्स पर लगी. कालीचरण क्रीज़ से बाहर. वहां खड़े चाइनीज मूल के कैरेबियन अंपायर डगलस सैंग ह्यू ने अभी तक गेम ओवर, नहीं बोला था. उनके सामने बड़ा धर्मसंकट. अब करें तो करें क्या? थोड़ी झिझक के बाद ह्यू ने भौचक खड़े कालीचरण को आउट दे दिया.

नाचते-कूदते ग्रेग ड्रेसिंग रूम की ओर बढ़े. साथ चल रहे अंग्रेजों का हाल कालीचरण जैसा ही था. शुद्ध हिंदी में कहें तो- काटो तो खून नहीं. उंगली उठी तो, मैनुअल स्कोरबोर्ड भी बढ़ा. स्कोरबोर्ड बढ़ा तो वहां विकेट्स छह की जगह सात दिखे. और ऐसा दिखते ही आनंद में झूम रही जनता भड़क गई. उनके दिमाग में तो अंडरवुड के हाथ से छूट गेंद के सम्मानपूर्वक जूलियन के बल्ले से टकराते ही दिन खत्म था.

फिर से विकेट कैसे गिरा भाई? अब दुनिया भौचक थी. कॉमेंट्री कर रहे लोग भी ना समझ पा रहे थे. उनका मानना था कि जब नॉट ने स्टंप उखाड़ दिए तो दिन का खेल खत्म. और जब खेल खत्म. तो विकेट कैसे गिरा? और उनकी सुन स्कोरबोर्ड चला रहे व्यक्ति ने सात विकेट्स को फिर से छह कर दिया. जनता खुश. घर गई. लेकिन मामला इतना आसान तो था नहीं.

आगे का हाल क्रिकइंफो के लिए मार्टिन विलियमसन ने लिखा था. विलियमसन लिखते हैं,

'यह इतना आसान नहीं था. दोनों कप्तान, इंग्लैंड के टूर मैनेजर, अंपायर्स और वेस्ट इंडीज़ क्रिकेट बोर्ड के प्रतिनिधि. स्टेडियम के पविलियन में इतने लोग आनन-फानन में बैठे. और बुलाई गई पुलिस. क्यों? क्योंकि एक स्टैंड में आग लगाई जा चुकी थी.'

दूसरी ओर प्लेयर्स अपने कपड़े-लत्ते बदल वापस होटल की ओर जा रहे थे. लोग भड़के थे. और ऐसे में ग्रेग को उनसे बचाना था. कौन बचाता? लेजेंडरी सर गैरी सोबर्स आगे आए. खुद गाड़ी चलाकर ग्रेग को उनके होटल ले गए. ऐसा इसलिए किया गया कि जनता अगर कुछ ऐसा-वैसा करना भी चाहे, तो सर गैरी को देख पीछे हट जाए.

मैदान पर लौटते हैं. क्वींस पार्क ओवल में ढाई घंटे तक दोनों ओर से खूब चिल्ला-चिल्ली हुई. लेकिन अंततः मामला शांत हुआ. अंपायर ह्यू अभी तक अपने फैसले पर अड़े थे. लेकिन बाकी लोगों ने एक ओर होकर उनके अड़ने को टोटल वेस्ट कर दिया. तुरंत मेरे जैसे, मतलब मुझसे थोड़े ज्यादा पहुंचे हुए मेरे पेशे के लोगों को बटोरा गया.

और मीडिया से इस बातचीत में इंग्लैंड के कप्तान और टीम मैनेजर ने कहा,

'क्रिकेट के हित और खासतौर से इस टूर के भविष्य को ध्यान में रखते हुए... बल्लेबाज के खिलाफ़ की गई अपील वापस ली जाएगी.'

इस बयान में ग्रेग की माफी भी शामिल रही. उन्होंने माफी मांगी और फिर ये एपिसोड खत्म हुआ. लेकिन जनता में तो अभी भी गुस्सा था. तो उन्हें कैसे शांत करें? इस सवाल के जवाब में अगले दिन का खेल शुरू होने से पहले पिच के बीचोंबीच ग्रेग और कालीचरण ने हाथ मिलाया. सबकुछ सही है का भरोसा दिलाया. और फिर खेल आगे बढ़ा.

कालीचरण अपने पिछले टोटल में 16 रन ही जोड़ पाए. 158 रन पर आउट हुए. विंडीज की पारी 392 रन पर खत्म हुई. इंग्लैंड ने अपनी दूसरी पारी में इतने ही रन बनाए. यानी विंडीज़ को जीत के लिए 132 का लक्ष्य मिला. मेजबानों ने सिर्फ तीन विकेट खोकर ये रन बना लिया. और हां, इस पारी में ग्रेग ने कालीचरण को आउट भी किया. उन्हीं अंडरवुड की गेंद पर कैच पकड़कर.
 

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