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Google ने चुपके से बड़ा कांड कर दिया, सबकी निजी जानकारी खतरे में आ गई है!

क्या इससे बच पाना संभव है?

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गूगल ने डोमेन में बदलाव किया है. (सांकेतिक इमेज)

गूगल (Google) ने एक ‘मास्टर स्ट्रोक’ मारा है, लेकिन यूजर्स के भले के लिए नहीं. ‘मास्टर स्ट्रोक’ इसलिए, क्योंकि जैसी इसकी परिभाषा है एकदम वैसा ही किया है गूगल ने. किसी को बताए बिना, हौले से, शांति से एक छोटा सा बदलाव किया है. इसका सीधा असर उसके करोड़ों यूजर्स पर पड़ेगा. आप कहेंगे जल्दी बताओ. आखिर ऐसा क्या किया गूगल बाबा ने. दरअसल, गूगल बाबा ने बड़े स्मार्टली अपने ब्राउजर में एक छोटा सा बदलाव किया और यूजर्स की प्राइवेसी पर अपनी नजरें जमा ली हैं.

अब आप कहेंगे कि इसमें नया क्या है? गूगल तो पहले से ही यूजर्स के डिजिटल जीवन में तांक-झांक करता ही रहता है. ठीक बात है, लेकिन अब गूगल ने अपने एक ऐप से ऐसा भयानक इंतजाम किया है कि वो जब चाहे आपकी ट्रैकिंग कर सकता है. इतना ही नहीं, गूगल की बाकी सर्विस भी अपने मन-मुताबिक आपकी एक्टिविटी ट्रैक कर सकती हैं. क्या किया है, उसको जानने के लिए जरा एक बार ब्राउजर पर गूगल मैप्स (Googl Maps) ओपन कीजिए.

मैप्स.गूगल 

ऊपर से आपको कुछ नजर नहीं आएगा. गूगल मैप्स लिखते ही maps.google.com नजर आएगा. अब इस पर क्लिक कीजिए. क्या हुआ, स्क्रीन पर गूगल मैप्स खुल गया? अब तक आपको खीज आ रही होगी. लग रहा होगा कि ऐसा तो सब पहले से है. यही तो बात है. अगर सब इतनी आसानी से पकड़ में आता, तो फिर उसको ‘मास्टर स्ट्रोक’ क्यों कहते. गूगल ने डोमेन में महीन सा चेंज किया है.

अब जरा ऐड्रेस बार में गौर से नजर डालिए. आपने तो maps.google.com पर टैप किया था, लेकिन असल में खुला है google.com/maps. ये है असल खेल. चलिए, थोड़ा और आसान करते हैं. उदाहरण के लिए www.thelallantop.com टाइप कीजिए. अब स्क्रीन पर नजर आ रही लिंक पर क्लिक कीजिए. Lallantop का होम पेज ओपन होगा. ऐसे ही होता है. लेकिन अगर आप  www.thelallantop.com/technology टाइप करेंगे, तो आप सीधे टेक के पेज पर लैंड करेंगे. खेल समझे. गूगल आपको सीधे एक दूसरे पेज पर लैंड करा रहा है. इतना महीन बदलाव पहली नजर में समझ नहीं आएगा.

गूगल.कॉम/मैप्स 

वैसे इसमें कोई बुराई नहीं है, लेकिन जब हम और आप ऐसे करें. लेकिन ये तो गूगल ने अपने सिस्टम में डाल दिया है. अब ऐसा करने से आप गूगल मैप्स के अंदर हैं, चाहें या ना चाहें. हालांकि, ऐसा नहीं है कि ये बदलाव किसी को नजर नहीं आया हो. नवंबर के महीने में https://analyticsindiamag.com/ ने इस बदलाव को नोटिस किया और बाकायदा इसके बारे में विस्तार से लिखा. एक यूजर ने स्मार्ट मूव के नाम से साफ-साफ लिखा कि कैसे गूगल के इस कदम से अब आप गूगल मैप्स को कोई सी भी परमिशन देंगे, तो वो गूगल के दूसरे उत्पादों जैसे क्रोम पर अपने आप से लागू होंगी. वैसे, कई सारे टेक एक्सपर्ट्स ने अबतक इसपर दबी जुबान में बात करना ही स्टार्ट किया है.

गूगल के इस मूव से अब उसको यूजर के हिसाब से टारगेटेड विज्ञापन दिखाने में और सहूलियत हो जाएगी. गूगल अब विज्ञापन देने वालों को यूजर की ज्यादा निजी जानकारी उपलब्ध करा पाएगा. वाईफाई राउटर से लेकर सेल का आइडी भी अब दर्ज होगा. गूगल ने इसकी कोई जानकारी भी शायद उपलब्ध नहीं कराई है. अब ये समझना कोई बड़ी बात नहीं कि गूगल मैप्स ही क्यों?

आसान सा जवाब है कि इसके बिना काम चलता नहीं है, फिर भले आप इंडिया में हों या अमेरिका में. कभी तो हवेली पर आओगे ही सही टाइप!

बचने का कोई उपाय है क्या?

कड़वे सच को मानें, तो शायद नहीं. वैसे आप लोकेशन से लेकर माइक्रोफोन को ऑफ कर सकते हैं. लेकिन कितने दिन. एक दिन तो इनेबल करना ही पड़ता है. कहते हैं ना 'privacy is a myth', तो इसके आस-पास अपने आप को रख लेते हैं. 

लोकेशन ऑफ रख सकते हैं

वैसे एक उम्मीद है. अगर दुनिया जहांन की एजेंसियों ने इस पर ध्यान दिया और गूगल को धापे में लिया, तो शायद इस मास्टर स्ट्रोक की छीछालेदर होने में देर नहीं लगेगी.   

वीडियो: वॉट्सऐप और गूगल मैप्स के ज़रिए अपनी लाइव लोकेशन दूसरों के साथ कैसे शेयर करें?