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अडानी की रिपोर्ट का इस गैस वाले गुब्बारे से क्या कनेक्शन है?

क्या है 'हिंडनबर्ग' रिपोर्ट का 86 साल पुराना कनेक्शन?

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'हिंडनबर्ग' रिपोर्ट का गुब्बारे से कनेक्शन

'हिंडनबर्ग'. पूरी उम्मीद है कि इस नाम से आपका राब्ता पिछले हफ्ते में एक बार तो पड़ा ही होगा. अमेरिकी निवेश शोध फर्म 'हिंडनबर्ग' ने अपनी एक रिसर्च रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर व्यापारिक 'धोखाधड़ी' करने के आरोप लगाए थे. उसके बाद से अडानी ग्रुप और हिंडनबर्ग के बीच बयानबाजी चल रही है. अडानी समूह ने अमेरिकी रिसर्च कंपनी की रिपोर्ट को झूठा करार दिया है. वहीं हिंडनबर्ग ने खुलकर अडानी समूह पर ‘भारत को लूटने’ का आरोप लगाया है. 

हम आपको इस विवाद से जुड़ी कोई नई अपडेट नहीं देने जा रहे, बल्कि इतिहास का एक पन्ना पलटने वाले हैं जिसमें हिंडनबर्ग को इसका नाम मिलने की कहानी दर्ज है. कभी आपने सोचा आखिर ये नाम आया कहां से. जानकर आश्चर्य होगा कि 'हिंडनबर्ग' नाम आज से तकरीबन 86 साल पहले चर्चा में आया. ऐसा हुआ एक हाइड्रोजन गुब्बारे में हुए हादसे की वजह से. आप सोच रहे होंगे, ‘कहां एक रिसर्च कंपनी और कहां एक गुब्बारा’. लेकिन बात यही है. अब ये हुआ कैसे वो बताते हैं.

क्या था हिंडनबर्ग हादसा?

6 मई 1937 की घटना है. जर्मनी का फेमस एयरशिप 'हिंडनबर्ग' अमेरिका के न्यू जर्सी के पास नेकहेर्स्ट नेवल एयरस्टेशन पर उतरने वाला था. लेकिन उससे कुछ समय पहले हादसे का शिकार हो गया. हादसे के वक्त विमान में कुल 97 लोग सवार थे. उनमें से 35 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी. 

एयरशिप सिगार के आकार जैसा एक बड़ा गैस बैग होता था. इसके मेटल फ्रेम में हाइड्रोजन गैस भरी होती थी. जिस वक्त यह दुर्घटना हुई तब हिंडरबर्ग एयरशिप करीब 200 मीटर (650 फीट) की ऊंचाई पर था. उसमें सवार कुछ लोगों ने एयरशिप से कूदकर अपनी जान बचाई थी.

एयरशिप में क्या-क्या थीं सुविधाएं?

हिंडनबर्ग एक उड़ता हुआ शानदार होटल जैसा था. इसका आकार किसी स्टेडियम जितना बड़ा था. हिंडनबर्ग एयरशिप की लंबाई 803 फीट और वजन करीब 242 टन था. इस एयरशिप में सोने की व्यवस्था से लेकर एक लाइब्रेरी, डाइनिंग रूम और एक शानदार लाउंज था. इसके बावजूद ये 80 मील प्रति घंटा की रफ्तार से चलने में सक्षम था. और जैसा पहले बताया, इसका फ्रेम मेटल का था जिसे हाइड्रोजन गैस भरकर फुलाया जाता था.

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हादसे की वजह

इस एयरशिप हादसे की असल वजह आज तक साफ नहीं हो सकी है. काफी समय तक शक की सुई अमेरिका की ओर घूमी रही. कहा गया कि अमेरिका द्वारा किए गए तकनीकी हमले के चलते ये हादसा हुआ. लेकिन ये अफवाह ही साबित हुई. बहुत लोगों का मानना था कि तेज़ी से आग पकड़ने वाली हाइड्रोजन गैस की वजह से ये हादसा हुआ. कुछ जर्मन लोगों ने नाजी शासन पर हादसे को लेकर सवाल उठाए और आशंका जताई. वहीं, नासा ने अनुसंधान में दिखाया कि पोत के बाहर कपड़े पर लगे ज्वलनशील वॉर्निश के चलते ये हदासा हुआ.

बहरहाल, हिंडनबर्ग का हादसे का शिकार होना इसकी निर्माता कंपनी डॉयचे जेपलिन के लिए बड़ा झटका था. इस एयरशिप को उसी साल शुरू किया गया था और इसे दो साल तक यूरोप, ब्राजील और अमेरिका में सेवाएं देनी थीं. लेकिन हादसे के साथ ही उसी साल इसे बंद करना पड़ा.

हिंडनबर्ग रिसर्च और एयरशिप का कनेक्शन

सीधे-सीधे तो नहीं, लेकिन अडानी ग्रुप से पंगा लेने वाली हिंडनबर्ग कंपनी का दावा है कि गैस के गुब्बारे वाले हिंडनबर्ग की तरह ही वो शेयर मार्केट में हो रहे गोलमाल और गड़बड़झालों पर नजर रखती है. उनकी पोल खोलना और सच सामने लाना अपना उद्देश्य बताती है. फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हिंडनबर्ग रिसर्च की स्थापना नाथन एंडरसन ने की थी. वो येरुशलम से हैं. अमेरिका की कनेक्टिकट यूनिवर्सिटी से उन्होंने इंटरनेशनल बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई की है.
 

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