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भारत आने वाला है अल जवाहिरी को मार गिराने वाला MQ9 Reaper Drone ?

बहुत जल्द भारत को MQ-9B Predator ड्रोन मिल सकते हैं. सौदे के लिए बातचीत अपने अंतिम चरण में है.

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जवाहिरी को मारने वाला ड्रोन अपने आप में आर्मी है. (image-US Navy/twitter/aaj tak)

अमेरिका ने अल-कायदा चीफ अल-जवाहिरी (Al Zawahiri) को मारने के लिए जिस MQ9 Reaper Drone का इस्तेमाल किया था, उसी का एक और वेरियंट MQ-9B Predator जल्द ही भारत के पास भी होगा. रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से पता चला है कि इस ड्रोन की खरीदारी के लिए भारत, अमेरिका से बात कर रहा है. ड्रोन को विकसित करने वाली कंपनी जनरल एटॉमिक्स ग्लोबल कॉरपोरेशन (GAGC) के मुख्य कार्यकारी डॉ. विवेक लाल ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया कि ड्रोन की खरीद के लिए बातचीत अपने अंतिम चरण में है. अल जवाहिरी को मार गिराने MQ9 Reaper Drone अपने आप में किसी सेना से कम नहीं है. रिपोर्ट में बात करेंगे अमेरिका के इस सबसे घातक शिकारी की खासियतों के बारे में.

नाम और काम

एमक्यू9 रीपर के और भी नाम हैं. जैसे, प्रीडेटर-बी ड्रोन, स्टील्थ ड्रोन. अमेरिका इसे हंटर-किलर यूएवी (Hunter-Killer UAV) श्रेणी में रखता है. आप इसको दुनिया का सबसे खुफिया और ताकतवर मशीनी जासूस कह सकते हैं. इसकी सबसे बड़ी खासियत यही है कि इसे उड़ाने के लिए किसी इंसान की जरूरत नहीं. बिना पायलट वाले इस यान में सब कंप्यूटराइज्ड होता है. सॉफ्टवेयर में टारगेट सेट करिए, हथियार डालिए और छोड़ दीजिए. बाकी काम ये खुद कर लेगा.

लेकिन ये तो बस शुरुआत है. इस अत्याधुनिक अनमैन्ड एरियल वीकल के फीचर्स की लिस्ट लंबी है. यह ड्रोन अपने दुश्मनों की हर हरकत पर नजर तो रख ही सकता है, जरूरत पड़ने पर मिसाइल से हमला करके बर्बाद करने में भी देर नहीं लगाता. उल्लू, चमगादड़, बाज, जो भी नाम देना हो दे सकते हैं, क्योंकि एमक्यू9 रीपर को रात में देखने में कोई परेशानी नहीं. उल्लू की तरह शांति से उड़ना इसकी खासियत है. बाज की तरह हमला करना इसका रोज का काम समझ लीजिए. 

एमक्यू9 रीपर लॉन्ग रेंज एंड्योरेंस ड्रोन है. बोले तो एक बार में लंबी दूरी तय करने वाला. हवा से जमीन पर मार करने वाली बेहद खतरनाक मिसाइल (बारूद कम और धारदार ब्लेड्स वाली, जिसका जिक्र हमने ऊपर किया, वो इसका असली हथियार है.

रेंज क्या है और चलता कैसे है?

एमक्यू9 रीपर अपनी एक उड़ान में 1900 किलोमीटर कवर कर सकता है. कहने का मतलब एक देश में बैठकर दूसरे देश में कांड करना इसके लिए बहुत आसान है. बात करें वजन की तो 2 टन से थोड़ा ज्यादा. 2223 किलोग्राम. टंकी, मतलब ईंधन क्षमता होती है 1.8 टन. इसकी लंबाई 36.1 फीट, ऊंचाई 12.6 फीट और विंगस्पैन (पंखों का फैलाव) 65.7 फीट होता है. 

कहने को तो ड्रोन है, लेकिन काम किसी लड़ाकू विमान से कम नहीं. सेटेलाइट की मदद से ग्राउंड स्टेशन पर बैठे दो ऑपरेटर वीडियो गेम की तरह जॉय स्टिक चलाते हुए इसको ऑपरेट कर सकते हैं. यानी इंसानी जान के नुकसान का कोई खतरा ही नहीं. स्पीड भी कोई कम नहीं. एमक्यू9 रीपर 482 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से फर्राटा भर सकता है. आम तौर पर इसको 25 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ाया जाता है, लेकिन जरूरत पड़ने पर ये 50 हजार फीट पर उड़कर भी अपना काम बखूबी कर सकता है.  

एमक्यू9 रीपर कौन बनाता है?

अमेरिका की जानी-मानी कंपनी जनरल एटॉमिक्स (General Atomics) इस बेहतरीन ड्रोन का निर्माण करती है. मल्टीटैलेंट की खान है. जो चाहे वो करवा लो. जासूसी, सर्विलांस, इनफॉर्मेशन जुटाना, एयर सपोर्ट बंद करना, बचाव अभियान और हमला करना तो है ही. अब तक आपको इतना अंदाजा तो हो ही गया होगा कि ये ड्रोन कोई आवाज नहीं करता. सही अंदाजा है आपका, इसके आने की खबर हमला होने पर ही होती है. पकड़ में उसके बाद भी नहीं आता.

कैसे-कैसे हमला कर सकता है?

जो हुक्म मेरे आका टाइप. मिसाइल से लेकर बम तक, जो भी दागना चाहो. एक मिसाइल मैकाब्रे हेलफायर R9X तो आपने जान ली, जो हवा से जमीन पर पूरी सटीकता से निशाना साधती हैं. ऐसी चार मिसाइलें एक बार में दागी जा सकती हैं. इसके अलावा ब्रिमस्टोन (Brimstone Missile) जैसी और खतरनाक मिसाइल भी इससे चलाई जा सकती है. दो लेजर गाइडेड बम जीबीयू-12 और पेव-वे II (वही जो बिना फूटे मानते नहीं) भी इसमें फिट हो जाते हैं. एमक्यू9 रीपर में कुछ मेन एरिया या स्टेशन होते हैं. दो इनबोर्ड, दो मिडल, एक आउटबोर्ड और एक सेंटर. ये सब मिसाइल दागने के काम आते हैं.  

कहां-कहां हमला कर सकता है?

पृथ्वी, अग्नि, जल, आकाश में से अग्नि निकाल दीजिए तो बची हुई तीनों जगह पर ये अपने काम को बखूबी अंजाम दे सकता है. उन्नत किस्म के रडार, जैसे AN/DAS-1 MTS-B Multi-Spectral Targeting System इसको अपना टारगेट पता करने में मदद करते है. समुद्र में छिपी पनडुब्बियों को खोजने के लिए भी इसमें विशेष किस्म के रडार लगे होते हैं.  

भारतीय सेना के पास है क्या?

MQ - 9 रीपर का एक वेरिएंट है MQ -9 B सी गार्डियन. नाम से साफ जाहिर है की इसे खास तौर पर नौसेना की ज़रूरतों के मुताबिक बनाया गया है. ऐसे दो ड्रोन भारतीय नौसेना इस्तेमाल करती है. इन्हें लीज़ पर लिया गया है और ये 2020 के आखिर से सेवा में हैं. भारतीय नौसेना का दावा है कि ये ड्रोन अनार्म्ड हैं, माने इनका इस्तेमाल निगरानी के लिए ही हो रहा है. भारत अपनी तीनों सेनाओं के लिए 30 MQ-9B Predator ड्रोन खरीदना चाहता है. और इसके लिए प्रक्रिया चल रही है. विशेषकर चीन से जुड़े कई इलाकों में तैनाती के लिए. वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अमेरिका के प्रीडेटर-बी ड्रोन का इस्तेमाल भारतीय सेना को ड्रैगन के मुकाबले एक कदम आगे लाकर खड़ा कर सकता है. ताजा रिपोर्टों के अनुसार, हंटर किलर ड्रोन सेना की तीनों सेवाओं के लिए खरीदे जाएंगे. डील की कीमत 3 बिलियन डॉलर हो सकती है. 

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