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इंडिया में बने इन ऐप्स को जानेंगे तो एकदम प्राउड फील होगा!

ये ऐप्स भारत में बने और अब दुनिया में छाए हुए हैं.

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सांकेतिक फोटो.

एक तरफ एक प्लेटफॉर्म है, जो दिन के तकरीबन बीस करोड़ लेनदेन हैन्डल करता है. दूसरी तरफ एक और प्लेटफॉर्म है, जो लाइव स्पोर्ट्स में रिकॉर्ड बना देता है. कमाल बात ये है कि दोनों हैं पूरे देशी. बोले तो मेड इन इंडिया. जब आए दिन हैकिंग के मामले सामने आते हों, ऐसे में ये आज भी सबसे सेफ है. क्या हुआ, नहीं समझे? अरे जनाब हम बात कर रहे हैं यूपीआई (UPI) की. ऐसा कभी सुना आपने कि यूपीआई का सर्वर कंप्रोमाइज हुआ? नहीं ना, तो आज जानते हैं आखिर ऐसा कैसे है? आज बात ऐसे ही कुछ टेक प्लेटफॉर्म की जो भारत में बने और दुनिया पर राज कर रहे हैं.

UPI इतना सेफ कैसे है?

यूपीआई क्या है, कैसे काम करता है, ये बताने जैसी जरूरत नहीं. इसलिए हम आपको बताते हैं की आखिर ये शुरू कब हुआ. 11 अप्रेल 2016 को तत्कालीन आरबीआई गवर्नर डॉक्टर रघुराम राजन ने इसके पायलट प्रोजेक्ट को हरी झंडी दिखाई. उस समय 21 बैंक इसके साथ जुड़े थे. अब नजर डालते हैं यूपीआई से होने वाले लेनदेन पर. सिर्फ अगस्त के महीने में 6.5 बिलियन बोले, तो छह सौ पचास करोड़ ट्रांजैक्शन यूपीआई के जरिए किए गए. बात करें कीमत की, तो इस दौरान 10.72 ट्रिलियन रुपये का लेनदेन हुआ. 

यूपीआई आने के बाद इसी साल जुलाई में पहली बार ऐसा हुआ, जब ट्रांजैक्शन 6 बिलियन के पार पहुंचे. जो अगर हम आपको सिर्फ इसी साल के आंकड़े गिनाने बैठे, तो कसम से दिमाग का दही हो जाएगा. कहने का मतलब, भौकाल टाइट है यूपीआई का. नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) जो यूपीआई का कामकाज देखती है, उसके मुताबिक साल-दर-साल ट्रांजैक्शन में लगभग 68 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. 

अब बात करें इसके सुरक्षित होने की तो आज तक कोई हैकर्स का लाल इसको छू भी नहीं पाया है. आप कहेंगे कि रोज तो इससे जुड़ी खबरें आती हैं. भैया, वो आम जनता से जुड़ी हैकिंग है. हम बात कर रहे सेंट्रल सर्वर की. बड़ी-बड़ी कंपनियों के साथ ऐसा होता है. हाल के दिनों में उबर (Uber) इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. जरा नजर उठाएंगे तो कोई ना कोई कंपनी लाइन में लगी नजर आती है. लेकिन यूपीआई से जुड़ा ऐसा कोई मामला अभी तक सामने नहीं आया है. 

बेहतरीन एनक्रिप्टेड फॉर्मेट होने की वजह से NPCI के सलाहकार नंदन नीलेकणि ने भी कहा था कि ये पेमेंट का बेहद सुरक्षित विकल्प है. सोचिए अगर इसमें कोई झोल होता तो दुनिया जहान के कई देश इसको अपने यहां इस्तेमाल नहीं करते. आज की डेट में नेपाल, भूटान, UAE, यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. आगे कुछ बोलने की जरूरत है क्या. नहीं ना तो बस प्राउड फ़ील कीजिए.

हॉट स्टार सच में हिट है?

आज भले इसको Disney+ Hotstar के नाम से जाना जाता हो, लेकिन ये एक मेड इन इंडिया प्रोडक्ट है. हॉट स्टार वैसे तो एक OTT प्लेटफॉर्म है, लेकिन इसकी असल पहचान स्पोर्ट्स के लाइव प्रसारण के लिए है. अब आप अपनी कुर्सी की पेटी जोर से बांध लीजिए क्योंकि हम जो बताने वाले हैं उसक झटका जोर से लगेगा. सोचिए एक लाइव स्पोर्ट्स ईवेंट को कितने लोग देखते होंगे. 

एक लाख-दस लाख, पचास लाख, जी नहीं पूरे एक करोड़ तीस लाख. ऐसा तब हुआ, जब कुछ दिनों पहले इंडिया पाकिस्तान का मैच हुआ तो 13 मिलियन लोग लाइव थे इस ऐप पर. दूसरे प्रोग्राम देखने वाले और पेमेंट करने वाले अलग. कमाल बात है कि ऐप क्रैश नहीं हुआ. ये एक किस्म का रिकॉर्ड ही है. आपको लग रहा होगा ये तो आम बात है. लेकिन ऐसा नहीं है. इस बात को हॉटस्टार के सीटीओ के एक पुराने ब्लॉग से समझा जा सकता है. 

Scaling the Hotstar नाम के ब्लॉग में वो बताते हैं कि उनको इस बात का अंदाजा था कि एक टाइम के बाद यूजर्स बढ़ेंगे. उन्होंने ऑटो स्केलिंग तकनीक का इस्तेमाल किया, लेकिन वो काम नहीं आई. फिर उन्होंने अपने प्लेटफ़ॉर्म पर जरूरी किस्म के बदलाव किए. उनके इंजीनियर की मेहनत रंग लाई और आज की तारीख में हॉटस्टार एक करोड़ नहीं, बल्कि पांच करोड़ यूजर्स को हैन्डल करने में सक्षम है.

अब क्या, कथा समाप्त! चाहे तो कोई यूपीआई कर डालिए या फिर कोई मैच देख लीजिए. वैसे आने वाली 23 अक्टूबर को है एक और जोरदार मुकाबला 

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