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Facebook मुश्किल में, WhatsApp के बिकने की नौबत आ सकती है!

वॉट्सऐप कि पेरेंट कंपनी मेटा घाटे में है और इसकी एक वजह मैसेजिंग ऐप को भी बताया जा रहा है.

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वॉट्सऐप से पीछा छुड़ा सकते हैं मार्क जकरबर्ग (image-prashnat)

WhatsApp बिकने वाला है. आपको लगेगा कि हम अपने होश में नहीं हैं जो कुछ भी बोले जा रहे हैं. लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है. WhatsApp का मालिकाना हक रखने वाली meta की माली हालत है पतली और खबरों की माने तो कंपनी अपने सफेद हाथी यानी गोद लिए हुए 'निकम्मे' बेटे वॉट्सऐप को बेच सकती है. अब ये क्यों होगा और हमने इतनी सारी उपाधियां क्यों बांट दी वॉट्सऐप को. इसके बारे में आपको विस्तार से बताते हैं.

पहले जरा मेटा जो फेसबुक, इंस्टा और वॉट्सऐप की पेरेंट कंपनी है, उससे मुखातिब होते हैं. दरअसल बीते गुरुवार को मेटा ने बताया कि उसके रेवन्यू में पहली बार गिरावट दर्ज हुई है. साल 2022 की दूसरी तिमाही में रेवेन्यू ड्रॉप हुआ है और उसका कुल रेवेन्यू 1% गिर गया है. कमाई भी कम होकर 28.8 बिलियन डॉलर (लगभग 23 हजार अरब रुपये) हो गई है. खबर इससे भी बुरी तब हो गई जब कंपनी ने अगली तिमाही में इसके 26 बिलियन डॉलर तक गिरने की आशंका जताई.

मेटा परिवार के दिन पहले ही अच्छे नहीं चल रहे. इस साल शुरुआत में फ़ेसबुक ने बताया कि 18 साल के इतिहास में पहली बार उसके यूजर्स कम हुए हैं. अभी इंस्टाग्राम का TikTok जैसे बनने का विवाद थमा नहीं है. आम तो आम, बड़े-बड़े सेलिब्रिटी जैसे कार्डेशियन सिस्टर्स ने भी खूब खरी खोटी सुनाई. दूसरी तरफ वॉट्सऐप का प्राइवेसी विवाद थमा नहीं है. पिछले हफ्ते दिल्ली हाई कोर्ट में भी इस पर सुनवाई हुई.

अब ऐसे में रेवेन्यू घटना तो गरीबी में आटा गीला होने जैसा है. ऐसे में किसी ना किसी पर तो गाज गिरना ही थी. जैसा होता आया है कुनबे में जो सबसे कमजोर वो इसका शिकार बनेगा. और मेटा कुनबे का सबसे कमजोर प्यादा है वॉट्सऐप.

फ़ेसबुक ने बड़े अरमानों से 2014 में 19 बिलियन डॉलर की भारी भरकम रकम देकर वॉट्सऐप को खरीदा था. सोचा था दुनिया भर के करोड़ों यूजर्स का डेटा इस्तेमाल करके फ़ेसबुक वाला रेवेन्यू मॉडल रन करेंगे. और करोड़ों छापेंगे. लेकिन सिर मुड़ाते ही ओले पड़े वाली कहावत चरितार्थ हुई. दुनिया भर की सरकारों से लेकर तमाम दूसरे संस्थानों ने प्राइवेसी के मुद्दे को खूब उठाया. नतीजा ये हुआ कि वॉट्सऐप पहले की तरह सिर्फ मैसेजिंग ऐप बनकर रह गया. हालांकि खबरें खूब आती हैं जैसे स्टेटस पर विज्ञापन आएंगे. वॉट्सऐप बिजनेस बड़ा प्लेयर बनेगा लेकिन अभी तक कुछ ठोस नहीं हुआ है.

दूसरी तरफ इंस्टाग्राम मुनाफे की मशीन बना हुआ है. 2012 में सिर्फ 1 बिलियन डॉलर में खरीदे ऐप ने 2019 में ही कंपनी को 20 बिलियन डॉलर कमा कर दिए. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी ने वॉट्सऐप पर सबसे बड़ा इनवेस्टमेंट किया था, लेकिन कंपनी को इससे कोई खास फायदा नहीं हो रहा है. जकरबर्ग के सामने अभी कई चुनौतियां हैं. खासकर TikTok. इंस्टाग्राम पर इस प्लेटफॉर्म की तरह यूजर्स को इंगेज रखने का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है.

Facebook का मेटावर्स को लेकर बड़ा प्लान है और इस पर कंपनी पहले ही अरबो डॉलर्स निवेश कर चुकी है. Meta का एक खास डिविजन Reality Labs मार्क जकरबर्ग के मेटावर्स ड्रीम पर काम कर रहा है. लेकिन इस डिविजन ने भी पिछली तिमाही में 2.8 बिलियन का घाटा दर्ज किया. अब एक तरफ कमाई वाला इंस्टाग्राम और दूसरी तरफ ड्रीम. तो पत्ता वॉट्सऐप का ही कट सकता है.

मेटा के सामने ऑप्शन क्या है? पहला जैसे कि उम्मीद लगाई जा रही. बेच दो. अब आपका सवाल होगा खरीदेगा कौन. तो एक नहीं बल्कि दो कंपनियां हैं. माइक्रोसॉफ्ट और Softbank. माइक्रोसॉफ्ट ने इसे खरीदने में पहले भी दिलचस्पी दिखाई है. वहीं Softbank अपनी एक सहयोगी कंपनी Arm Holdings का IPO लाने का प्लान बना रही है. अगर यह कदम सफल साबित होता है और Masayoshi Son (सॉफ्ट बैंक के मालिक) अपना फोकस आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IOT) से हटाकर मैसेजिंग पर पर ले जाते हैं तो वॉट्सऐप को नया मालिक मिल सकता है. लेकिन सबसे पहले मेटा को अपने प्रोडक्ट को बाजार में बिक्री के लिए उतारना होगा. इसके अलावा कंपनी चाहे तो इसे किसी प्राइवेट इक्विटी कंसोर्टियम को भी बेच सकती है.

इन सबके इतर बहुत कम रेवेन्यू होने की वजह से इसका IPO पेश किया जा सकता है. अब कयासों का बाजार भयंकर गरम है और एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अगर कंपनी को लगातार घाटा होता रहा तो वॉट्सऐप वो पहला प्रोडक्ट होगा जिसको बेचा जाएगा.

हालांकि, अभी कंपनी ने इस संबंध में चुप्पी बनाई हुई है. 

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