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'Right to Repair' पोर्टल से ग्राहक बना 'बाहुबली', बहाने बनाने वाली कंपनियों के सब रास्ते बंद

अब ग्राहक होगा असली राजा, कंपनियों को हर हाल में प्रोडक्ट रिपेयर करने ही होंगे.

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राइट टू रिपेयर.

राइट टू रिपेयर (Right to Repair). एक ऐसा अधिकार जिसकी जरूरत सालों से थी. लेकिन अब जाकर ये हकीकत में बदलता नजर आ रहा है. अमेरिका और यूरोपीय देशों से उठी मुहिम अब अपने देश में भी दस्तक दे रही है. परिणाम, भारत सरकार का राइट टू रिपेयर पोर्टल लाइव है. स्मार्टफोन से लेकर दूसरे तमाम उत्पादों की सर्विस गारंटी का एकमात्र ठिकाना. अब कोई भी कंपनी आपको प्रोडक्ट की सर्विस के लिए मना नहीं कर पाएगी. असल में कहें तो ग्राहक ही राजा होगा.

क्या है राइट टू रिपेयर?

हमने पहले भी इसके बारे में विस्तार से बात की है. इसका संबंध आपके स्मार्टफोन, लैपटॉप और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट्स से है. सीधे शब्दों में कहें तो आपकी जेब से वास्ता है राइट टू रिपेयर का. इसका प्रभाव इतना तगड़ा है कि Apple, Samsung और Google जैसे दिग्गज कंपनियां इसकी जद में हैं.

दरअसल स्मार्टफोन, लैपटॉप और वियरेबल डिवाइस हर साल बेहतर तकनीक के साथ बाजार में आ जाते हैं. लेकिन आपके महंगे गैजेट में दिक्कत आ जाने पर क्या होता है? आप इसे कंपनी द्वारा अधिकृत सर्विस सेंटर में ले जाते हैं, जहां पता चलता है कि मरम्मत की कीमत आपके बजट से बाहर है. ऐसा हमेशा हो ये जरूरी नहीं, लेकिन कई बार मरम्मत की कीमत इतनी ज्यादा होती है कि थोड़ा और पैसा मिलाकर नया प्रोडक्ट खरीद लेना बेहतर विकल्प नज़र आता है. अब ऐसा नहीं होगा. क्यों? क्योंकि पोर्टल लाइव है.

कौन-कौन है इसकी जद में?

वैसे तो हर कंपनी को इसमें रजिस्टर होना ही है. फिर वो फ़ार्मिंग सेक्टर से हो या फिर ऑटो-मोबाइल से. कंज्यूमर ड्यूरेबल हो या फिर स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियां. अभी तक रजिस्टर हुई कंपनियों की लिस्ट में नजर डालें तो इसकी ताकत साफ समझ आती है. ऐप्पल से लेकर सैमसंग और हीरो से लेकर होंडा तक. एलजी, हेवल्स, बोट, ओप्पो, एचपी जैसी कंपनियां यहां रजिस्टर्ड हो चुकी हैं. ये सिर्फ बानगी है क्योंकि ये लिस्ट बहुत लंबी होने वाली है.  

क्या मिलेगा कस्टमर को?

रिपेयर और सर्विस से जुड़े तमाम अधिकार. सबसे पहले तो कोई भी कंपनी आपको ये कहकर टाल नहीं सकती कि फलां प्रोडक्ट बनना बंद हो गया. उसकी मरम्मत नहीं हो सकती या फिर उसके स्पेयर पार्ट नहीं मिलेंगे. अगर नहीं मिलेंगे तो कंपनी को उनका इंतजाम करना होगा. बाकायदा आपके लिए उनको ऑर्डर करना होगा. शायद पढ़ने में लगे ये कौन सी बड़ी बात हुई, तो कल्पना कीजिए आप मैकबुक इस्तेमाल करते हैं जिसको Apple ने obsolete कर दिया है. एक तो इसके स्पेयर मिलते नहीं, दूसरा मिलते भी हैं तो सिर्फ चुनिंदा सर्विस सेंटर पर.

अब ये दादागिरी खत्म होने वाली है. स्पेयर पार्ट भी मिलेंगे और इनको फिक्स करने वाली DIY किट भी. DIY मतलब DO IT Yourself वाला मॉडर्न स्टाइल. अगर आप रिपेयर गाइड पढ़कर खुद से पार्ट्स बदल सकते हैं तो अंदाजा लगाइए कि आपका कितना पैसा और समय बचेगा.  

वारंटी का दरेरा भी खत्म होगा

प्रोडक्ट कोई सा भी, अभी अगर आपने वारंटी पीरियड में आधिकारिक सर्विस सेंटर से इतर कहीं और कुछ भी कराया तो मेकर्स अपने हाथ खड़े कर लेते हैं. अब नहीं कर सकेंगे. मतलब थर्ड पार्टी से रिपेयर कराने पर भी वारंटी बनी रहेगी. इतना ही नहीं, कंपनियों को हर प्रोडक्ट के स्पेयर पार्ट की कीमत, उपलब्धता और रिपेयर की टोटल कॉस्ट भी पोर्टल पर बताना पड़ेगी. आपको पहले ही पता होगा कि खर्चा कितना है. आगे आपकी मर्जी कि आप रिपेयर कहां से कराते हैं.

जैसे हमने कहा अभी पोर्टल लाइव हुआ है. बस कुछ महीनों में सारे डिटेल्स नजर भी आने लगेंगे. इसके बाद अगर कोई कंपनी ना नुकूर करे तो उससे बोलिए- ये चूना अपने चाचा को लगाओ.

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