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टेक कंपनियों के लिए बहुत खराब रहा ये साल, लाखों नौकरियां गईं, भारत भी नहीं बचा

दो लाख से ज्यादा लोगों को नौकरी से निकाल दिया गया.

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सांकेतिक फोटो.

साल 2022 टेक कंपनियों (Tech Companies) के हिसाब से कुछ अच्छा नहीं कहा जा सकता है. ज्यादातर कंपनियों की इकॉनमी धड़ाम से गिरती रही, शेयर औंधे मुह गिरे, महंगाई का असर साफ दिखा. नतीजा, दुनिया भर में लाखों लोगों की नौकरी गई. भारत भी इससे अछूता नहीं रहा. बड़े-बड़े टेक दिग्गज जैसे गूगल, फेसबुक और एमेजॉन (Big Layoff in Tech 2022) में तो छटनी हुई ही. स्टार्ट अप का गुब्बारा भी फूटता हुआ नजर आया. ट्विटर जैसे महारथी तो इंडिया से अपना डेरा ही उठाते नजर आए. आखिर क्या वजह रही इसकी? चलिए, पड़ताल करने की कोशिश करते हैं.

फेसबुक की बुक खुली ही नहीं

साल 2022 को मार्क जुकरबर्ग शायद भूलना चाहेंगे. उनके लिए तो इस साल सिर्फ बुरी खबरें ही आती रहीं. साल की शुरुआत में पहली बार फेसबुक का यूजर बेस कम हुआ. 18 साल के फेसबुक के साथ ये पहला अनुभव था. कंपनी के रेवेन्यू में गिरावट आई. फेसबुक की पैरेंट कंपनी मेटा ने टिकटॉक से मिलती चुनौती और ऐप्पल की ट्रैकिंग पॉलिसी को इसके लिए जिम्मेदार माना. आने वाले महीनों में कंपनी का बढ़ता घाटा भी खूब चर्चा में रहा. एक्सपर्ट लोगों ने मार्क के ड्रीम प्रोजेक्ट मेटावर्स और उसकी बढ़ती लागत को इसका एक कारण बताया.

इधर, मेटावर्स में Legs in the metaverse विवाद भी खूब चर्चा में रहा. साल के बीच में तो बढ़ते घाटे को कम करने के लिए WhatsApp बेचने की भी खबरें आईं. इतना सब कम नहीं था, जब कंपनी ने ग्लोबल लेवल पर अपने स्टाफ की छंटनी की घोषणा की. पूरी दुनिया में 11000 से ज्यादा कर्मचारियों को पिंक स्लिप दी गई. कई लोग इससे बुरी तरह प्रभावित रहे. मार्क की नेटवर्थ में भी अच्छी-खासी गिरावट देखी गई. उनको सीईओ पद से हटाने की भी बात हुई. कुल मिलाकर कहें तो मेटा से अपना फैलाया रायता समेटा नहीं जा रहा.

ट्विटर की चिड़िया उड़ी ही नहीं

कहां एक तरफ नए सीईओ पराग अग्रवाल के आने से ट्विटर अपने पंख फैलाने की उम्मीद कर रहा था, दूसरी तरफ से अरबपति एलन मस्क (Elon Musk) रास्ते में आ गए. पहले कुछ शेयर खरीदे फिर साढ़े तीन लाख करोड़ में पूरी कंपनी ही खरीद ली. ट्विटर बोर्ड और मस्क के बीच जूतम-पैजार छोड़कर सब कुछ हुआ. तमाम कोर्ट-कचहरी के बीच आखिरकार मस्क ट्विटर के नए सीईओ बने. वो ऑफिस में अंदर घुसे और पराग समेत कई बड़े अधिकारियों को बाहर कर दिया. लोगों के कार्ड तक ब्लॉक हुए और कइयों को बीच रास्ते से वापिस जाने के लिए बोला गया. 

ट्विटर का 70 प्रतिशत स्टाफ बाहर हुआ. कर्मचारी नौकरी जाने के डर से ऑफिस में सोते नजर आए. मस्क के कारनामों का असर ट्विटर के बाहर भी दिखा. ट्विटर ब्लू सर्विस का फायदा उठाकर कई फर्जी अकाउंट बनाए गए. इस चक्कर में कितनी ही कंपनियों के अरबों रुपये डूब गए. मस्क की मसखरी थमी नहीं है. सिलसिला बदस्तूर जारी है. आगे क्या होगा, वो सिर्फ मस्क जानते हैं. टेक पंडित तो फेल हैं.

गूगल खुद कुछ सर्च कर रहा

टेक की दुनिया में अगर किसी को अजर-अमर की उपाधि से नवाजना हो, तो गूगल एक नाम हो सकता है. लगता है, इनका कुछ बिगड़ेगा ही नहीं. लेकिन इस साल ये टेक दिग्गज भी परेशान रहा. यूरोपियन यूनियन ने कुकीज के लिए भारी भरकम जुर्माना ठोका, तो भारत में भी ऐसा ही हुआ. कंपनी पर 1338 रुपये और 936 करोड़ रुपये का जुर्माना लगा. गूगल ने अपने AI प्रोजेक्ट के एक कर्मचारी को ऐप के आंतरिक सिस्टम पर सवाल उठाने के लिए जब कंपनी से निकाला, तो भी खूब बातें हुईं. 

क्लाउड गेमिंग और Stadia जैसी सर्विस बंद करने की घोषणा हुई. कंपनी कई हजार लोगों को निकालने वाली है, ये भी पता चला है. इन सभी के बीच गूगल की काट के तौर पर ChatGPT भी सामने आया. पहले-पहल तो गूगल ने इस ऐप पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन अब माना जा रहा है कि कंपनी ने कोड रेड जारी किया है.

माइक्रोसॉफ्ट के लिए हार्ड टाइम

नई नौकरियां देने से तो सारे टेक दिग्गज बच ही रहे थे, माइक्रोसॉफ्ट भी इससे अछूता नहीं रहा. नई जॉब बहुत कम आ रही हैं. रेडमंड बेस्ड दिग्गज ने 2000 करोड़ में खरीदे SwiftKey को iOS प्लेटफॉर्म से हटाने की घोषणा कर दुनिया को चौंका दिया. पहले हटा दिया, फिर वापस भी ले आए. इन्होंने भी 1800 लोगों को टाटा बाय-बाय बोला. हालांकि, दूसरी टेक कंपनियों के मुकाबले इनके लिए साल उतना बुरा भी नहीं रहा.

एमेजॉन के जंगल की हरियाली कम हुई

ई-कॉमर्स के किंग एमेजॉन ने भी लोगों को नौकरी से निकालने में कोई कसर नहीं छोड़ी. भारत सहित दुनिया भर में 10000 लोग कंपनी से निकाले गए. कंपनी में हो रहे ऑटोमेशन (खुद से काम करने वाली मशीन) को इसके लिए जिम्मेदार माना जा रहा है. लोगों का निकालने का सिलसिला अगले साल भी जारी रहेगा.

ऐप्पल का चार्जर डिस्चार्ज हुआ

वैसे तो ऐप्पल के लिए कोई खास मुसीबत नहीं रही, लेकिन यूरोपियन यूनियन के एक फैसले ने आखिरकार उनको झुका ही दिया. अब ऐप्पल को भी अपने प्रोडक्ट्स के साथ टाइप-सी (Type-C) चार्जर देना पड़ेगा. अपने मोनोपॉली बिजनेस के लिए पहचानी जाने वाली कंपनी के लिए ये बड़ा झटका है. वैसे साल खत्म होते-होते iPhone 14 Plus की कम बिक्री ने कंपनी को सोचने पर मजबूर किया है.

टेक कंपनियों के लिए साल खराब था. Cisco, Byjus’s, Unacademy, SnapChat, Vedantu, शाओमी और दूसरी कंपनियों को मिलाकर 2 लाख से ज्यादा लोगों को नौकरी से निकाला गया.

कारण भले सीईओ के अड़ियल रवैया से लेकर वैश्विक मंदी को बताया जा रहा हो, लेकिन एक बात तो तय है कि इन कंपनियों के ड्रीम जॉब अब बुरे स्वप्न में तब्दील हो रहे हैं.     

वीडियो: ट्विटर कर्मचारियों की छंटनी पर एलन मस्क ने क्या सफाई दी?