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घंटे भर में स्मार्टफोन की बैटरी फुलचार्ज करने वाली फास्ट चार्जिंग तकनीक कैसे करती है काम?

फास्ट चार्जिंग तकनीक बहुत से चार्जर एक साथ रखने से मुक्ति दे सकती है

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120 वॉट फास्ट चार्जिंग सपोर्ट वाले स्मार्टफोन आ गए हैं बाजार में
फोन को चार्ज पर लगा दिया लेकिन स्विच ऑन करना भूल गए. ऐसा आपके साथ भी हुआ होगा. उसके बाद खुद पर ही गुस्सा आता है. पहले बहुत ज्यादा आता था, लेकिन आजकल गुस्सा थोड़ा कम आता है. क्योंकि स्मार्टफोन में इन दिनों फास्ट चार्जिंग आने लगी है. यानी कुछ मिनटों में फास्ट चार्जिंग की मदद से बात बन जाती है. कई फोन्स तो घंटे भर में फुल चार्ज भी होने लगे हैं, लेकिन कभी सोचा है कि फास्ट चार्जिंग (fast charging) काम कैसे करती है? बैटरी इतनी जल्दी चार्ज कैसे होती है? फास्ट चार्जिंग के नाम या स्टेंडर्ड अलग-अलग क्यों है?
बता दें कि चार्जिंग भले फास्ट हो लेकिन हर कंपनी का अपना स्टेंडर्ड है. 18 वॉट से 65 वॉट तक की फास्ट चार्जिंग आम है, लेकिन अब तो कई स्मार्टफोन 120 वॉट की फास्ट चार्जिंग के साथ भी आते हैं. चार्जिंग स्पीड भी अलग-अलग होती है. 30 मिनट से एक घंटे में एक स्मार्टफोन फुल चार्ज हो जाता है. ऐसा भी नहीं है कि फास्ट चार्जिंग सिर्फ वायर के साथ ही अच्छे से हो रही है, बल्कि वायरलेस फास्ट चार्जिंग भी अब इंप्रूव हो गई है. जानने के लिए सबसे पहले समझते हैं फास्ट चार्जिंग है क्या? बैटरी फास्ट चार्ज कैसे होती है? बैटरी भले कितनी तेजी से चार्ज हो रही हो बेसिक नियम आज भी वही हैं. सभी तरीके के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की तरह बैटरी भी एक निश्चित वोल्टेज पर ऑपरेट होती है. एक बैटरी कितना करंट लेगी और उसका आउटपुट कितना होगा वो भी फिक्स रहता है. इनपुट और आउटपुट की क्षमता जितनी बढ़ाई जा सकती है, बैटरी की ताकत भी उतनी बढ़ती जाती है. फास्ट चार्जिंग भी इसी पर डिपेंड करती है. एक बात समझने वाली है कि बैटरी को ऑपरेट होने के लिए बड़े सख्त और निश्चित नियम होते हैं विशेषकर वोल्टेज को लेकर. उनका पालन होना बेहद जरूरी है.
फास्ट चार्जिंग का ये मतलब कतई नहीं है कि कितनी भी वोल्टेज और करंट फेंकते जाओ, बल्कि ये तो दो भागों में बटी होती है. कॉन्सटेंट करंट और कॉन्सटेंट वोल्टेज. मतलब करंट और वोल्टेज का सही समायोजन. बैटरी के चार्ज होते समय जैसे-जैसे वोल्टेज में बदलाव आएगा उसी के हिसाब से करंट भी पास होगा. आसान भाषा में कहें तो वोल्टेज और करंट का ये सिस्टम तीन रंगों में समझा जा सकता है. ग्रीन मतलब कम वोल्टेज जो 60 प्रतिशत तक चार्जिंग करता है. फिर अगले 20 प्रतिशत के लिए थोड़ा ज्यादा और आखिरी के 20 प्रतिशत के लिए अधिकतम वोल्टेज. ये तो हुआ बैटरी को चार्ज करने का बेसिक तरीका, लेकिन फास्ट चार्जिंग के लिए इसमें कमाल के बदलाव हुए हैं. बैटरी अपने अधिकतम वोल्टेज पर पहुंचे उसके लिए पहले ज्यादा से ज्यादा करंट उसमें प्रवाहित कर दिया जाता है. आपने देखा होगा कि स्मार्टफोन आजकल पहले 50 प्रतिशत पर बहुत जल्दी पहुंच जाते हैं, फिर 75-80 प्रतिशत और आखिर के 20 प्रतिशत में थोड़ा समय लगता है. स्टेप बाय स्टेप जाने की जगह वन स्टेप में प्रोसेस होती है.
फास्ट चार्जिंग तकनीक का बेहतरीन उदाहरण है.
फास्ट चार्जिंग उन्नत होती तकनीक का बेहतरीन उदाहरण है.

स्मार्टफोन मेकर्स अलग-अलग तकनीक का इस्तेमाल करते हैं बैटरी के करंट को संभालने के लिए. एक से अधिक कैथोड और एनोड का भी इस्तेमाल होता है जिससे बैटरी के अंदर रेजिस्टेंस कम हो और करंट का प्रवाह ज्यादा. तापमान और करंट को संभालने के लिए अलग-अलग मटेरियल भी यूज होता है. दो सेल वाली बैटरी भी कई स्मार्टफोन मेकर्स इस्तेमाल करते हैं जिससे करंट को दो पार्ट में अलग कर फास्ट चार्जिंग की जा सके.
वोल्टेज और करंट के समायोजन के लिए बैटरी का चार्जिंग टाइम भी एक महत्वपूर्ण कारक है. एक स्मार्टफोन के तापमान को नियंत्रित रखने और उसको चार्जिंग के लिए कितना समय देना है, उसके लिए जिस अलगोरिथम का इस्तेमाल होता है. और इसी का नाम है चार्जिंग स्टेंडर्ड. फास्ट चार्जिंग स्टेंडर्ड यूएसबी पीडी (USB PD) आजकल सबसे कॉमन शब्द है फास्ट चार्जिंग के लिए. यूएसबी पीडी मतलब यूएसबी पावर डिलिवरी स्मार्टफोन में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली तकनीक है. 2012 में पहली बार मार्केट में आने के बाद ये तकनीक अब यूएसबी सी पोर्ट के जरिए स्मार्टफोन चार्जिंग करती है. आसान भाषा में कहें तो फोन और चार्जर के बीच संवाद बनाने का काम करती है ये तकनीक. चार्जर और फोन आपस में कितना वोल्टेज झेल सकते हैं, उसका ध्यान यूएसबी पीडी तकनीक से रखा जाता है. सिर्फ 0.5 वॉट का इस्तेमाल करने वाले हेडफोन्स हों या 100 वॉट तक जाने वाले लैपटॉप, किसको कितना चाहिए सबका ध्यान रख सकती है यूएसबी पीडी. इस तकनीक का एक फायदा ये भी है कि इसके जरिए रिवर्स चार्जिंग भी संभव है.
यूएसबी पीडी तकनीक में वोल्टेज कंट्रोल करने के लिए कुछ और नए तरीके भी जोड़े गए हैं. प्रोग्रामेबल पावर सप्लााई (PPS) तकनीक से फास्ट चार्जिंग का पूरा फायदा लिया जा सकता है.
Qualcomm Quick Charge भी फास्ट चार्जिंग के लिए बहुतायत में इस्तेमाल होने वाली तकनीक है. शुरुआत के कुछ सालों में भले ये तकनीक यूएसबी पीडी के मुकाबले थोड़ी पीछे थी लेकिन अब ऐसा नहीं है. एक जमाने में 18 वॉट और 27 वॉट तक सीमित रही ये तकनीक अब 100 वॉट भी सपोर्ट करती है. Qualcomm Quick Charge यूएसबी पीडी PPS की तरह चार्जिंग के सभी स्टेंडर्ड जैसे वोल्टेज, करंट और थर्मल प्रोटेक्शन प्रोटोकॉल का पालन करती है.
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image source: qualcomm

फास्ट चार्जिंग के लिए कई स्मार्टफोन मेकर्स खुद की तकनीक इस्तेमाल करते हैं, जैसे कि OnePlus का Warp charge, Oppo का SuperVooc या फिर Xiaomi की 120 वॉट फास्ट चार्जिंग. पुराने स्मार्टफोन और दूसरे प्रोडक्टस को सपोर्ट करने के लिए यूएसबी ए पोर्ट के साथ फास्ट चार्जिंग अभी भी चलन में हैं. सैमसंग 15 वॉट चार्जिंग और आईफोन के पुराने मॉडल इसका अच्छा उदाहरण हैं. ज्यादातर कंपनियां यूएसबी पीडी तकनीक को सपोर्ट करती हैं, इसलिए एक ही चार्जर से और दूसरे प्रोडक्टस भी चार्ज हो जाते हैं. वायरलेस फास्ट चार्जिंग वायरलेस फास्ट चार्जिंग भले कम दिखती हो या फिर अभी के लिए फ्लैगशिप स्मार्टफोन में ही आती हो लेकिन बदलाव इसमें भी हुए हैं. Qi के नाम से पहचानी जाने वाली ये तकनीक साल 2010 में दुनिया के सामने आई थी. तब सिर्फ 5 वॉट का सपोर्ट होता था लेकिन आजकल कुछ स्मार्टफोन 65 वॉट तक की वायरलेस चार्जिंग सपोर्ट करते हैं. वायर वाली चार्जिंग से कदमताल करते अब वायरलेस चार्जिंग से भी रिवर्स चार्जिंग होने लगी है. फास्ट वायरलेस चार्जिंग उन्नत तो हुई है लेकिन अभी भी इसका इस्तेमाल सीमित है. ज्यादा पावर के लिए ज्यादा कॉइल्स भी इस तकनीक की राह में रोड़े अटका कर रखती है. ऐसा करने से चार्जिंग का तापमान और कीमत दोनों बढ़ती हैं.
वायरलेस चार्जिंग अभी फ्लैग्शिप स्मार्टफोन तक सीमित है.
वायरलेस चार्जिंग अभी फ्लैग्शिप स्मार्टफोन तक सीमित है.
फास्ट चार्जिंग का भविष्य फास्ट चार्जिंग हमेशा फायदे का सौदा हो ऐसा जरूरी नहीं है. हमने भी इसके बारे में बात की है लेकिन यूएसबी पीडी (USB PD) अब मार्केट का एक स्टेंडर्ड बन चुका है. बात अब स्मार्टफोन से लेकर लैपटॉप तक पहुंच गई है. यूएसबी पीडी (USB PD) का वोल्टेज को संभालने का (0.5 वॉट से 100 वॉट) का फीचर सिर्फ एक चार्जर से कई सारे डिवाइस को चार्ज करने का दम रखता है. ऐसा होने का मतलब है बहुत सारे चार्जर से मुक्ति. कई कंपनियां भी अपनी खुद की तकनीक का इस्तेमाल कर रही हैं जिसका सीधा फायदा आखिर में यूजर को मिलता है.